चीन पर निर्भरता कम करने के लिए गुजरात के भावनगर में बनेगा ‘कंटेनर हब’

नई दिल्ली – गुजरात के भावनगर को देश का कंटेनर निर्माण करनेवाला हब बनाने का निर्णय हुआ है। भारत को सालाना करीबन ३.५ लाख कंटेनर्स की आवश्‍यकता होती है। साथ ही विश्‍वभर में कंटेनर्स की माँग बढ़ रही है। ऐसा होते हुए भी भारत में कंटेनर्स का निर्माण नहीं हो रहा था। इसके लिए भारत प्रमुखता से चीन पर निर्भर था। लेकिन, अब आत्मनिर्भर भारत की नीति के तहत चीन पर निर्भरता कम करने के लिए देश में भावनगर को कंटेनर निर्माण का हब बनाया जा रहा है। इसके लिए निजी क्षेत्र का बड़ा निवेश होने की उम्मीद है और विश्‍व की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक कंपनी आर्सेलर मित्तल इस कंटेनर निर्माण के लिए भारत को आवश्‍यक दर्जा के स्टील की आपूर्ति करेगी।

container-hubभारत को बड़ा समुद्री तट प्राप्त है और बीते कुछ वर्षों में जलमार्ग से होनेवाले व्यापार में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत सरकार ने देश में बंदरगाहों के विकास पर जोर दिया है और बंदरगाहों से हो रही कंटेनर की यातायात में भी बढ़ोतरी हुई है। इसी वजह से कंटेनर की माँग भी काफी बढ़ी है। भविष्य की ज़रूरतें ध्यान में रखकर कंटेनर निर्माण के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर करने की कोशिश हो रही है। इसके लिए गुजरात के भावनगर को कंटेनर हब के तौर पर विकसित करने की कोशिश होने की जानकारी केंद्रीय जहाज़ और जलमार्गमंत्री मनसुख मंड़ाविया ने प्रदान की।

भावनगर को कंटेनर उत्पादन के केंद्र के तौर पर विकसित करने के लिए प्रायोगिक स्तर का प्रकल्प शुरू किया गया है। भावनगर में कंटेनर निर्माण का केंद्र स्थापित करने के लिए निजी क्षेत्र से १ हज़ार करोड़ रुपयों का निवेश होने की उम्मीद है। इससे लाखों नौकरियाँ उपलब्ध होंगी, यह विश्वास मंड़ाविया ने व्यक्त किया।

विश्व स्तर पर कंटेनर की कमी निर्माण हुई है। कंटेनर की बढ़ती माँग पूरी करने के नज़रिये से भी भावनगर में विकसित किया जा रहा यह उत्पादन केंद्र अहम साबित होगा। भारत को ३.५ लाख कंटेनर्स की आवश्‍यकता होती है। अब तक भारत में कंटेनर का निर्माण नहीं हो रहा था। कंटेनर निर्माण के क्षेत्र में चीन ग्लोबल लीडर है। भारत को भी इसके लिए चीन पर ही निर्भर रहना पड़ रहा था। लेकिन, भारत में कंटेनर उत्पादन केंद्र स्थापित होने पर चीन पर से निर्भरता कम होगी।

प्रायोगिक स्तर पर उत्पादन केंद्र शुरू करने के लिए १० स्थानों का चयन किया गया था। भावनगर में कंटेनर का उत्पादन शुरू करने के लिए बीते छह महीनों से बड़ी कोशिश हुई। इसके लिए रि-रोलिंग और फर्नेस निर्माताओं को प्रोत्साहित किया गया।

भारत को फिलहाल एक कंटेनर खरीदने के लिए ३.५ लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में कंटेनर का निर्माण भारत में ही हुआ तो कंटेनर की कीमत भी कम होगी और इसके आयात की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। साथ ही आनेवाले दिनों में भारत कंटेनर का निर्यात कर सकेगा। देश में कंटेनर का निर्माण पर ध्यान देने के लिए समिती गठित की गई है, यह जानकारी भी मंड़ाविया ने प्रदान की।

देश में कंटेनर का उत्पादन शुरू होने के बाद शिपिंग उद्योग इसकी खरीद करेगा। इस विषय पर शिपिंग उद्योग के साथ बैठक हुई। कंटेनर बनाने के लिए आवश्‍यक कच्चे सामान की आपूर्ति के मुद्दे पर स्टील उद्योग के साथ भी चर्चा जारी होने की जानकारी मंड़ाविया ने साझा की। विश्‍व की सबसे बड़ी स्टील उत्पादक आर्सेलर मित्तल कंपनी ने भारत को कंटेनर निर्माण के लिए आवश्‍यक दर्जे के स्टील की आपूर्ति करने का वादा किया है, ऐसा भी मंड़ाविया ने कहा।

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