उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर अत्याचार कर रहे चीन के खिलाफ़ बांगलादेश में हुए प्रदर्शन

ढ़ाका – चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत उइगरवशियों पर कर रही अत्याचारों के खिलाफ़ शुक्रवार के दिन बांगलादेश की जनता ने राजधानी ढ़ाका में तीव्र प्रदर्शन किए। चीन में उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ़ अमरीका के साथ यूरोपिय देश भी बड़ी मात्रा में विरोध कर रहे हैं। इसका असर अन्य छोटे देशों में भी होता हुआ दिखाई देने की बात बांगलादेश में हुए प्रदर्शनों से सामने आ रही है।

Uyghur-China-Bangladeshबीते कुछ वर्षों में चीन में उइगरवंशियों का उत्पीड़न हो रहा है और उन्हें शिविरों में कैद किया गया है। चीन के ज़िंजियांग प्रांत में लाखों उइगरवंशियों को कैद में रखा गया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ कई मानव अधिकार संगठन उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचार रोकने की माँग कर रहे हैं। लेकिन, उइगरवंशियों को पकड़कर उन पर अत्याचार करने का सत्र अभी बंद नहीं हुआ है। उइगरवंशियों पर हो रहे इन अत्याचारों के खिलाफ बांगलादेश की जनता ने तीव्र प्रदर्शन किए। बांगलादेश फ्रीडम फायटर्स गुट ने उइगर रिप्रेशन डे का आयोजन किया था। इस दौरान बांगलादेश के नागरिकों ने चीन के खिलाफ़ नारेबाज़ी भी की।

वर्ष २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रपट में चीन ने कुल ११ लाख उइगरवंशियों को छल शिविरों में कैद कर रखा है, ऐसी चौकानेवाली रपट पेश की थी। इस रपट के बाद पश्‍चिमी देशों ने उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करना शुरू किया था। लेकिन, चीन ने उइगरवंशी नागरिकों को शिविरों में कैद नहीं रखा है, बल्कि व्यावासायिक प्रशिक्षण केंद्र में उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ऐसे दावे किए थे। मानव अधिकार गुटों के दावों के अनुसार इन शिविरों में मौजूद अधिकांश नागरिकों के खिलाफ कभी भी अपराधिक मामला दर्ज़ नहीं हुआ था। इसी वजह से उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने का कानूनी रास्ता ही चीन की हुकूमत ने उपलब्ध नहीं रखा है, ऐसे आरोप भी किए जा रहा हैं। चीन के दावे पूरी तरह से झुठे होने की बात भी इससे स्पष्ट हो रही है।

चीन उइगरवंशियों पर बड़े अत्याचार कर रहा है तभी विश्‍वभर के इस्लामिक देश इस मामले में चीन के खिलाफ़ भूमिका अपनाने के लिए हिचकिचा रहे हैं, यह आलोचना अमरीका ने की थी। कुछ हद तक तुर्की को अलग रखें तो अन्य किसी भी देश ने अधिकृत स्तर पर चीन का निषेध नहीं किया है। इस्लामधर्मी देशों का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा रखनेवाले पाकिस्तान ने भी इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ़ एक अक्षर भी बयान नहीं किया है। लेकिन, बांगलादेश में हुए प्रदर्शनों की वजह से इस्लामी जनता चीन के खिलाफ खड़ी होती हुई दिख रही है। इससे बांगलादेश की सरकार पर दबाव पड सकता है। बांगलादेश में बड़ा निवेश करके इस देश का इस्तेमाल भारत के खिलाफ़ करने का विचार चीन रखता है। ऐसी स्थिति में शुक्रवार के दिन ढ़ाका में हुए प्रदर्शन चीन के लिए झटका देनेवाले साबित होते हैं।

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