चीन विकसित कर रहे श्रीलंका की हंबंटोटा परियोजना को कड़ा विरोध

हंबंटोटा, दि. २ : श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह के विकास की परियोजना हाथ में लेनेवाले चीन को कड़ा विरोध शुरू हुआ है| चीनसमर्थक ऐसी पहचान बने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष महिंदा राजपक्षे ने ही इस परियोजना के खिलाफ कड़े प्रदर्शन शुरू किए हैं| चीन की महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ इस योजना के अहम पड़ाव के तौर पर ‘हंबंटोटा’ को देखा जा रहा था| राजपक्षे के कार्यकाल में इस परियोजना की शुरुवात की गई थी| राजपक्षे के बाद सत्ता में आए राष्ट्राध्यक्ष मैत्रिपाल सिरीसेना की सरकार को भी इस परियोजना के बारे में मनाने में चीन को क़ामयाबी मिली थी| लेकिन अब हालात बदल चुके हैं और खुद राजपक्षे इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं|

हंबंटोटाश्रीलंका के ‘हंबंटोटा’ बंदरगाह की काफी बड़ी सामरिक अहमियत है और इस क्षेत्र में रहनेवाले भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देने के साधन के तौर पर चीन इस बंदर की ओर देख रहा था| लेकिन सन २०१५ के चुनाव में महिंदा राजपक्षे की हार हुई, जिसके बाद सत्ता में आये राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना ने इस बंदर में चीन के निवेश के खिलाफ़ रुख़ अपनाया| लेकिन अब राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना चीन के निवेश का समर्थन कर रहे हैं| यही नहीं, बल्कि हंबंटोटा बंदर के विकास के साथ ही, इस बंदर के नज़दीक ‘इंडस्ट्रियल पार्क’ बनाने के लिए चीन को छह हज़ार एकड़ ज़मीन दी है| श्रीलंका ने इससे पहले चीन से लिया कर्ज़ा इस बदलाव को ज़िम्मेदार है, ऐसा कहा जा रहा है|

श्रीलंका ने चीन से भारी मात्रा में कर्ज़ा लिया है और श्रीलंका इस कर्ज़े के नीचे डुबा हुआ है| इन हालातों में, राष्ट्राध्यक्ष सिरीसेना की सरकार को भारत एवं अमरीका इन देशों की ओर से सहायता अपेक्षित है| लेकिन इन देशों की ओर से मिल रही सहायता बेहद कम है, ऐसा कहा जा रहा है| इसीलिए सिरीसेना की सरकार ने हंबंटोटा की विकास परियोजना चीन के पास सौंपी है ऐसा दिखाई दे रहा है| चीन इस बंदरगाह में लगभग दो सौ करोड़ डॉलर्स का निवेश करनेवाला है| लेकिन एक समय चीन का पक्ष लेकर भारत के साथ अमरीका को चुनौती देनेवाले भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष राजपक्षे, अब इस परियोजना के खिलाफ आक्रामक रूख अपना रहे हैं|

‘हमने हंबंटोटा के विकास के संदर्भ में किया हुआ समझौता सही था| लेकिन अब जो सरकार है, वह हंबंटोटा बंदरगाह परियोजना का तक़रीबन ८० प्रतिशत हिस्सा चिनी कंपनियों के हवाले कर रही है| यही नहीं, बल्कि चिनी कंपनियों को ‘इंडस्ट्रियल पार्क’ के लिए छह हज़ार एकड़ ज़मीन ९९ साल के लिए देने का समझौता, यानी श्रीलंका की संप्रभुता पर आक्रमण है, ऐसा राजपक्षे का कहना है| ‘मेरे कार्यकाल में इस परियोजना में चिनी कंपनियों को केवल ४० साल के लिए जगह दी जानेवाली थी| साथ ही, ‘इंडस्ट्रियल पार्क’ के लिए ६ हज़ार एकड़ ज़मीन पर भी श्रीलंका के बंदरगाह विभाग का कब्ज़ा रहनेवाला था’ इसकी याद भी राजपक्षे ने दिलाई| इस कारण, श्रीलंका की संप्रभुता पर आक्रमण करनेवाले इस परियोजना को हमारा विरोध है, ऐसा राजपक्षे ने कहा है|

हंबंटोटा के स्थानीय निवासियों का इस परियोजना को कड़ा विरोध है और इस परियोजना के खिलाफ़ हिंसक प्रदर्शन शुरू हुए हैं| प्रदर्शकों की पुलीस के साथ मुठभेड़ भी हो रही है| आनेवाले समय में ये प्रदर्शन और अधिक तीव्र होने के गहरी आशंका है| इसी वजह से चीन की यह महत्त्वाकांक्षी परियोजना ख़तरे में आई हुई दिखाई दे रही है|

बांगलादेश में चीन की परियोजना ख़तरे में  

बांगलादेश की राजधानी ढाका की आग्नेय दिशा में, चीन थर्मल पावर प्लांट शुरू कर रहा है| इस परियोजना को स्थानीय लोगो द्वारा विरोध किया जा रहा है| इस परियोजना में चीन २.५ अरब डॉलर्स का निवेश करनेवाला है, ऐसा कहा जा रहा है| सन २०१९ से, इस परियोजना से बिजली बननी शुरू होगी, ऐसा विश्‍वास जताया जा रहा है| लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के चलते यह परियोजना प्रलंबित होने की आशंका जताई जा रही है|

चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग बांगलादेश दौरे पर गए थे। तभी दोनों देशों के बीच हुए २७ सहयोग समझौतों में यह थर्मल पावर प्लांट परियोजना शामिल थी| लेकिन यह परियोजना विघातक परिणाम करनेवाली है, ऐसा कहते हुए स्थानीय लोग इस परियोजना को विरोध कर रहै हैं| इस थर्मल पावर प्लांट की वजह से बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलेगा, इसपर ग़ौर फ़रमाते हुए इस परियोजना को कड़ा विरोध किया जा रहा है| गुरुवार को हुए प्रदर्शन में एक आदमी की मौत हुए है, ऐसा कहा जा रहा है|

पिछले साल से इस परियोजना के खिलाफ़ प्रदर्शन शुरू हुए हैं और इस दौरान चार लोगों की मौत हुई है| चीन ने प्रदूषण के सिलसिले में किए जानेवाले इल्जामों को नकारा है और इस परियोजना की टेक्नॉलॉजी प्रगत है, ऐसा दावा किया है| इस वजह से प्रदूषण नहीं होगा, ऐसा चीन का कहना है|

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