यूरोप में शरणार्थियों का संकट तीव्र होने के संकेत

– २४ घंटे में सात हजार से भी ज्यादा शरणार्थी इटली पहुंचे
– जर्मनी ने इटली से आ रहे शरणार्थियों को स्वीकार करने से किया इनकार 

शरणार्थियों का संकटरोम/बर्लिन – अफ्रीकी देशों से यूरोप में घुसपैठ कर रहे शरणार्थियों का मुद्दा फिर से चर्चा का विषय बना हैं। मंगलवार और बुधवार के २४ घंटे में इटली के ‘लैम्पेड्युसा आयलैण्ड’ पर कुल सात हजार शरणार्थी पहुंचे हैं। शरणार्थियों के इस झुंड़ के कारण ‘लैम्पेड्युसा आयलैण्ड’ के प्रशासन ने आपत्काल घोषित किया है। इटली में शरणार्थियों की जारी घुसपैठ के बीच जर्मनी ने इटली से पहुंच रहे शरणार्थियों को कुछ समय तक स्वीकार ने से इन्कार किया है। जर्मनी के इस निर्णय की वजह से शरणार्थियों के मुद्दे पर यूरोपिय देशों के बीच बने मतभेद फिर से सामने आए हैं और अगले दिनों में इटली इसपर आक्रामक रवैया अपना सकता है, ऐसे संकेत सुत्रों ने दिए हैं। 

पिछले कुछ महीनों में इटली में घुसपैठ कर रहें शरणार्थियों की संख्या काफी बढ़ती दिख रही है। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिआ मेलोनी ने शरणार्थियों के विरोध में सख्त नीति अपनाई हैं और इसके बावजूद अफ्रीका से इटली में शरणार्थियों के झुंड़ दाखिल हो रहे हैं। वर्ष २०२३ के पहले आठ महीनों में इटली में कुल सवा लाख से भी अधिक शरणार्थियों ने घुसपैठ करने की जानकारी सरकार ने साझा की है। पिछले साल इसी समय में इटली में दाखिल हुए शरणार्थियों की संख्या ६५ हजार थी। 

इससे पहले वर्ष २०१६ में इटली में कुल मिलाकर १.८१ लाख शरणार्थियों ने घुसपैठ की थी। फिलहाल दाखिल हो रहे शरणार्थियों की संख्या पर गौर करें तो इटली पहुंच रहे शरणार्थियों की संख्या २०१६ से भी अधिक रहेगी, यह ड़र भी जताया जा रहा है। लैम्पेड्युसा में पिछले २४ घंटे के दौरान दाखिल हुए शरणार्थियों की वजह से इस क्षेत्र में कानून और व्यवस्था का मसला खड़ा हुआ है और स्थानीय प्रशासन ने आपात्काल का ऐलान भी किया है। द्वीप पर दाखिल हुए शरणार्थियों के झुंड़ पर सुरक्षा बल ने लाठी चार्ज करने की जानकारी भी सामने आयी है।

कुछ महीने पहले ट्युनिशिया जैसे अफ्रीकी देश के साथ समझौता करके शरणार्थियों को अफ्रीका में ही रोकने की कोशिश की गई थी। इसके बाद पिछले महीने यूरोपिय महासंघ की बैठक में शरणार्थियों के मसले का हल निकालने के लिए कुछ प्रस्ताव सामने आए थे। इनमें यूरोपिय देशों ने एक साथ शरणार्थियों का ज़िम्मा उठाए और हर एक देश इसमें शामिल हो, इस प्रस्ताव का भी समावेश था। लेकिन, इटली और ग्रीस में दाखिल हो रहे शरणार्थियों को अन्य यूरोपिय देश स्वीकार नहीं कर रहे हैं, यह भी अब स्पष्ट हुआ है। 

पिछले कुछ महीनों से इटली में शरणार्थियों के झुंड़ दाखिल हो रहे हैं और इनमें से कुछ शरणार्थियों को अपने देश में आश्रय देने से जर्मनी ने इनकार किया है। इटली ने भी इससे पहले ऐसा ही निर्णय किया था, यह कहकर जर्मनी के अंदरुनि रक्षा मंत्रालय ने अपने निर्णय का समर्थन किया है। इस वजह से इटली में काफी गुस्सा व्यक्त किया जा रहा हैं और यूरोपिय महासंघ ने भी इसपर नाराज़गी जताई है। इटली और जर्मनी जैसे शीर्ष देशों के बीच बने यह मतभेद शरणार्थियों के मुद्दे पर यूरोप में एकता न होने के संकेत देते हैं, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया है। इस वजह से यूरोप में शरणार्थियों का संकट अधिक तीव्र हो सकता हैं, यह इशारा भी विश्लेषक दे रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही महासंघ के शीर्ष सदस्य देश ऑस्ट्रिया के चान्सलर कार्ल नेहैमर ने यह चेतावनी दी थी कि, यूरोप में २०१५ के शरणार्थियों का संकट दोहराएगा। वर्ष २०२२ में यूरोपिय देशों में घुसपैठ करने वाले शरणार्थियों की संख्या १० लाख से भी अधिक रही है। ऐसे में जनवरी से जुलाई के दौरान यूरोप में अब तक छह लाख से भी अधिक शरणार्थी दाखिल हुए हैं।

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