भारत-चीन चर्चा का ११ वाँ सत्र संपन्न

नई दिल्ली – भारत और चीन के बीच लद्दाख की एलएसी के मुद्दे पर चर्चा का ११ वाँ सत्र संपन्न हुआ। यहाँ का सीमा विवाद अधिक बिगड़ने नहीं देना है, इसपर दोनों देशों के लष्करी अधिकारियों का एकमत हुआ बताया जाता है। लेकिन भारत कर रहे माँग के अनुसार, लद्दाख की एलएसी से अपने जवान हटाने के लिए चीन तैयार नहीं है, यह इस चर्चा के बाद फिर एक बार स्पष्ट हुआ है। लेकिन भारत ने भी इस चर्चा में ऐसी अड़िग भूमिका अपनाई कि चीन ने वापसी किए बगैर इस क्षेत्र का तनाव नहीं मिटेगा।

लद्दाख की एलएसी पर बना तनाव कम करने के लिए इससे पहले चर्चा के १० सत्र हुए थे। शुक्रवार से शुरू हुए इस ११वें सत्र में से कुछ खास हाथ लगने की संभावना नहीं थी। आक्रामक दाँवपेंचों का इस्तेमाल करके चीन हावी होने की कोशिश कर रहा है; ऐसे में भारत ने इस चर्चा से पहले, एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी होने वाले ‘१७ माऊंटन स्ट्राईक कॉर्प्स’ इस पथक की सहायता के लिए और १० हज़ार जवान तैनात करने का फैसला किया था। उससे पहले लद्दाख की एलएसी पर क्षेपणास्त्रों से लैस रफायल विमानों ने उड़ानें भरीं थीं।

चीन का दबाव तंत्र भारत के विरोध में कामयाब नहीं साबित होगा और भारत उसका मुँहतोड़ जवाब देगा, यह भारत द्वारा विभिन्न मार्गों से चीन तक पहुँचाया जा रहा है। इस कारण चीन अधिक ही बेचैन बनता चला जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में, लद्दाख की एलएसी के क्षेत्र से पीछे हटने के लिए चीन तैयार नहीं। लेकिन भारत ने भी इस मोरचे पर अड़िग भूमिका अपनाई है। अगर चीन भारत के साथ भाईचारा चाहता है, तो चीन को यहाँ से वापसी करनी ही पड़ेगी, ऐसा भारत जता रहा है। इसी कारण, लद्दाख की एलएसी की यह समस्या नजदीकी समय में सुलझने की संभावना नहीं, इसका यकीन भारत के लष्करी अधिकारियों ने दिलाया था।

साथ ही, हालाँकि चीन के साथ चर्चा शुरू है, फिर भी भारत का लष्कर इस क्षेत्र में बहुत ही चौकन्ना होने की बात स्पष्ट हो रही है। चीन का लष्कर इतनी जल्दी वापसी नहीं करेगा, इसका अंदेशा भारतीय लष्कर को है। इस कारण किसी भी चुनौती का मुकाबला करने की तैयारी भारतीय लष्कर ने रखी होने की जानकारी, वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों ने दी है। आनेवाले समय में यदि चीन ने घुसपैठ की नई कोशिशें करके देखीं, तो उसे पहले से भी अधिक करारा जवाब दिया जाएगा, ऐसे स्पष्ट संकेत भारत द्वारा दिए जा रहे हैं। उसी समय, राजनीतिक मोरचे पर भी चीन को प्रत्युत्तर देने की ज़ोरदार तैयारी भारत ने की दिख रही है।

इस महीने के अंत में जापान के प्रधानमंत्री सुगा भारत के दौरे पर आनेवाले हैं। साथ ही, भारत और जापान के बीच ‘टू प्लस टू’ यानी विदेश मंत्री और रक्षा मंत्रियों के स्तर पर चर्चा संपन्न होगी। भारत और जापान के सहयोग की ओर चीन हमेशा ही शक की निगाह से देखता आया है। इसी कारण जापान के प्रधानमंत्री का यह भारत दौरा, चीन पर अपेक्षित असर करनेवाला साबित हो सकता है।

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