‘हिजबुल का कमांडर झाकीर मुसा के वीड़ियो की वजह से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता दुविधा में

श्रीनगर, दि. १४ : जम्मू-कश्मीर के अलगाव नेताओं का सीर काटकर लाल चौक में लटकाने की धमकी देनेवाला ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ का कंमाडर झाकीर मुसा अब इस आतंकवादी संगठन से अलग हुआ है| इसके कारण जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी कारनामों को अंजाम देनेवाले ‘हिजबुल’ में दरार पड़ी है ऐसा दिखाई दे रहा है| साथ ही, पिछले हफ़्तेभर में मुसा ने जारी किये तीन वीड़ियोज़ से यह बात सामने आयी है कि जम्मू-कश्मीर में ‘आयएस’ इस आतंकवादी संगठन को माननेवाला गुट मुसा की अगुआई में सक्रिय हुआ है| इसीके साथ, ‘जम्मू-कश्मीर का संघर्ष यह आज़ादी के लिए है’ ऐसा अब तक दावा करनेवाले अलगाववादी नेताओं का असली चेहरा जनता के सामने आया है|

झाकीर मुसापिछले साल जम्मू-कश्मीर में ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ का कमांडर बुर्‍हान वानी मारा गया था| बुर्‍हान वानी की जगह पर ‘हिजबुल मुझाहिद्दीन’ का कमांडर बने झाकीर मुसा ने पिछले हफ्तों में जारी किये वीड़ियो से खलबली मची थी| ‘पत्थर फेंकनेवाले छात्राओं! ऐसे आंदोलन में शामिल मत होना, घर बैंठो| क्योंकि शरीयत औरतों को आंदोलन में शामिल होने की इजाज़त देता नहीं| इससे जम्मू-कश्मीर में शरीयत लागू करने के लिए शुरू हुए संघर्ष को झटका लगा है,’ ऐसी चेतावनी एक एक वीड़ियो के द्वारा झाकीर मुसा ने दी थी| इस वीड़ियो में किये गये ‘इस्लामिक स्टेट’ के ज़िक्र से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं बहुत ही दुविधा में डाला| जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के मध्यवर्ती संगठन रही ‘हुरियत कॉन्फरन्स’ ने इसके बाद तुरंत अपने वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक बुलवाई थी|

इस बैठक के बाद मुसा के वीड़ियो के बयानों से खुद को अलग करने की कोशिश सय्यद अली शहा गिलानी, मिरवाझ फारुक जैसे अलगाववादी नेता करने लगे| ‘कश्मीर का संघर्ष धर्म के लिए नहीं, यह ‘राजनीतिक’ संघर्ष है’ ऐसा इन नेताओं ने कहा है| इसके बाद, दो दिन पहले मुसा से और एक वीड़ियो जारी किया गया| इस वीड़ियो में, ‘जम्मू-कश्मीर में पिछले २७ साल से चल रहा हिंसक संघर्ष ‘इस्लामिक स्टेट’ के लिये है’ ऐसा मुसा ने स्पष्ट रूप में कहा है और ‘इस संघर्ष को ‘राजनीतिक’ कहनेवाले हुरियत नेताओं का सिर काटकर श्रीनगर के विख्यात लाल चौक में लटकाने की’ धमकी इस वीड़ियो द्वारा मुसा ने दी है|

पाकिस्तान के समर्थन पर जम्मू-कश्मीर के युवाओं को पथराव करने के लिए उक़साने का काम अब तक अलगाववादी नेताओं ने किया था| साथ ही, ‘हिजबुल’, ‘लश्कर-ए-तोयबा’, ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इन जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों से होनेवाले हमलों की ओर, बतौर ‘जम्मू-कश्मीर की आज़ादी का संघर्ष’ अलगाववादी नेता देखते चले आये हैं| इसमें छात्रों को शामिल करने के लिए इन अलगाववादी नेताओं ने युवको का भवितव्य भी दाँव पर लगाया| आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर में स्कूलों में आग लगाने के बाद भी अलगाववादी नेताओं ने इसका समर्थन किया था|

लेकिन मुसा के इस जाहीर कबूलनामे की वजह से जम्मू-कश्मीर में आज़ादी के नाम पर अब तक जो हिंसाचार चल रहा था, उसका असली रूप सामने आया है| इससे अपना भी असली आतंकवादी चेहरा दुनिया के सामने आयेगा, यह डर इन अलगाववादी नेताओं को सता रहा है|

जम्मू-कश्मीर में चल रहे हिंसाचार को पाकिस्तान का समर्थन है| अलगाववादी गुटों को भी पाकिस्तान का समर्थन है, हवाला के ज़रिये करोड़ो रुपये इसके लिए आते हैं, यह बात छिप कर नहीं रही है| इसी वजह से, मुसा ने अलगाववादी नेताओं को धमकाने के बाद पाकिस्तान-पुरस्कृत ‘हिजबुल मुजाहिद्दीन’ ने, ‘मुसा के बयानों का ‘हिजबुल’ से कोई संबंध नहीं है’ ऐसा एक वीड़ियो जारी कर दिया है| वहीं, उसके बाद मुसा ने फिर एक वीड़ियो जारी कर ‘हिजबुल यदि मेरे बयानों से खुद को अलग कर रहा है, तो मुझे भी ‘हिजबुल’ से कोई संबंध रखने नहीं हैं’ ऐसा घोषित किया है|

इसी वजह से मुसा जम्मू-कश्मीर में, बतौर ‘आयएस का चेहरा’ सामने आया है| वहीं, कुछ और ‘आयएस’ समर्थक मुसा को जा मिलेंगे और कश्मीर में यह ‘आयएस’ समर्थक गुट सक्रिय होगा, ऐसा डर जताया जा रहा है| पिछले हफ्ते में जम्मू-कश्मीर में कुछ युवा ईराक और सीरीया स्थित ‘आयएस’ के आतंकवादियों के संपर्क में रहने की और ‘आयएस’ जम्मू-कश्मीर में अपना अड्डा स्थापित करने की कोशिश में है, ऐसी आशंका रक्षा एजन्सियों ने जतायी थी|

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