टीके की सप्लाई के मुद्दे पर भारत ने किसी की भी नसीहत सुनने की जरूरत नहीं – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्यूएल मॅक्रॉन

पोर्तो/नई दिल्ली – भारत और २७ युरोपिय सदस्य देशों के ‘युरोपिय महासंघ’ के बीच पहला शिखर सम्मेलन शनिवार को संपन्न हुआ। पिछले साल भर कोरोना विरोधी जंग में भारत में सारी दुनिया को की सहायता के लिए यूरोपीय महासंघ तथा सदस्य देशों ने भारत का शुक्रिया अदा किया। इस सम्मेलन में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्यूएल मॅक्रॉन ने भारत का समर्थन किया। ‘कोरोनाप्रतिबंधक टीके की सप्लाई के मुद्दे पर भारत ने किसी की भी नसीहत सुनने की जरूरत नहीं है’, ऐसी फटकार राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने लगाई है। भारत में तैयार होनेवाले टीकों की सप्लाई अन्य देशों को नहीं की जाती, ऐसे ऐतराज़ कुछ लोगों द्वारा दर्ज किए जा रहे हैं। लेकिन अमरीका जैसी महासत्ता, उसके पास पड़े रहनेवाले टीकों की सप्लाई अन्य देशों को करने के लिए तैयार नहीं है, ऐसे में कोरोना की महामारी ज़ोरों पर होनेवाले भारत द्वारा ऐसी उदारता की उम्मीद नहीं रखी जा सकती, ऐसा संदेश फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने कुछ तो रूप में दिया दिख रहा है।

टीके की सप्लाई

दुनिया का नेतृत्व करनेवाली अमरीका, कोरोना के टीके की सप्लाई दुनिया के अविकसित देशों को करने के लिए पहल करें, ऐसा आवाहन भारत द्वारा किया जा रहा था। लेकिन भारत के आवाहन को अनदेखा करके, सबसे पहले अमरिकी जनता को इस टीके की सप्लाई करने की भूमिका बायडेन प्रशासन ने अपनाई थी। लेकिन अमरिकी सिनेटर्स द्वारा दबाव बनाए जाने के बाद, अमरीका ने कोरोना के टीके को बुद्धिसंपदा कानून के दायरे से हटाया था।

दुनिया भर में कोरोना की महामारी हाहाकार मचा रही है, ऐसे में अमरीका ने अपनाई भूमिका की युरोपीय महासंघ में ज़ोरदार आलोचना की है। अमरीका का फैसला अल्प समय के लिए फायदेमंद नहीं है। क्योंकि अमरीका के फैसले के बाद जागतिक व्यापार संगठन में इस बारे में फैसला होकर, फिर टीके का निर्माण किया जाएगा और उसमें देर हो सकती है। इसलिए अगर कोरोना के विरोध में बड़ी कार्रवाई करनी हो, तो अमरीका अपनी निर्यात पर लगाए प्रतिबंध हटाएँ, ऐसा आवाहन युरोपीय महासंघ के कौन्सिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने किया।

इसी बैठक में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने भारत की उदार भूमिका की प्रशंसा की। ‘पिछले साल भर में कोरोनाविरोधी संघर्ष में भारत ने दुनियाभर के देशों को वैद्यकीय तथा मानवतावादी सहायता की आपूर्ति की है। यहाँ तक कि भारत में जब कोरोना की महामारी फैल रही थी, तब भी भारत ने अन्य देशों की सहायता की थी। इसलिए कोरोनाप्रतिबंधक टीके की सप्लाई के मुद्दे पर भारत को किसी की भी नसीहत सुनने की जरूरत नहीं है’, ऐसा मॅक्रॉन ने डटकर कहा।

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