मानव अधिकार परिषद में पाकिस्तान की मौजूदगी असहनीय – ‘यूएन’ के अधिकृत संगठन ने लगाई पाकिस्तान को फटकार

जिनेवा – पाकिस्तान में मानव अधिकारों का इतिहास देखें, तो संयुक्त राष्ट्रसंघ की मानव अधिकार परिषद में पाकिस्तान की मौजूदगी असहनीय है, ऐसी तीखी आलोचना राष्ट्रसंघ के कार्य पर निगरानी रखनेवाले अधिकृत संगठन ने की है। साथ ही, मानव अधिकार परिषद में पाकिस्तान की सदस्यता को क्यों ठुकराया जाए, इसके पीछे होनेवाले कारणों की सूचि ही इस संगठन ने पेश की है। इसमें, अभिव्यक्ती स्वतंत्रता के विषय में अन्यों को पाठ दे रहें पाकिस्तान में ही अल्पसंख्यांकों से हो रहा भेदभरा बर्ताव, वांशिक हिंसा और जबरन धर्मपरिवर्तन के मामलों की मिसालें इस संगठन ने पेश कीं।

pak-unwatchबीते सप्ताह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार ने, फ्रान्स में शिक्षक पर हुए आतंकी हमले का समर्थन किया था। प्रधानमंत्री इम्रान खान ने किए इस उकसाऊ बयान को, पाकिस्तानस्थित चरमपंथियों का ज़ोरदार समर्थन प्राप्त हुआ था। संयुक्त राष्ट्रसंघ के कार्य पर निगरानी रखनेवाले ‘यूएनवॉच’ इस जिनेवा स्थित संगठन ने, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री द्वारा किये गए इस बयान की जोरदार आलोचना करके, पाकिस्तान कर रहें मानव अधिकारों के उल्लंघन की सूचि ही पढ़कर बताई। इसके लिए, दस दिन पहले ही मानव अधिकार परिषद में पाकिस्तान की सदस्यता के विरोध में पेश किये गए खत में लिखे अहम मुद्दे इस संगठन ने प्रस्तुत किए।

मानव अधिकारों के उल्लंघन के विषय में पाकिस्तान का इतिहास काफी भयंकर है। फिर भी मानव अधिकार परिषद में पाकिस्तान का दोबारा चयन होना बड़ी खराब घटना है, ऐसी फटकार ‘यूएन वॉच’ ने लगाई है। पाकिस्तान में चरमपंथी संगठन, अपने धार्मिक अधिकारों की आड़ में अल्पसंख्यांकों पर हमलें करके उनकी हत्या करवा रहे है, यह आरोप भी इस संगठन ने रखा। इसके लिए ‘यूएन वॉच’ ने, ‘आसिया बिबी’ नामक ख्रिस्ती महिला पर हुए अत्याचारों की घटना सामने रखी। आसिया बिबी के समर्थन में खड़े रहें पाकिस्तान के दो राजनीतिक नेताओं की हत्या की गई है, यह कहकर, पाकिस्तान में अल्पसंख्यांक नागरिकों से हो रहे अन्याय भरे बर्ताव तथा चरमपंथियों के वर्चस्व के मुद्दे पर ‘यूएन वॉच’ ने फटकार लगाई है।

pak-unwatchइसके साथ ही, अभिव्यक्ती स्वतंत्रता पर अन्यों को पाठ पढ़ानेवाले पाकिस्तान में पत्रकारों का हो रहा अपहरण और उनकी हत्या के मामलें, यह भीषण बात होने की याद इस संगठन ने ताज़ा की। पत्रकारों के लिए खतरनाक साबित हो रहें देशों में पाकिस्तान का समावेश होता है, इसपर भी ‘यूएन वॉच’ ने ग़ौर फ़रमाया हैं। बाल-विवाह, बच्चों का अपहरण, यौन शोषण के अपराधिक मामलों में भी पाकिस्तान उपरी स्थान पर होने का बयान इस संगठन ने अपने खत में किया है। ऐसे मानव अधिकारों की बिल्कुल परवाह ना करनेवाले पाकिस्तान का, मानव अधिकारों के परिषद में दोबारा चयन कैसे हो सकता है, ऐसा ठेंठ सवाल इस संगठन ने अपने खत में उपस्थित किया था। ‘यूएन वॉच’ ने की हुई इस आलोचना ने पाकिस्तान को बहुत परेशान किया है।

‘यूएन वॉच’ संगठन का संयुक्त राष्ट्रसंघ से कुछ भी संबंध नहीं है, यह दावा करना पाकिस्तान ने शुरू किया है। यह संगठन इस्रायल के प्रभाव में होने का आरोप करके पाकिस्तान ने, अपने देश में अल्पसंख्यांकों पर हो रहें अत्याचारों का अप्रत्यक्ष समर्थन ही किया है।

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