भारत और अमरीका के वैज्ञानिक करेंगे कोरोना से संबंधित संयुक्त रिसर्च

नई दिल्ली – कोरोना की महामारी रोकने के लिए विभिन्न स्तरों पर अनुसंधान का कार्य शुरू है। इसी बीच भारत और अमरीका के वैज्ञानिक प्राथमिक निदान का परीक्षण, ऐंटिवायरल थेरपी, ड्रग रीपर्पोज़िंग, वेंटिलेटर रिसर्च, कोरोना के आसारों की पहचान करनेवाले सेन्सर जैसे कोरोना से संबंधित उपकरणों की रिसर्च का काम शुरू कर रहे हैं। इसके लिए दोनों देशों के वैज्ञानिकों के ११ गुट तैयार किए गए हैं, ऐसी जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने साझा की।

india-usa‘यूएस-इंडिया सायन्स ऐण्ड टेक्नॉलॉजी एंडोवमेंट फंड़’ (यूएसआयएसटीईएफ) के माध्यम से इस अनुसंधान के लिए सहायता प्रदान हो रही है। भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं अमरीका के बीच हुए समझौते के तहत ‘यूएआयएसटीईएफ’ का निर्माण किया गया था। इसके अनुसार वैज्ञानिकों के ११ गुट तैयार किए गए हैं और जल्द ही यह गुट अपने काम की शुरूआत करेंगे।

दोनों देशों के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की महामारी और इसके लिए हो रहे इलाज का बारिकी से अनुसंधान करेंगे, यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘डिपार्टमेंट ऑफ सायन्स ऐण्ड टेक्नॉलॉजी’ विभाग के सचिव आशुतोष शर्मा ने साझा की। भारत और अमरीका कोरोना का मुकाबला करने के लिए संयुक्त तौर पर अहम योगदान देंगे, यह विश्‍वास ‘यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट सायन्स, स्पेस ऐण्ड हेल्थ’ विभाग के उप-सचिव जोनाथन मारगोलिस ने व्यक्त किया है।

भारत और अमरीका को ही कोरोना वायरस की महामारी ने सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाया है। अमरीका और भारत में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर दोनों देश यह अनुसंधान का काम शुरू कर रहे है। भारत ने इससे पहले अन्य देशों के साथ ही इससे संबंधित सहयोग बढ़ाया है। इस्रायल और जापान के साथ भारत कोरोना से संबंधित अनुसंधान कर रहा है। साथ ही अलग अलग कंपनियां और अनुसंधान संस्थाओं के साथ भारतीय संस्था कोरोना का टीका विकसित करने के काम में भी जुटी है।

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