कतार सीरिया में सेना भेजे अथवा राजवट गँवाने की तैयारी रखे – सऊदी अरेबिया के विदेश मंत्री की धमकी

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रियाध: ‘कतार सीरिया में सेना को रवाना करे और यहाँ की अमरिकी लष्करी मुहीम को अर्थ सहायता करे। यह संभव नहीं है तो कतार अमरिका का सुरक्षा छत्र और अपनी राजवट गँवाने के लिए तैयार रहे’, ऐसी धमकी सऊदी अरेबिया ने दी है। इस पर कतार से प्रतिक्रिया आई है और सीरिया की समस्या चर्चा के मार्ग से सुलझाने का आवाहन कतार ने किया है। इस वजह से सीरिया के संघर्ष में कतार अमरिका और खाड़ी देशों का पक्ष लेने वाला है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

दो दिनों पहले अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरिका का दौरा कर रहे फ़्रांस के राष्ट्राध्यक्ष ‘इमैन्युअल मैक्रॉन’ से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद पत्रकारों के साथ विविध विषयों पर बातचीत करते समय ट्रम्प ने सीरिया के संघर्ष के मामले में खाड़ी देशों को फटकार लगाई थी।

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‘खाड़ी के कुछ देश जबरदस्त दौलतमंद हैं।अमरिका ने सुरक्षा देने की वजह से यह देश आबाद हैं। लेकिन अगर अमरिका ने अपनी सुरक्षा निकाल ली तो एक हफ्ता भी इन देशों की राजवट टिकने वाली नहीं है। इस लिये यह देश खुद सीरिया के संघर्ष की जिम्मेदारी अपने कन्धों पर लें और अमरिका दे रही सुरक्षा की कीमत चुकाए’, ऐसा ट्रम्प ने फटकारा था ।

इस समय ट्रम्प ने ईरान का उल्लेख करते हुए “सीरिया में आईएस की हार के बाद ईरान के बढ़ते प्रभाव को रोकना है तो खाड़ी देशों ने इस क्षेत्र में व्यापक भूमिका अपनानी चाहिए’, ऐसी चेतावनी दी है।

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने दिए हुए संदेश में किसी भी देश का सीधा उल्लेख नहीं किया था। लेकिन सीरिया की जिम्मेदारी से दूर भाग रहे कतार को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने चेतावनी दी है, ऐसा दावा सऊदी अरेबिया के विदेश मंत्री ‘अदेल अल-जुबैर’ ने किया है।

‘सीरिया में अमरिका की सेना तैनाती की लागत का बोझ कतार उठाए। साथ ही सीरिया के संघर्ष के लिए अपनी सेना रवाना करे’, ऐसी सूचना सऊदी के विदेश मंत्री ने की है। कतार ने सीरिया के संघर्ष के लिए यह योगदान नहीं दिया तो अमरिका कतार से अपनी सेना को पीछे हटाएगा, इसका एहसास सऊदी के विदेश मंत्री ने कराके दिया है। ऐसा हुआ तो कतार की राजवट गिरने के लिए एक हफ्ता भी काफी रहेगा, ऐसा जुबैर ने धमकाया है।

कतार के ‘अल-उदैद’ में अमरिका का सबसे बड़ा लष्करी अड्डा है। राजधानी दोहा से नजदीक इस लष्करी अड्डे पर अमरिका के दस हजार सैनिक साथ ही लड़ाकू, बॉम्बर और निगरानी रखने वाले विमान तैनात हैं। खाड़ी के सीरिया, इराक और अन्य महत्वपूर्ण लष्करी मुहिमों के लिए कतार के लष्करी अड्डे का इस्तेमाल किया जाता है।

इस वजह से ऐसा माना जाता हिया कि, कतार अमरिका का सहकारी देश है। लेकिन कतार खाड़ी में अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है, ऐसा अमरिका का प्रशासन शिकायत कर रहा है। सकल राष्ट्रीय उत्पाद के बारे में सोचा जाए तो कतार कड़ी का सबसे दौलतमंद देश है। इस सूचि में कतार के बाद, कुवैत, संयुक्त अरब अमिरात (युएई) और सऊदी अरबी इन देशों का नंबर आता है।

ऐसा होते हुए भी सीरिया के संघर्ष में कतार ने महत्वपूर्ण भूमिका नहीं अपनाई है। इस वजह से राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने खाड़ी के दौलतमंद देशों का उल्लेख करके कतार को लक्ष्य बनाया है। इस पर कतार ने सतर्क भूमिका लेकर सीरिया की समस्या को चर्चा के माध्यम से सुलझाने का आवाहन किया है। उसीके साथ ही सीरिया में मानवतावादी सहायता को कतार आर्थिक सहायता करने के लिए तैयार है, ऐसी घोषणा कतार के विदेश मंत्री ‘मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल-थानी’ ने की है। इस वजह से सीरिया के संघर्ष में कतार अपनी तटस्थ भूमिका छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, ऐसा दिखाई दे रहा है।

सऊदी अरेबिया, संयुक्त अरब अमिरात, बाहरिन और इजिप्त इन अरब खाड़ी देशों ने कतार आतंकवाद को सहायता करता है, ऐसा आरोप लगाकर दबाव डाला था। इस दबाव को ठुकराकर कतार की जनता को जीवनावश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए ईरान और तुर्की ने सहायता की थी। इन देशों के खिलाफ जाकर कतार अमरिका और सऊदी के पक्ष में सीरिया के युद्ध में उतरने के संभावना नहीं है।

इस बात को ध्यान में रखा जाए, तो आने वाले समय में अमरिका कतार के मामले में कठोर निर्णय लेगा और और इसे सऊदी साथ ही अन्य खाड़ी देशों का समर्थन होगा, ऐसे संकेत सऊदी के विदेश मंत्री की धमकी से मिल रहे हैं।

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