चिनी हथियारों के खिलाफ कार्रवाई की जानकारी दें – भारत की थाईलैंड और म्यानमार से माँग

बैंकोक / नई दिल्ली – थाईलैंड और म्यानमार सुरक्षा बल ने चीन के हथियारों के भंडार के खिलाफ की हुई कार्रवाई और आगे की जाँच के बारे में जानकारी प्रदान करें, ऐसी आग्रही माँग भारत ने की है। थाईलैंड में भारत की राजदूत सुचित्रा दुरई ने सोमवार को, थाईलैंड में हुई एक बैठक के दौरान भारत की भूमिका पेश की। पिछले महीने म्यानमार सीमा के पास ‘माए सोत’ इस थाई शहर में चिनी बनावट के हथियारों का एक बड़ा भंडार जब्त किया गया था। इन हथियारों का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाने वाला था, ऐसी सनसनीखेज़ ख़बर सामने आयी थी।

थाईलैंड और म्यानमार

सोमवार को भारतीय राजदूत सुचित्रा दुरई ने थाईलैंड के टाक प्रांत के गवर्नर, उन्सित सम्पूनथरात के साथ मुलाकात की।  टाक प्रांत म्यानमार सीमा से जुडा हुआ है, जिसका हिस्सा होनेवाले ‘माए सोत’ शहर में चिनी हथियारों का भंड़ार जब्त किया गया था| बैठक में स्थानीय पुलिस प्रमुख और अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी भी शामिल थे। बैठक के दौरान, भारतीय राजदूत ने दोनों देशों के बीच सहयोग के बारे में बात करते हुए चिनी हथियारों के भांडार पर की कार्रवाई का मुद्दा उठाया, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी है।

थाई अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए चिनी हथियारों के भंडार में ग्रेनेड लांचर, रॉकेट, ऑटोमॅटिक ॲसॉल्ट रायफल्स और मशीन गन थे।  थाईलैंड और म्यानमार के अधिकारियों द्वारा की गयी जाँच से पता चला कि यह चिनी बनावट का हथियारभंडार म्यानमार के आतंकवादी संगठनों के लिए था। म्यानमार के राखीन प्रान्त में सक्रिय ‘आराकान आर्मी’ और ‘आराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी’ इन दो आतंकवादी संगठनों को यह हथियारों का भंडार भेजा जाना था। इन संगठनों ने बांग्लादेश तथा भारत के सीमाभाग में इन समूहों ने आतंकवादी गतिविधियों और ख़ूनखराबे को अंजाम देने के लिए अड्डें बनाये होने की बात पहले ही सामने आ चुकी है। इसलिए, थाईलैंड में की गई कार्रवाई ने भारतीय अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया है।

थाईलैंड और म्यानमार

‘कार्रवाई के बाद, भारतीय अधिकारी थाईलैंड और म्यानमार अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहे हैं। जब्त किए गए हथियारों के भंडार का स्रोत, उसका मार्ग और उसे निस्चित रूप से कहाँ भेजा जाना था, इसकी जाँच जारी है। इससे पहले, चीन ने पूर्वोत्तर भारत में विद्रोहियों और आतंकवादी समूहों को हथियारों की आपूर्ति की होने की बात सामने आयी थी। हालाँकि भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने इस नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है, फिर भी चीन द्वारा एक बार फिर से हथियार भेजने के प्रयास हो सकते हैं, इसका भारत को भली भाँति एहसास है। म्यानमार के संगठनों को भेजे गये चिनी हथियारों के भंडार का कुछ हिस्सा पूर्वोत्तर भारत में भेजा जा सकता है, इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, इन शब्दों में भारतीय स्रोतों ने थाईलैंड में हुई बैठक और की गई माँगों की भूमिका स्पष्ट की।

थायलंड और म्यानमार की यंत्रणाओं द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान, पाकिस्तानी वंश के नागरिकों का सहभाग भी सामने आया था। इससे, चीन द्वारा की जा रही हथियारों की आपूर्ति में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ भी शामिल होने के संकेत मिल रहे हैं। इसलिए, चीन पाकिस्तान के साथ मिलीभगत करके दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भारत के हितसंबंधों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है; इस संभावना को मद्देनज़र रखते हुए ही, भारतीय यंत्रणाओं ने, थाईलैंड और म्यानमार की यंत्रणाओं के पास कार्रवाई तथा जाँच की जानकारी देने की आग्रही माँग रखी है, ऐसा माना जाता है।

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