रोहिंग्या घुसपैठ की आशंका बढ़ने से म्यानमार एवं बांग्लादेश सीमा पर भारत का सुरक्षा दल सतर्क

नई दिल्ली: रोहिंग्या शरणार्थियों के घुसपैठ की आशंका बढ़ने से भारत ने म्यानमार और बांग्लादेश सीमा रेखा पर सतर्कता बढाई है। इसकी वजह से त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने रोहिंग्या शरणार्थी अपनी सुरक्षा के लिए खतरा होने की बात कहकर केंद्र सरकार ने इस बारे मे स्वीकारी हुई भूमिका का समर्थन किया है। गंदी राजनीति की वजह से रोहिंग्या शरणार्थियों के पक्ष मे भूमिका ली जा रही है, ऐसा स्पष्ट मत त्रिपुरा के राज्यपाल ने व्यक्त किया है।

शुक्रवार से सर्वोच्च न्यायालय मे रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे मे दाखिल हुई याचिका पर सुनवाई होने वाली है। भावनिक एवं मानव अधिकार के दृष्टिकोण से रोहिंग्या का मुद्दा नहीं देखा जा सकता बल्कि कानूनन मुद्दों पर ही विचार होगा, ऐसा सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था। इस संदर्भ मे सर्वोच्च न्यायालय मे केंद्र सरकार ने दाखिल किए प्रतिज्ञापत्र मे रोहिंग्या शरणार्थियों से देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा होने की बात कही है। तथा इन शरणार्थियों की वजह से जनसंख्या मे बड़ी तादाद मे बदलाव हो रहे है, ऐसी चिंता प्रतिज्ञापत्र मे व्यक्त की गई है। साथ ही रोहिंग्या शरणार्थियों का आतंकी संगठन से होनेवाला उपयोग इस पर भी केंद्र सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है।

सुरक्षा दलसर्वोच्च न्यायालय मे रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे मे मुकदमे की सुनवाई शुरू होते समय, म्यानमार और बांग्लादेश के रोहिंग्या झुंड भारत की सीमा मे घुसपैठ करने की तैयारी सामने आ रही है। इसकी वजह से सरकारने म्यानमार तथा बांग्लादेश सीमा पर सतर्कता बढाई है और यहां तैनात हुए सुरक्षा दलों को सतर्क रहने का आदेश दिया है। आसाम मे कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों ने घुसपैठ करने की जानकारी सामने आई थी। इस पृष्ठभूमि पर वहां सावधानता बढाई जाएगी। भारत अधिकृत रूप से १४ हजार रोहिंग्या शरणार्थी आए है और उन्हें देश मे आश्रय दिया जा सकता है, ऐसा भारत सरकार का कहना है। पर अवैधरूप से घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या को देश मे आश्रय नहीं दिया जा सकता है, ऐसा सरकारने स्पष्ट किया है।

इस पृष्ठभूमि पर, रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या पर आयोजित किए एक परिसंवाद मे बोलते समय, त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने अपनी स्पष्ट भूमिका प्रस्तुत की है। रोहिंग्या शरणार्थियों से देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो सकता है, ऐसा रॉय ने कहा है। केंद्र सरकार ने इस बारे मे स्वीकारी हुई भूमिका का रॉय ने स्वागत किया है। म्यानमार के राखीन प्रांत मे रोहिंग्या का वास्तव्य है। वह भाग भारत की सीमा रेखा से बहुत दूर है। ऐसा होते हुए भी भारत रोहिंग्याओ को आश्रय क्यों दे, ऐसा सवाल तथागत रॉयने किया है। ऐसा होते हुए भी अगर भारत रोहिंग्या को आश्रय देता है, तो फिर इस न्याय से भारत को सभी शरणार्थियों को आश्रय देना होगा इस पर तथागत रॉय ने ध्यान केंद्रित किया है।

रोहिंग्या शरणार्थियों को देश मे आश्रय मिले ऐसी मांग की जा रही है। भारत इस मुद्दे पर मानवतावादी दृष्टिकोण से देखें। अब तक शरणार्थियों को आश्रय देने की महान परंपरा अपने देश मे चलती आ रही है। ऐसा रोहिंग्या के पक्ष से बहस करने वालों का कहना है। इस बारे मे बोलते समय राज्यपाल तथागत रॉयने यह रोहिंग्या का समर्थन एक गंदी राजनीति का भाग है, ऐसी कड़ी आलोचना की है।

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