संकट के दौर में श्रीलंका को भारत से प्राप्त होगी ४० करोड़ डॉलर्स की सहायता

कोलंबो, (वृत्तसंस्था) – कोरोना वायरस की महामारी के कारण आर्थिक संकट में फँसी श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को संजीवनी देने के लिए भारत ने सहायता का हाथ बढाया है। इससे पहले भारत ने श्रीलंका को हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन दवाई प्रदान की थी। इन दिनों श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट हो रही है और ऐसे में उभरें संकट से श्रीलंका को बाहर निकालने के लिए भारत श्रीलंका के साथ ४० करोड़ डॉलर्स के चलन की अदला-बदली कर रहा है। इसके लिए श्रीलंका की सरकार ने भारत से सहायता की माँग की थी।

श्रीलंका में महीने से भी अधिक समय से कर्फ्यू लगाया गया है। बीच के समय में यह कर्फ्यू हटाया गया था। लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज देखें जाने पर दुबारा कर्फ्यू लगाया गया। खास तौर पर पर्यटन पर निर्भर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था इस स्थिति में ढ़हने की कगार पर जा पहुँची है। जनता की प्राथमिक जरूरतें, स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करना भी श्रीलंका की सरकार के सामने चुनौती बनी है और इस वजह से सरकार के खर्च में और भी बढोतरी हुई है। साथ ही बैंकों में अतिरिक्त निवेश करना श्रीलंका की सरकार के लिए जरूरी बना हैं। इसके अलावा श्रीलंका की आयात में भी बढोतरी हुई हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति में श्रीलंका को विदेशी मुद्रा प्राप्त होना करीबन बंद हुआ है। इससे श्रीलंका के विदेशी मुद्रा भंडार में बडी गिरावट हुई हैं। इसके असर में श्रीलंका के रुपये का मूल्य अमरिकी डॉलर्स के सामने लगातार गिर रहा है और अर्थव्यवस्था और भी संकट में फँसने की संभावना बन रही है। इसी कारण विदेश मुद्रा हाथ में रखकर श्रीलंकन रुपये की गिरावट रोकने के लिए श्रीलंका ने भारत से सहायता माँगी थी।

आम समय में ऐसी स्थिति बनने पर सरकार खुले बाजार से डॉलर्स की खरीद करती है या कर्ज के माध्यम से डॉलर्स की प्राप्ति करके विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर कायम रखती है। लेकिन ऐसा प्रावधान करना श्रीलंका की सरकार को फिलहाल संभव नही है। इसी वजह से पहले ही बडे ब्याज दर पर चीन से प्राप्त किए कर्ज के भार के नीचे दबीं श्रीलंका को और कर्ज प्राप्त करने पर नए ब्याज का भार उठाना पडता। इस वजह से भारत के साथ ‘करन्सी स्वैप’ यानी चलन की अदला-बदली करने की राह चुनी गई है।

इसके अनुसार श्रीलंकन रुपये का वर्तमान का दर ध्यान में रखकर, उसी दर के आधार पर भारत ४० करोड डॉलर्स श्रीलंका को प्रदान कर रहा है। इसके बाद इस संकट से बाहर निकलने पर श्रीलंका ४० करोड डॉलर्स भारत को देगी और बदले में अपने रुपयों का चलन वापस लेगी। भारत की रिजर्व्ह बैंक ऑफ इंडिया और श्रीलंकन सरकार के बीच इस व्यवहार के लिए आवश्‍यक समझौता होगा। शुक्रवार के दिन श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाय राजपक्षे की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की मंत्रिमंडल ने इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया।

यह समझौता देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूती देने के लिए किया जा रहा है। इससे कुछ समय के लिए देश की जरूरतें पुरी करना संभव होगा, यह जानकारी श्रीलंका के सूचना एवं संचारमंत्री बंडाला गुणवर्धना ने प्रदान की है।

कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्क देशों के प्रमुखों से टेलिकान्फरन्स के जरिए बातचीत की थी और कोरोना की आपत्ति के दौर में इन देशों को सहायता प्रदान करने के लिए हाथ भी बढाया था। भारत की पहल से कोविड-19 फंड भी गठित किया गया। इससे सार्क देशों को कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। संकट के दौर में सार्क देशों को सहायता का हाथ आगे करने से इन देशों पर बनें भारत के प्रभाव में बढोतरी हुई हैं। सार्क देशों के साथ हुई बैठक में ही श्रीलंका के राष्ट्रपति गोताबाय राजपक्षे ने, श्रीलंका के सामने खडे आर्थिक संकट के बारे में भारत को अवगत कराया था। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देशों में मुद्रा की अदला-बदली करने के लिए समझौता हो रहा है।

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