अगले पांच वर्षों में भारत के रक्षा सामान की निर्यात ३५ हजार करोड तक जा पहुंचेगी – सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने किया दावा

नई दिल्ली – अगले पांच वर्षों में भारत से करीबन ३५ हजार करोड रुपयों के रक्षा सामान की निर्यात होगी, यह विश्‍वास सेनाप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने व्यक्त किया है| राजधानी नई दिल्ली में आयोजित रक्षासंबंधी परिषद में सेनाप्रमुख बोल रहे थे| फिलहाल भारत ११ हजार करोड रुपयों की निर्यात कर रहा हैं| यह निर्यात वर्ष २०२४ तक ३५ हजार करोड रुपयों तक बढेगी, यह ऐलान करके सेनाप्रमुख ने सामरिक विश्‍लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है|

अपने पडोसी एवं मित्रदेशों की रक्षा जरूरतें ध्यान में रखकर भारत उन्हें रक्षासंबंधी आवश्यक सामान दे सकता है| अगले पांच वर्षों में यह प्रक्रिया तेज होगी और भारत करीबन ३५ हजार करोड रुपयों के रक्षा सामान की निर्यात करेगा, ऐसा सेनाप्रमुख जनरल रावत ने कहा| भारत सरकार ने सेना, नौसेना एवं वायुसेना का नेतृत्व करने के लिए रक्षादलप्रमुख पद का निर्माण करने का ऐलान किया था| फिलहाल सेनाप्रमुख का जिम्मा संभालनेवाले जनरल रावत ही देश के पहले रक्षादलप्रमुख होंगे, यह भी घोषित किया गया है| इस पृष्ठभूमि पर जनरल रावत ने नई दिल्ली में किया यह ऐलान ध्यान आकर्षित कर रहा है|

रक्षा सामन का सबसे अधिक आयात करनेवाले देश के तौर पर भारत की पहचान बनी है| यह पहचान गौरव योग्य नही है, ऐसा जनरल रावत ने हाल ही में कहा था| इसी लिए देश में रही रक्षा सामान का निर्माण एवं विकास हो, यह उम्मीद भी सेना प्रमुख ने व्यक्त की थी| साथ ही अगला युद्ध भारतीय सेना स्वदेशी लष्करी तकनीक के जोर पर लडेगी और जितेगी, यह विश्‍वास सेनाप्रमुख ने व्यक्त किया था| इसे कुछ दिन ही बीते थे, तभी अगले कुछ वर्षों में भारत ३५ हजार करोड रुपयों के रक्षा सामान का निर्यात करेगा, यह घोषित करके सेनाप्रमुख जनरल रावत ने इस मोर्चे पर देश ने प्रगति शुरू की है, यह संकेत भी दिए|

हथियार और रक्षा सामान के बाजार में भारत अभी भी ग्राहक समझा जाता है| पर, इस क्षेत्र में भारत की निर्यात लगभग ११ हजार करोड रुपयों तक जा पहुंचा है| पर अगले पांच वर्षों में यह चित्र तेजीसे बदलेगा और भारत बडी तादाद में रक्षा सामान का विकास करेगा, यह बात सेनाप्रमुख ने किए वक्तव्य से स्पष्ट हो रही है| इसके लिए भारत ने दुनिया की प्रमुख नामांकित कंपनियों के साथ सहयोग शुरू किया है और तकनीक के हस्तांतरण की शर्त रखकर ही भारत यह सहायता आगे बढा रहा है| नजदिकी समय में इस से भारत को लाभ हो सकता है|

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