विदेशमंत्री एस. जयशंकर कतार के दौरे पर

नई दिल्ली – विदेशमंत्री एस. जयशंकर का कतार दौरा शुरू हुआ है। इस दौरे के आरंभ में उन्होंने कतार के व्यापार एवं उद्योगक्षेत्र के नेताओं से चर्चा की होने की जानकारी विदेशमंत्री जयशंकर ने दी। इस समय, ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के कारण निर्माण हुए अवसरों की जानकारी कतार के उद्योगक्षेत्र को दी, ऐसा विदेशमंत्री ने स्पष्ट किया। पिछले चार महीनों से भारतीय नेता, पश्‍चिम आशियाई देशांचे दौरे कर रहे हैं। साथ ही, इस क्षेत्र के देशों द्वारा भारत में होनेवाले निवेश में लक्षणीय बडॆहोतरी हो रही है। उसी प्रकार, इन देशों के साथ भारत का सामरिक सहयोग अधिक से अधिक दृढ बनता चला जा रहा है, यह बात भारतीय नेताओं के इन दौरे से स्पष्ट हो रही है।

कतार भारत को ईंधन की सप्लाई करनेवाला खाड़ी क्षेत्र का अहम देश है। सन २०१९-२० इस वित्तीय वर्ष में दोनों देशों के बीच लगभग १०.९५ अरब डॉलर्स इतना व्यापार हुआ था। कतार में सात लाख भारतीय कर्मचारी कार्यरत हैं। आनेवाले समय में भारत में अपना निवेश बढ़ाने का निर्धार कतार ने किया है। इसके लिए दोनों देशों ने ‘टास्क फोर्स’ का गठन करने का फ़ैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतार के अमीर ‘शेख तमिम बिन हमाद अल-थानी’ के बीच इस महीने में फोन पर चर्चा हुई। इस चर्चा में इस टास्क फोर्स की स्थापना का निर्णय हुआ था। भारत के विदेशमंत्री की कतार भेंट यह इस सहयोग का भाग होने की बात सामाने आ रही है।

सितम्बर महीने में भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने मॉस्को में आयोजित की गई ‘एससीओ’ की बैठक के लिए जाते समय ईरान की भेंट की थी। वहीं, नवम्बर में विदेशमंत्री जयशंकर ने ‘युएई’ तथा बाहरिन इन ख़ाड़ी क्षेत्र का दौरा किया था। कुछ दिन पहल्रे लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने ‘युएई’ और ‘सौदी अरब’ की भेंट की थी। भारतीय लष्करप्रमुख इस प्रकार से पहली ही बार सौदी और युएई के दौरे पर गये थे और उनका यह दौरा ऐतिहासिक माना जा रहा है। वहीं, उपविदेश मंत्री व्ही. मुरलीधरन ने भी हाल ही ओमान का दौरा किया था।

भारतीय नेता और लष्करप्रमुख के इस दौरे से यही दिखाई दे रहा है कि पश्‍चिम एशियाई क्षेत्र में भारत का सहयोग अधिक से अधिक दृढ होता दिखायी दे रहा है। अमरीका में बायडेन का प्रशासन सत्ता की बागड़ोर सँभालने की तैयारी कर रहा है। उनकी ईरानविषयक नीति के कारण खाड़ीक्षेत्र के देशों में बेचैनी फ़ैली हुई है। उसी समय, कोरोना की महामारी के कारण सभी देशों की अर्थव्यवस्था के सामने गंभीर समस्याएँ खड़ीं हुईं हैं। अब तक ईंधन की निर्यात पर निर्भर होनेवाले खाड़ीक्षेत्र के देशों ने इसपर की निर्भरता कम करने की तैयारी की है। साथ ही ये देश निवेश के लिए विश्‍वासार्ह विकल्प की खोज में हैं।

इससे भारत की अहमियत भारी मात्रा में बढ़ी होकर, पश्‍चिम एशियाई देशों ने भारत के साथ व्यापार तथा निवेश बढ़ाने के लिए तेज़ी से कदम उठाने की शुरुआत की है। भारतीय नेताओं के पश्‍चिम एशियाई देशों के बढ़ते दौरों को यह पृष्ठभूमि प्राप्त है। वहीं, पाकिस्तान पर हमला करने के लिए पश्‍चिम एशियाई देशों का समर्थन प्राप्त करने के लिए भारत ये गतिविधियाँ कर रहा होने का आरोप पाकिस्तान के विदेशमंत्री ने किया था। भारत ने यह आरोप ठुकराया है।

आनेवाले समय में खाड़ीक्षेत्र के देश, भारत की मर्ज़ी रखने के लिए पाकिस्तानी कामगारों को निकालबाहर करके, उनके स्थान पर भारतीय कामगारों को नियुक्त करेंगे, ऐसा डर पाकिस्तानी पत्रकार व्यक्त कर रहे हैं। यदि वैसा हुआ, तो उससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा नुकसान होगा और भारत यही चाहता है, ऐसा इन पाकिस्तानी पत्रकारों का कहना है। लेकिन भारत इस प्रकार आक्रामक विदेश नीति पर काम कर रहा है; वहीं, पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय इस मोरचे पर पूरी तरह असफल साबित हुआ है, ऐसी आलोचना इन पत्रकारों द्वारा की जा रही है।

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