विदेश निवेश के लिए वाणिज्यमंत्री ने भारत के १३१ दूतावासों के साथ स्थापित किया संवाद

नई दिल्ली, (वृत्तसंस्था) – भारत में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्थानीय कंपनियाँ और निर्यातकों को कारोबार का अवसर उपलब्ध कराके देने के लिए सरकार जोरदार प्रयास कर रही है। इसके लिए दुनियाभर में स्थित अपने दूतावासों से सहायता प्राप्त की जा रही है। वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने इस बारे में भारत के १३१ दूतावासों के अफसरों से वीडियो कन्फरन्सिंग के जरिए बातचीत की। दुनियाभर के देश, अब निवेश के लिए पारदर्शी और भरोसेमंद कारोबार करनेवाले देशों की खोज कर रहें हैं। ऐसे में भारतीय दूतावास जहाँ पर स्थित हैं, उस उस देश में अवसर प्राप्त करने के लिए बडी सहायता कर सकते हैं, यह विश्‍वास वाणिज्यमंत्री गोयल ने इस दौरान व्यक्त किया।

कोरोना वायरस की महामारी के कारण अर्थव्यवस्था के सामने खडे हुए संकट से बाहर निकलने के लिए आर्थिक विकास की गति तीन गुना बढ़ाने की जरूरत है। इस वजह से कोरोना वायरस का संकट ख़त्म होने के बाद, प्राप्त होनेवाला कोई अवसर व्यर्थ जाने ना दें, ऐसें स्पष्ट निर्देश उच्चस्तरीय बैठक में दिए हैं। इसपर वाणिज्यमंत्री पियुष गोयल ने अलगअलग भारतीय दूतावासों के अफसरों का ग़ौर फ़रमाया है। कोरोना की महामारी के कारण उभरें संकट को अवसर में परावर्तित करने के लिए काफी काम करना होगा, यह बात गोयल ने इस दौरान कही।

भारतीय दूतावासों ने अलग अलग कंपनियों के साथ संवाद स्थापित करें, नया संपर्क और नवीनतम कल्पनाओं के साथ पहल करें एवं देश की निर्यात बढाने के लिए सूचना और प्रस्ताव पेश करें, इसके अलावा स्थानिय उद्योगों में सुधार करने के लिए जरूरी सूचना और सिफारीश करें, यह निवेदन भी वाणिज्यमंत्री ने इन दूतावासों के अफसरों से किया। भारत में कारखाना और उत्पाद केंद्र स्थापित करना विदेशी निवेशकों के लिए आसान हो, इसलिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इन्व्हेस्टमेंट ॲण्ड इंटर्नल ट्रेड (डीपीआयआयटी) ने सिंगल विंडो तैयार करने का काम शुरू है, यह जानकारी भी गोयल ने इस दौरान प्रदान की।

साथ ही, भारत बहुपक्षीय व्यापारी समझौते में निष्पक्ष सहयोग के लिए अधिक अहमियत देता है। इसी वजह से भारत रिजनल कॉम्प्रिहेन्सिव्ह इकॉनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) समझौते में शामिल नही हुआ है, यह बात गोयल ने इस दौरान स्पष्ट की। द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के लिए मसौदा और योजना तैयार करने के लिए डिजिटल स्तर पर काम करने का यह अच्छा अवसर है, यह बात वाणिज्यमंत्री गोयल ने दूतावास के अफसरों से कहीं।

पिछले वर्ष नवंबर महीने में भारत ने आरसीईपी समझौते पर हस्ताक्षर करने से इन्कार किया था। इस वजह से इस समझौते से लाभ उठाने की कोशिश में बैठें चीन को बडा झटका लगा था। दुनिया में सबसे बडा मुक्त व्यापार समझौता समझे जा रहें ‘आरसीईपी’ में हमारीं चिंताओं की ओर ध्यान नहीं दिया गया है, यह बात भारत ने उस दौरान रखीं थी। भारत इस समझौते से पीछे हटने के बाद जापान ने भी, यदि भारत नहीं है, तो हम भी इस समझौते का हिस्सा नहीं होंगे, यह बात घोषित की थी। इसके बाद भारत को दोबारा इस समझौते का हिस्सा करवाने के लिए कोशिश शुरू हुई है।

हाल ही में आरसीईपी के सदस्य रहें १५ देशों ने वीडियो कान्फरन्सिंग के जरिए चर्चा की। इस दौरान जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूझीलैंड, ऑस्ट्रेलिया इन देशों ने इस समझौते में शामिल करवाने के लिए भारत के सामने समझौते का नया प्रस्ताव रखा है। दो दिन पहले ही इस मुद्दे से जुडी खबर प्रसिद्ध हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर, वाणिज्यमंत्री गोयल ने आरसीईपी समझौते से भारत के पीछे हटने से संबंधित कारणों का जिक्र करना और इसके लिए तय किया हुआ समय काफी अहमियत रखता है।

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