भारत-जापान का ‘फ्रिडम कॉरिडॉर’; ‘ओबीओआर’ को चुनौती

नयी दिल्ली, दि. १६ : चीन की महत्त्वाकांक्षी ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) योजना को चुनौती देने के लिए भारत और जापान ने कदम उठाने शुरू किए हैं| भारत एवं जापान साथ मिलकर, ईरान, श्रीलंका, बांगलादेश, आग्नेय एशिया और अफ्रिका में व्यूहरचनात्मक दृष्टि से अहम ऐसीं कई मूलभूत सुविधा परियोजनाएँ साझेदारी से हात में लेनेवाले है| एशिया-प्रशांत क्षेत्र से लेकर अफ्रिका तक ‘फ्रिडम कॉरिडॉर’ विकसित करने की दोनों देशों की योजना का यह अहम पडाव है ऐसा माना जा रहा है| चीन के ‘ओबीओआर’ को टक्कर देनेवाली योजना के तौर पर इसकी ओर देखा जा रहा है|

चीन ने हाल ही में ‘ओबीओआर’ परिषद का आयोजन किया था| युरोप से लेकर अफ्रिका तक की भूमि को जोडनेवालीं सड़कें और रेल मार्ग का निर्माण करने की और बंदरगाह को विकसित करने की योजना चीन ने बनायी है| इस योजना के तहत, प्राचीन समय के ‘सिल्क रोड’ का पुनरुज्जीवन होगा और इस वजह से व्यापार सुलभ होगा| साथ ही, चीन के विकास का लाभ अन्य देशों को भी होगा, ऐसा चीन का दावा है| पाकिस्तान-चीन कॉरिडॉर समेत ‘ओबीओआर’ के तहत होनेवालीं विविध परियोजनाओं में चीन द्वारा तक़रीबन ८०० अरब डॉलर्स का निवेश किया जानेवाला है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं| लेकिन चीन की यह योजना केवल मूलभूत सुविधाओं तक सीमित नहीं है| इस योजना के ज़रिये इस क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की चीन की कोशिश है| इसीलिए भारत और जापान ने चीन को जवाब देने की तैयारी की है|‘फ्रिडम कॉरिडॉर’

‘फ्रिडम कॉरिडॉर’ यह भारत और जापान की ओर से चीन को दिया जानेवाला जवाब है| अफ्रिका, दक्षिण एशिया, आग्नेय एशिया में, भारत और जापान व्यूहरचनात्मक दृष्टि से अहम ऐसीं कई मूलभूत परियोजनाएँ हात में ले रहे हैं| साथ ही, अफ्रिकन और एशिया के देशों में कई अहम परियोजनाओं में निवेश करने की तैयारी दोनों देशों ने की है|

भारत श्रीलंका में विकसित कर रहे त्रिन्कोमाले’ बंदर के विकास में जापान भी शामिल होने की योजना बना रहा है| ईरान के छाबर बंदर में भी भारत के साथ जापान शामिल होनेवाला है| थायलंड-म्यानमार सीमा पर का दावेई बंदर भी भारत और जापान एकसाथ मिलकर विकसित करनेवाले हैं|

पिछले साल नवंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के दौरे पर गए थे| उस समय जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे के साथ हुई बैठक में ‘फ्रिडम कॉरिडॉर’ पर पहली बार चर्चा हुई थी| भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी हाल ही में जापान का दौरा किया था|

इस दौरे में भी इस विषय पर अधिक विस्तृत चर्चा हुई थी, ऐसा कहा जा रहा है| ‘अफ्रिकन डेव्हलपमेंट बँक’ (एएफडीबी) की परिषद आनेवाले २२ मई को अहमदाबाद में होनेवाली है| इस परिषद में ‘एएफडीबी’ के ७८ सदस्य देश शामील होनेवाले हैं| यह परिषद भारत-जापान के इस ‘फ़्रिडम कॉरिडोर’ के लिए अहम होगी|

इस बैठक में शामील होने के लिए आनेवाले अफ्रिकन देशों के नेताओं के साथ भारत और जापान का उच्चस्तरिय प्रतिनिधिमंडल चर्चा करनेवाला है| अफ्रिकन देशों के बंदरगाहों, सडकों, रेल परियोजनाओं और ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण में सहयोग करने पर इस समय चर्चा होगी, ऐसा कहा जा रहा है| इसके लिए जापान के अर्थमंत्री की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल भारत में आनेवाला है| ‘अफ्रिकन डेव्हलपमेंट बँक’ की इस बैठक में भारत-जापान और अफ्रिकन देशों का एक अलग सत्र २४ मई को आयोजित किया गया है।

अफ्रिका की पूर्व तटवर्ती इलाक़े के देशों में पहले मूलभूत सुविधाओं के क्षेत्र में निवेश किया जानेवाला है| इथिओपिया, सोमालिया, केनिया, युगांडा, तंझानिया, मोझंबिक और दक्षिण अफ्रिका में पहली बार दोनों देश एक साथ मूलभूत सुविधाओं की योजना हात में लेंगे| पहले पड़ाव में पूर्व तटवर्ती इलाक़े के देशों में निवेश करने के बाद, अन्य अफ्रिकन देशों में निवेश करने के बारे में दोनों देश सोच रहे हैं|

चीन की वर्चस्ववादी नीति का सामना करने के लिए भारत और जापान ने, सभी स्तर पर सहयोग विकसित करने का रवैय्यात्मक निर्णय लिया होकर, ‘फ्रिडम कॉरिडॉर’ यह दोनों देशों के बीच इस सहयोग का ही हिस्सा है| इसी वजह से चीन पिछले कुछ दिनों से, भारत को ‘ओबीओआर’ योजना में शामील होने के लिए लगातार आवाहन कर रहा है| लेकिन भारत ने चीन के इस आवाहन को प्रतिसाद न देकर, यह परियोजना भारत की सम्प्रभुता को चुनौती देनेवाली है, ऐसा आरोप किया है|

चीन द्वारा भारत की आलोचना

नवी दिल्ली, दि. १६ : ‘वन बेल्ट वन रोड’ (ओबीओआर) पर भारत ने अपनाई भूमिका की चीन ने आलोचना की है| भारत ‘ओबीओआर’ में शामील होने लिए राज़ी होता है, तो भारत का स्वागत है| इसके लिए किस प्रकार की ‘अर्थपूर्ण चर्चा’ चाहिए, यह भारत स्पष्ट करें, ऐसा चीन के विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा|

‘ओबीओआर’ पर भारत को रहे ऐतराज़ और चिंता पर विचारविमर्श करके चीन को अर्थपूर्ण चर्चा करनी चाहिए, ऐसा सोमवार को भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा था| चीन के विदेश मंत्रालय ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी| ‘ओबीओआर’ योजना शुरू होने के बाद, पिछले चार सालों में इसपर काफ़ी चर्चा हुई है| संयुक्त साझेदारी और इस वजह से मिलनेवाले लाभों पर चर्चा की गई| इस वजह से, भारत के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता क्या कहना चाहते हैं, यह समझ में नहीं आ रहा है, ऐसा हुआ चुनयिंग ने कहा| चीन की ओर से किस प्रकार की चर्चा भारत को चाहिए, यह भारत को स्पष्ट करना चाहिए| ‘ओबीओआर’ योजना के पीछे की संकल्पना सबके सामने खुली है, ऐसा भी चुनयिंग ने आगे कहा|

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.