भारत को खिलौने के उद्योग का केंद्र बनाने के लिए ‘टीम अप फॉर टॉईज्‌’ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – खिलौने कल्पनाशक्ति बढ़ाते हैं। यही अपनी आकांक्षाओं को पंख लगाते हैं और कई ध्येय निर्धारित करने के लिए सहायता भी करते हैं, यह कहकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खिलौनों की अहमियत स्पष्ट की। रविवार के दिन ‘मन की बात’ में भारत के खिलौनों के उद्योग पर बयान करते समय देश को इन्हीं खिलौनों के उद्योग का प्रमुख केंद्र बनाने के लिए ‘वोकल’ होने का अवसर बनने का दावा किया और ‘टीम अप फॉर टॉईज्‌’ का संदेश दिया। इसी बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.युडियुरप्पा ने बंगलुरू के कोपाला में खिलौनों के उद्योग का केंद्र स्थापित करने की योजना की जानकारी साझा की और इसके लिए पांच हज़ार करोड़ रुपए निवेश करने का ऐलान किया।

‘टीम अप फॉर टॉईज्‌’

कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ उपक्रम के तहत भारत में ही खिलौने बनाने का आवाहन भारतीय उद्योगों को किया था। इस क्षेत्र के युवक आगे आएं और अपनी कुशलता का इस्तेमाल करके खिलौने तैयार करें और ‘वोकल फॉर लोकल’ को प्रोत्साहित करें, यह संदेश प्रधानमंत्री ने दिया था। रविवार के दिन ‘मन की बात’ में भी प्रधानमंत्री ने यही बात दोहराई। इस दौरान उन्होंने खिलौनों के उद्योग पर बयान किया।

अपने संभाषण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री ने गांधीनगर की ‘चिल्ड्रन युनिवर्सिटी’ का ज़िक्र किया। यही ‘चिल्ड्रन युनिवर्सिटी’ विश्‍व की अलग तरह की प्रयोगशाला है, यह बात प्रधानमंत्री ने कही। खिलौने कार्यक्षमता बढ़ाने के साथ ही अपनी आकांक्षाओं को भी बढ़ाते हैं। खिलौने ना ही सीर्फ मन को रिझाते हैं बल्कि इससे मन भी तैयार होता है, यह बात प्रधानमंत्री ने कही। अधूरे खिलौने अच्छे होते हैं क्योंकि, बच्चे इससे खेलते समय ही उसे पूरा करते हैं, यह बयान रविंद्रनाथ टैगौरजी ने किया था। इसका दाखिला भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान दिया। अंतरराष्ट्रीय खिलौनों के उद्योग में सात लाख करोड़ से अधिक कारोबार होता है, इस ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया।

‘खिलौनों के उद्योग में अपने देश का योगदान काफी कम है। देश के कई कारीगर उत्कृष्ट खिलौने बनाते हैं। जिस देश के पास इतनी बड़ी विरासत है, विविधता होने के बावजूद खिलौनों के बाज़ार में देश का योगदान इतना कम होना खेद की बात बनती है। खिलौनों का उद्योग काफी व्यापक है। इसमें गृहउद्योग, छोटे और लघु उद्योग, बड़े एवं निजी उद्योग भी शामिल होते हैं। इन सभी क्षेत्रों को आगे बढ़ाने के लिए देश को एक साथ मेहनत करनी होगी। ‘स्टार्टअप’ करनेवाले मित्रों को और नए उद्योजगकों को हमारा आवाहन है, ‘टीम अप फॉर टॉईज्‌’. यानी, ‘मिलकर खिलौने बनाएंगे’. अब सभी लोगों के लिए ‘लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का अवसर आया है’, यह संदेश भारत के प्रधानमंत्री ने दिया।

देश के कुछ हिस्से खिलौने निर्माण के केंद्र के तौर पर विकसित हो रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत में खिलौनों के उद्योग को बड़ी भूमिका निभानी है। आज कर्नाटक के रामनगरम्‌ में चन्नापटना, आंध्र प्रदेश के कृष्णा के कोंडापल्ली, तमिनलनाडु के तंजौर, असम के धुबरी और उत्तर प्रदेश के वाराणसी में खिलौनों का उद्योग शुरू होने की बात प्रधानमंत्री ने कही। इसी बीच बंगलुरू के कोपाला में देश का खिलौने बनानेवाला पहला हब बनाने का ऐलान कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येडियुरप्पा ने किया। इस उद्योग के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश होगा और ४० हज़ार से अधिक लोगों को रोज़गार मिलेगा, यह दावा दिया जा रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.