भारत और चीन ने विवाद को बढ़ाना नहीं चाहिए – चीन के विदेश मंत्री का आवाहन

जम्मू/नई दिल्ली/इस्लामाबाद: भारत एक ही समय पर पाकिस्तान और चीन का सामना करने के लिए तैयार रहे, ऐसा इशारा सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने फिर एक बार दिया है। इस पर चीन की प्रतिक्रिया आयी है। भारत के सेना प्रमुख का यह दावा प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने अपनाई हुई भूमिका के खिलाफ है, ऐसा चीन के विदेश मंत्री ने कहा है। साथ ही भारत और चीन अपने मतभेद न बढे, इसके लिए कोशिश करे, ऐसा आवाहन भी चीन के विदेश मंत्री ‘वॅंग ई’ ने किया है।

भारत और चीनब्रिक्स परिषद के पहले ‘डोकलाम’ का विवाद सुलझ गया है, और चीन में पूरी हुई इस परिषद में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की द्विपक्षीय चर्चा हुई है। इस पृष्ठभूमि पर डोकलाम साथ ही भारत और चीन में अन्य सीमा इलाकों पर शांति है, फिर भी आने वाले समय में परिस्थिति बदल सकती है, ऐसा इशारा भारतीय मुत्सदी और सामरिक विश्लेषक दे रहे हैं। डोकलाम विवाद में चीन पीछे हटा है, लेकिन यह अल्पकाल के लिए हो सकता है। आने वाले समय में चीन ‘डोकलाम’ विवाद की मानहानि का बदला लेने की कोशिश करेगा, ऐसा इशारा जानकार दे रहे हैं। उसी समय डोकलाम से भारतीय सेना सिर्फ १५० मीटर इतनी ही पीछे हटी है और अभी भी दोनों देशों की सेना एकदूसरे के सामने उतनी ही दृढ़ता से खड़ी होने की खबरें आ रही हैं।

इस पृष्ठभूमि पर, लश्कर प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भारतीय सेना के साथ साथ देशवासियों को ‘सन्देश’ दिया है। संघर्ष की संभावना अभी भी खत्म नहीं हुई है, ऐसा कहकर सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान से सावधान रहने का इशारा दिया है।

परमाणुधारक देशों में युद्ध होता नहीं, यह भ्रम है और उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता, ऐसा सेना प्रमुख ने कहा है। साथ ही युद्ध सिर्फ देश की सेना नहीं खेलती, पूरा देश युद्ध में उतरता है, ऐसा जनरल रावत ने एक कार्यक्रम में संबोधित करते समय स्पष्ट किया है। साथ ही भारत ने एक समय पर उत्तर और पश्चिम सीमापार युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए, ऐसा सेना प्रमुख ने फिरसे कहकर चीन और पाकिस्तान से भारत को को खतरा है, इस बात को अधोरेखित किया है।

दौरान, जनरल रावत के इस विधान पर चीन से प्रतिक्रिया आई है। चीन के विदेश मंत्री वॅंग ई ने भारत और चीन एकदूसरे की तरफ दुश्मनी और खतरे की नजर से न देखे, ऐसा आवाहन किया है। ‘दोनों देशों ने अपने बीच मतभेद न बढे, इसकी सावधानी बरतनी चाहिए। पंचशील के तत्व के अनुसार भारत और चीन ने एकदूसरे के साथ सहकारिता बढानी चाहिए, और अपनी सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रखने के लिए उचित दिशा में कोशिश करे’, ऐसी अपेक्षा वॅंग ई ने व्यक्त की है।

यह सारी अपेक्षाएं व्यक्त करते समय ‘डोकलाम’ प्रकरण का भारत और चीन के संबंधों पर परिणाम हुआ है, इस बात को चीन के विदेश मंत्री ने मान्य किया है। इस विवाद को बढाने में चीन के विदेश मंत्री ने भी योगदान दिया है, यह बात डोकलाम विवाद शुरू था तभी स्पष्ट हुई थी। भारत डोकलाम से शांति से पीछे हटे, ऐसा इशारा इसी काल में चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से दिया जाता था। भारत पीछे नहीं हटा, तो भारतीय सेना को सन ६२ से भी भयंकर मानहानि वाली हार को स्वीकारना पड़ेगा, ऐसी धमकियाँ चीन की ओर से दी जा रही थी।

अभी भी चीन ने डोकलाम के साथ साथ भारत की अन्य सीमाओं पर चुनौती देनेवाली कार्रवाईयों को पूरी तरह से बंद नही किया है। भारत के स्वतंत्रता दिवस पर लद्दाख में चीन के सैनिकों ने घुसपैठ करने का प्रकरण सामने आया था। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय सेना प्रमुख ने दिया हुआ इशारा, भारत असावधान नहीं है इसका एहसास चीन को करके दे रहा है।

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