विदेश मंत्री जयशंकर कुवैत के दौरे पर

कुवैतदोहा – विदेश मंत्री एस. जयशंकर कतार के दौरे पर हैं। भारत में जब कोरोना की दूसरी लहर आई थी, तब कतार ने की सहायता के लिए विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रिया अदा किया। कतार के दौरे के बाद विदेश मंत्री जयशंकर कुवैत का दौरा करनेवाले हैं। खाड़ी क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ रही है, ऐसे में भारत के विदेश मंत्री का यह खाड़ी क्षेत्र के देशों का दौरा गौरतलब साबित होता है। ख़ासकर जब खाड़ी क्षेत्र के देश भारत के साथ इंधन विषयक सहयोग अधिक से अधिक दृढ़ करने के लिए कोशिशें कर रहे हैं और ईरान से भी भारत को नया प्रस्ताव दिया जा रहा है, तब विदेश मंत्री जयशंकर के इस दौरे का महत्व बढ़ा हुआ दिख रहा है।

विदेश मंत्री जयशंकर कुवैत की इन दिनों के दौरे के लिए निकले थे। उससे पहले उन्होंने कतार की राजधानी दोहा में कतार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोहम्मद बिन अहमद अल मेस्नेद से भेंट की। कोरोना के विरोध में भारत जंग लड़ते समय, कतार ने की सहायता के लिए विदेश मंत्री जयशंकर ने उनका शुक्रिया अदा किया। साथ ही, कतार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ हुई चर्चा पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने संतोष ज़ाहिर किया है। इसके बाद जयशंकर कुवैत के दौरे पर जानेवाले होकर, इस दौरे में दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण सहयोग पर मुहर लगेगी, ऐसे संकेत मिल रहे हैं।

कुवैत के विदेश मंत्री ‘शेख अहमद नासिर अल-मोहम्मद अल-सबाह’ ने विदेश मंत्री जयशंकर को इस दौरे का निमंत्रण दिया था। भारत और कुवैत के बीच द्विपक्षीय सहयोग अधिक मजबूत करने के लिए यह दौरा आयोजित किया गया होने का दावा किया जाता है। विदेश मंत्री जयशंकर का यह पहला ही कुवैत दौरा है। इस दौरे में वे कुवैत के वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे। साथ ही, कुवैत में निवास कर रहे भारतीय समुदाय को भी विदेश मंत्री जयशंकर संबोधित करनेवाले हैं। इसी बीच, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुवैत के अमीर ‘शेख नवाफ अल-अहमद अल-झबेर अल-सबाह’ के लिए दिया हुआ पत्र इस समय विदेश मंत्री जयशंकर उन्हें देंगे, ऐसी खबर है।

भारत और कुवैत के बीच के संबंधों को साठ साल पूरे हो रहे हैं। कुवैत में लगभग दस लाख भारतीय कार्यरत हैं। आनेवाले समय में भारत और कुवैत के बीच सहयोग अधिक ही दृढ़ करने का निर्धारण दोनों देशों के प्रमुख नेताओं ने किया है। विदेश मंत्री जयशंकर का यह दौरा उसके लिए उपकारी साबित होगा, ऐसा कहा जाता है। इसी बीच, कोरोना की दूसरी लहर थमने के असार दिखते समय, भारतीय अर्थव्यवस्था पहले जैसे होने के संकेत मिल रहे हैं। इस कारण भारत में ईंधन की माँग बड़े पैमाने पर बढ़नेवाली होकर, इंधन उत्पादक देश भारत की ओर बड़ी उम्मीद के साथ देख रहे हैं। उसी समय, दुनिया भर में बढ़ रही अस्थिरता की पृष्ठभूमि पर, भारत भी अपनी इंधन सुरक्षा अधिक ही मज़बूत करने की तैयारी में है। इस कारण खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ भारत के सहयोग का महत्व भी उसी मात्रा में बढ़ता दिख रहा है।

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