सऊदी के इंधन प्रोजेक्ट्स पर हाउथियों के हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में तनाव बढ़ा

दुबई – येमन के हाउथी बागियों ने सऊदी अरब के रियाध स्थित इंधन प्रोजेक्ट्स पर किए हमले की गूंजें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई देने लगीं हैं। अमरीका ने शुक्रवार को हाउथी बागियों ने किए इस हमले का निषेध किया है। वहीं, सऊदी पर हो रहे इन हमलों के पीछे ईरान का हाथ होने का आरोप सऊदी के विदेश व्यवहार राज्य मंत्री अदेल अल-जुबैर ने किया। गल्फ कोऑपरेशन कौन्सिल-जीसीसी ने सऊदी पर हुए इस हमले की भर्त्सना करके, अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय इसके विरोध में कार्रवाई करें, ऐसी माँग की। लेकिन अमरीका ने आतंकवादियों की सूची से हटाए हुए हाउथी बागियों का आत्मविश्वास अत्यधिक बढ़ा होकर, उनके हमले नहीं रुकेंगे, ऐसे स्पष्ट संकेत मिलने लगे हैं।

saudi-houthi-gulf‘सऊदी पर हुए हमले की जिम्मेदारी का स्वीकार हाउथी बागियों ने किया है। यह अत्यधिक गंभीर बात साबित होती है’, ऐसा अमरीका के विदेश मंत्रालय की उप प्रवक्ता जेलिना पॉर्टर ने कहा है। ‘सऊदी के इंधन प्रोजेक्ट्स को लक्ष्य करके, उसके जरिए इंधन की जागतिक सप्लाई को बाधित करने की कोशिश की जा रही है। इन इंधन प्रोजेक्ट्स में काम करने वालों की तथा आजू-बाजू के नागरिकों की सुरक्षा खतरे में डालनेवाले ये हमले चिंताजनक हैं’, ऐसा पॉर्टर ने कहा।

हालाँकि अमरीका द्वारा यह चिंता ज़ाहिर की जा रही है, फिर भी इस हमले के बाद हाउथियों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने के संकेत अमरीका ने नहीं दिए हैं। बायडेन के प्रशासन ने अमरीका की सत्ता की बागडोर संभालने के बाद, हाउथी बागियों को आतंकवादियों की सूची से हटाने का महत्वपूर्ण फैसला किया था। उसके बाद हाउथी बागी सऊदी पर कर रहे हमलों में बढ़ोतरी हुई दिख रही है। अमेरिका के राष्ट्र रक्षक पद पर आने के बाद ज्यो बायडेन ने सऊदी के सऊदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के साथ चर्चा न करने का फैसला किया था। सऊदी के किंग सलमान से भी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने काफी देर बाद चर्चा की थी। ऐसा करके राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने सऊदी को चेतावनी दी होने की चर्चा शुरू हुई थी।saudi-houthi-gulf

हाउथी बागियों के संदर्भ में वार्डन का प्रशासन अपना रहा सौम्य नीति सऊदी को झटका देने के लिए ही है, ऐसा कहा जा रहा है। क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के आदेश पर ही सऊदी के पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या होने की रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। जल्द ही बायडेन का प्रशासन इस मुद्दे पर सऊदी के प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान को लक्ष्य करेगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। उस पृष्ठभूमि पर, हाउथी बागियों के खिलाफ अमरीका ने अपनायी सौम्य भूमिका, यह बायडेन प्रशासन की सऊदी विरोधी राजनीति का भाग दिख रहा है।

saudi-houthi-gulfइन हमलों के विरोध में सऊदी और सऊदी समर्थक देशों ने एकजुट की है। सन २०१५ में सऊदी ने येमन पर हमला किया था। मुहम्मद अली अल-हौथी के समर्थकों ने येमन पर कब्जा करने के बाद सऊदी और मित्र देशों के मोरचे ने ये हमले शुरू किए थे। उसके बाद अब तक जारी इस संघर्ष में एक लाख, ३० हज़ार लोग मारे गए हो कर, इनमें १२ हज़ार नागरिकों का समावेश होने की बात बताई जाती है। इस संघर्ष के कारण येमन पर भयानक मानवीय आपत्ति आ पड़ी है। सऊदी और मित्र देशों के इस हमले के खिलाफ हाउथी बागियों को ईरान से सहायता मिल रही है। इस कारण सऊदी और सऊदी प्रणित मोरचे का हाउथियों के खिलाफ यह संघर्ष यानी सऊदी और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष लड़ाई होने की बात सामने आ रही है।

अमरीका में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद, ईरान और हौथियों की ताकत भारी मात्रा में बढ़ी है। येमन पर हमले करनेवाले सऊदी को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई करने से अमरीका ने इन्कार किया है। उसी समय, हाउथियों को आतंकवादियों की सूची से निकालकर बायडेन प्रशासन ने यह दिखा दिया है कि वह सऊदी के पक्ष में नहीं है। ऐसी स्थिति में सऊदी और मित्र देशों के मोरचे से हाउथियों के इस हमले पर क्या प्रतिक्रिया आती है, इसकी ओर पूरी दुनिया का ध्यान लगा है। क्योंकि अगर सऊदी के इंधन प्रोजेक्ट्स पर इसी तरह हमले होते रहें, तो उसका बहुत बड़ा असर इंधन की दरों पर हो सकता है।

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