चीन के बढ़ रहे खतरों की पृष्ठभूमि पर तैवान के राजदूत ने की अमरिकी अधिकारी से भेंट

– मिसाइलों के लिए अतिरिक्त प्रावधान करने के संकेत

वॉशिंग्टन – अमरीका में नियुक्त तैवान की राजदूत हसीओ बि-खिम ने सोमवार को अमरिकी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी डेविड स्टीलवेल से भेंट की। साउथ चायना सी में चीन फिलहाल लाईव फायर ड्रिल कर रहा है और यह युद्धाभ्यास तैवान पर संभावित हमला करने की मुहीम की पूर्व तैयारी होने की बात मानी जा रही है। तैवान के विदेशमंत्री ने कुछ दिन पहले ही चीन के हमले का खतरा बढ़ने की चेतावनी दी थी। इसी बीच तैवान की राजदूत अमरिकी अधिकारी से भेंट के दौरान तैवान की सरकार ने अमरीका से खरीदे जा रहे हार्पून मिसाइलों के लिए अतिरिक्त प्रावधान करने के संकेत दिए।

China-Taiwanअमरीका में स्थित तैपेई ईकॉनॉमिक ॲण्ड कल्चरल रिप्रेझेंटेटिव्ह ऑफिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर तैवान की राजदूत हसीओ बि-खिम एवं अमरिकी ब्युरो ऑफिस ईस्ट एशियन ॲण्ड पैसिफिक अफेअर्स के प्रमुख डेविड स्टीलवेल की भेंट का फोटो सार्वजनिक किया। अमरीका-तैवान साझेदारी को अधिक मज़बूत करने के लिए तैवान उत्सुक है और इसके लिए अमरीका से अच्छे सहयोग की कोशिश करेगा, यह वादा तैवान के राजदूत ने इस दौरान किया। दोनों देशों के लिए चिंता का विषय बने अलग-अलग मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा होने की जानकारी तैपेई ईकॉनॉमिक ॲण्ड कल्चरल रिप्रेझेंटेटिव ऑफिस ने प्रदान की।

अमरीका और तैवान के बीच राजनीतिक अधिकारियों की हुई भेंट की पृष्ठभूमि पर तैवान की सरकार ने हार्पून मिसाइलों के लिए आर्थिक प्रावधान बढ़ाने के संकेत दिए हैं। मई महीने में तैवान के रक्षा विभाग ने अमरीका से १० हार्पून मिसाइल सिस्टिम खरीद करने का निर्णय लिया था। मगर अमरीका के साथ हुई चर्चा के बाद तैवान ने इस प्रणाली के मिसाइलों की संख्या बढ़ाने के लिए मंजूरी दी है। इन अतिरिक्त मिसाइलों के लिए एक अरब डॉलर का प्रावधान किया गया है और इसकी वजह से इस समझौते के तहत होनेवाले व्यवहार की किमत २.८ अरब डॉलर तक बढी है। करीबन ३०० किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता रखनेवाले यह मिसाइल विध्वंसक विरोधी मिसाइलों के तौर पर जाने जाते हैं।

China-Taiwanअमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के साथ सहयोग करने के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिक अपनाई है। अमरीका द्वारा तैवान में शुरू किया गया राजनीतिक दफ़्तर, अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तैवान के नेताओं से की हुई भेंट और बढ़ रहे रक्षा सहयोग के मुद्दे पर ट्रम्प ने अपनाई भूमिका का हिस्सा समझे जा रहे हैं। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने तीन दशकों के बाद तैवान को लड़ाकू विमान प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। इसके साथ ही तैवान को प्रगत मिसाइल, टोर्पेडो और प्रगत रक्षा प्रणाली की भी आपुर्ति की जा रही है। अमरीका ने तैवान के करीबी समुद्री क्षेत्र में तैनाती में भी बढ़ोतरी की है और विमान वाहक युद्धपोत के साथ विध्वंसक, ड्रोन्स, गश्‍ती विमान एवं लड़ाकू विमानों की मौजुदगी बढ़ाई है। बीते सप्ताह के दौरान अमरिकी संसद में ‘तैवान इन्वेशन प्रिवेंशन ऐक्ट’ नामक स्वतंत्र विधेयक भी पेश किया है।

पिछले कुछ महीनों में चीन द्वारा तैवान पर हमले की तीव्रता भी बढ़ी है। मई महीने में हुई कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में पार्टी के तीसरें क्रमांक के नेता ली झान्शू ने सीधे तैवान पर हमला करने का प्रस्ताव रखा था। तभी, चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने युद्ध शुरू होने पर कुछ ही घंटों में चीन की सेना तैवान पर कब्ज़ा करेगी, यह धमकी भी दी थी। चीन के एक शीर्ष विश्‍लेषक ‘लि सू’ ने हाँगकाँग कानून यह पूर्वतैयारी है और इसी धर्ती पर किसी की परवाह किए बिना चीन तैवान पर हमला करेगा, ऐसा इशारा दिया था। 

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