उत्तर कोरिया के सायबर हमले मे अमरीका–दक्षिण कोरिया के ‘वॉर प्लान्स’ हॅक

सेउल: उत्तर कोरिया के हॅकर्स ने किए सायबर हमले मे अमरीका और दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के विरोध में बनाई युद्ध की योजना हॅक होने की बात उजागर हुई है। दक्षिण कोरिया के वरिष्ठ संसद सदस्य ने उसका इकबालिया बयान दिया है और रक्षा विभाग के नेटवर्क से लगभग २३५ गीगाबाइट (जीबी) इतनी बड़ी तादाद मे जानकारी चुराने की बात स्पष्ट हुई है। उत्तर कोरिया के हॅकर्स ने अब तक किए हमले मे यह सबसे बड़ा और चौका देने वाला सायबर हमला माना जा रहा है। इस हमले की वजह से उत्तर कोरिया के विरोध मे लष्करी तथा राजनीतिक प्रयत्न पर अंकुश लग सकता है, ऐसा दावा किया जा रहा है।

‘वॉर प्लान्स’दक्षिण कोरिया के सत्ताधारी ‘डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ कोरिया’ के संसद सदस्य ‘री चेउल ही’ ने उत्तर कोरिया के सायबर हमले की जानकारी उजागर की है। दक्षिण कोरिया के रक्षा विभाग के अधिकारियों ने दिए जानकारी के अनुसार राजधानी सेउल मे लश्कर के डाटा सेंटर से लगभग २३५ जीबी जानकारी चुराई गई है। चुराई गई जानकारी मे १८२ जीबी डाटा किस बारे मे है इसकी ठोस कल्पना नहीं है ऐसा किसी ने कहा है।

पर उजागर हुई लगभग ५३ जीबी डाटा मे २२६ ‘सीक्रेट फाइल्स’ और ४२ ‘कॉन्फिडेंशियल फ़ाइल्स’ का समावेश है। उसमे अमरीका एवं दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के विरोध मे बनाई युद्ध की योजना ‘ऑपरेशन प्लान ५०१५’ एवं ‘प्लेन ३१००’ का समावेश है। यह प्लान मतलब उत्तर कोरिया के विरोध मे युद्ध की ‘ब्लू प्रिंट’ होने की बात कही जा रही है। इसके विपरीत उत्तर कोरिया की हुकुमशाह ‘किम जोंग-उन’ एवं देश के वरिष्ठ नेता तथा अधिकारियों के हत्या की योजना होने वाले मी ‘कैपिटेशन स्ट्राइक प्लेन’ भी चुराया जाने की जानकारी का समावेश है।

‘वॉर प्लान्स’‘प्लेन-३१००’ मे उत्तर कोरिया के लष्करी कारवाई के विरोध मे दक्षिण कोरिया का की प्रतिक्रिया और अमरीका एवं दक्षिण कोरिया के युद्धाभ्यास की जानकारी थी। उत्तर कोरिया के हॅकर्स ने पिछले वर्ष दक्षिण कोरिया के रक्षा विभाग के वेबसाइट पर सायबर हमला करके करने की बात सामने आयी थी। पर यह हमला बड़ा न होने एवं विशेष हानि न होने की बात कही जा रही थी। पर इस वर्ष मई महीने मे सायबर हमले की व्याप्ति बड़ी होने का वृत्त सामने आया है। लगभग ५ महीनों मे दक्षिण कोरिया ने स्वयं पर सायबर हमले के संदर्भ मे पहली बार बयान दिया है।

उत्तर कोरिया सरकार ने लगभग ३००० से अधिक हॅकर्स का समावेश होने वाले प्रबल ‘सायबर आर्मी’ तैयार की है। यह ‘सायबर आर्मी’ ‘ब्यूरो १२१’ अथवा ‘लैझारस ग्रुप’ इस नाम से पहचानी जाती है। उत्तर कोरिया के सरकार के जनरल ब्यूरो ऑफ रिकौनेसन्स’ इस गुप्तचर विभाग के नियंत्रण मे होनेवाले इन हॅकर्स ने इससे पहले भी दक्षिण कोरिया पर सायबर हमले किए थे। दक्षिण कोरिया के नौदल से संबंधित कंपनी तथा ‘रडार नेटवर्क’ तैयार करनेवाले कंपनी पर भी उत्तर कोरिया ने इससे पहले सायबर हमले किए थे।

सन २०१४ वर्ष मे अमरीका के ‘सोनी पिक्चर्स’ इस कंपनी पर हुए सायबर हमला तथा ‘वौनाक्राय रैनसमवेयर’ के पीछे भी उत्तर कोरिया के हॅकर्स का हात होने की बात मानी जा रही है।

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