नासा का ‘पर्सिवरन्स रोवर’ मंगल के सतह पर उतरा

वॉशिंग्टन – अमरीकी अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ द्वारा प्रक्षेपित किया गया ‘पर्सिवरन्स रोवर’ मंगल की सतह पर उतरने में सफल हुआ है। भारतीय समय के अनुसार गुरूवार देर रात के बाद तकरीबन ढ़ाई बजे यह ‘रोवर’ मंगल की सतह पर उतरने का ऐलान नासा ने किया। बीते १० दिनों में शुरू हुआ यह तीसरा मंगल अभियान है और इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और चीन के यान भी मंगल से संबंधित अनुसंधान का कार्य करने के लिए दाखिल हुए हैं। नासा के ‘पर्सिवरन्स रोवर’ अभियान में भारतीय वंश की स्वाती मोहन नामक वैज्ञानिका का अहम योगदान होने की जानकारी साझा की गई है।

Nasa-Marsबीते सात महीनों में कुल ४७ करोड़ से अधिक किलोमीटर की यात्रा करके ‘पर्सिवरन्स रोवर’ मंगल की सतह पर दाखिल हुआ है। इस ‘रोवर’ के साथ नासा ने पहली बार एक ‘हेलिकॉप्टर’ भी रवाना किया है और इसका नाम ‘इनजेन्युइटी’ रखा गया है। यह रोवर जिस क्षेत्र में जा नहीं पाएगा, उस क्षेत्र की भौगोलिक जानकारी प्राप्त करने का ज़िम्मा इस हेलिकॉप्टर का रहेगा। मंगल ग्रह पर एक ‘हेलिकॉप्टर’ अभियान चलाने का यह पहला अवसर है।

इस रोवर पर दो प्रगत कैमेरे, लेज़र इमेजर, लेज़र स्कैनर, राड़ार, एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर, वेदर सेन्सर, एक्स्प्लोरेशन टेक्नॉलॉजी एक्सपेरिमेंट जैसे विभिन्न यंत्रणाओं को जोड़ा गया है। यह ‘रो्वर’ लगभग दो वर्ष तक मंगल की सतह पर अनुसंधान का कार्य करेगा। इनमें से ‘जेज़िरो क्रेटर’ का अध्ययन इस मुहिम का सबसे अहम चरण माना जा रहा है। मंगल ग्रह के इस सतह पर पहले तालाब था, यह समझा जा रहा है और इस क्षेत्र में जीव सृष्टि से संबंधित जानकारी प्राप्त होने की संभावना जताई जा रही है। नासा ने ‘पर्सिवरन्स रोवर’ मुहिम के लिए तकरीबन २.७५ अरब डॉलर्स के प्रावधान की बात कही जाती है।

मंगल की सतह पर नासा ने रोवर उतारने की बीते दशक से यह दूसरा अवसर है। इससे पहले अगस्त २०१२ में नासा ने ‘क्युरिऑसिटी रोवर’ मंगल की सतह पर उतारा था। फिलहाल विश्‍व के पांच अलग अलग देशों के १० अभियान मंगल ग्रह एवं इसके करीबी क्षेत्र में सक्रिय हैं। इनमें अमरीका की नासा के पांच अभियानों के साथ भारत, यूरोपिय महासंघ, चीन और यूएई के अभियानों का समावेश है।

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