‘म्यूकरमायकोसिस’ की दवा को ‘जीएसटी’ से छूट – कोरोना से संबंधित राहत सामान भी ३१ अगस्त तक ‘जीएसटी’ से मुक्त

नई दिल्ली – सात महीनों के अवधि के बाद ‘जीएसटी काउन्सिल’ की बैठक शुक्रवार के दिन हुई। इस बैठक में ‘म्यूकरमायकोसिस’ यानी ‘ब्लैक फंगस’ की ‘एम्फोटेरिसीन-बी’ दवा, जीएसटी के दायरे से बाहर करने के निर्णय किया गया है। साथ ही, कोरोना के विरोध में जारी जंग के लिए अन्य देशों से पहुँच रहीं राहत सामग्री भी ३१ अगस्त तक ‘जीएसटी’ के दायरे से बाहर रहेगी। राहत सामान को ‘जीएसटी’ से दी गई छूट की अवधि बढ़ाने का निर्णय इस बैठक में किया गया है। इसके अलावा, कोरोना के दौर में ब्यापारियों के सामने खड़े हुए संकट समय में ‘जीएसटी रिटर्न’ संबंधित राहत देनेवाले निर्णय भी इस बैठक में किए गए।

mucermycosis-gst-1‘जीएसटी काउन्सिल’ की ४३ वीं बैठक शुक्रवार के दिन हुई। आखिरी बैठक वर्ष २०२० के अक्तूबर महीने में हुई थी। आम तौर पर हर तीन महीने बाद जीएसटी काउन्सिल की बैठक होती है। इसके अनुसार फ़रवरी महीने में ‘जीएसटी काउन्सिल’ की बैठक होनी थी। लेकिन, कुछ राज्यों में चुनाव घोषित होने से आचार संहिता लगने पर इस बैठक के समय में बदलाव किया गया था। इस वजह से अब नई जीएसटी काउन्सिल गठित होने के बाद यह बैठक हो रही है, यह बात केंद्रीय अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने कही।

इस बैठक में कोरोना का इलाज़ करने के लिए इस्तेमाल हो रहीं दवाइयों पर क्या निर्णय होता है एवं संकट के इस दौर में ‘जीएसटी’ अदा कर रहें ब्यापारियों को सरकार कैसे राहत देती है, इस ओर भी नज़रे लगी थी। बैठक में इससे संबंधित निर्णय हुए हैं। कोरोना का इलाज़ करने के लिए इस्तेमाल हो रहीं दवाइयों के ‘जीएसटी’ में कोई भी बदलाव ना करने का निर्णय ‘जीएसटी काउन्सिल’ ने किया है।

mucermycosis-gst-2साथ ही ‘म्यूकरमायकोसिस’ की ‘एम्फोटेरिसीन-बी’ दवा की आयात पर भी जीएसटी वसूला नहीं जाएगा। इस दवा को, ‘जीएसटी’ के दायरे से बाहर रखीं दवाईयों की सूचि में शामिल करने का निर्णय हुआ है। फिलहाल देश में ‘म्यूकरमायकोसिस’ के मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है। साथ ही इस वजह से इस दवा की माँग बढ़ी है और इस दवा की किल्लत महसूस हो रही है। इस दवा की बड़ी मात्रा में आयात भी करनी पड़ रही हैं। इसके अलावा दवा का उत्पादन बढ़ाने के लिए ९ कंपनियों को लायसन्स भी दिए गए हैं। इस दवा की सप्लाई बढ़ाने के साथ ही, इस दवा की कीमत कम करने की कोशिश भी सरकार कर रही है, इस नज़रिये से यह निर्णय अहमियत रखता है।

साथ ही संकट में फंसे ब्यापारियों को बड़ी राहत देने का निर्णय भी इस बैठक में हुआ हैं। इस बैठक में छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए कंप्लायन्स का भार कम किया गया है। दो करोड़ से भी कम कारोबार कर रहें छोटे व्यापारियों के लिए जीएसटी रिटर्न भरने के लिए समय में सहूलियत प्रदान की गई है। इस वर्ष में इसका रिटर्न फाईल करना भी बंधनकारक नहीं रहेगा। साथ ही लेट फी भी कम करने का निर्णय किया गया है। इसके अलावा एम्नेस्टी योजना पेश की गई है और इस योजना के तहत जिन व्यापारियों ने जीएसटी रिटर्न नहीं भरा हैं, उन्हें कम लेट फी अदा करके जीएसटी रिटर्न भरने की सहूलियत प्राप्त हुई है। इससे व्यापारियों को बड़ा लाभ प्राप्त होगा।

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