१९९३ मुंबई बम विस्फोट मुकदमा – दो को फांसी और अबू सालेम के साथ दो को आजीवन कारावास

मुंबई: १९९३ में मुंबई में हुए भीषण बम विस्फोट श्रृंखला मुकदमे में गुरुवार को टाडा न्यायलय ने दो आरोपियों को फांसी की सजा और अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सालेम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। सालेम के साथ करीमुल्ला खान इस और एक आरोपी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। १९९३ के भीषण बम विस्फोट श्रृंखला को २४ साल बीतने के बाद इन आरोपियों को सजा हो रही है।
१९९३ के बम विस्फोट में शामिल होने का आरोप अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सालेम, मुस्तफा डोसा, फिरोज खान, ताहिर मर्चंट, करीमुल्ला, रियाज सिद्दीकी इन छः लोगों पर साबित हुआ था। १६ जून को इन छः आरोपियों को न्यायालय ने दोषी ठहराया था। कय्यूम शेख को टाडा न्यायालय ने सबूत न होने से रिहा किया था। उसके बाद दोषियों की सजा पर बहस हुई थी और न्यायालय ने फैसला रोखकर रखा था।

बम विस्फोटगुरुवार को न्यायालय ने फिरोज खान और ताहिर मर्चंट उर्फ़ ताहिर टकल्या को फांसी की सजा सुनाई। अबू सालेम और करिमुल्ला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा और एक आरोपी रियाज सिद्दीकी को दस साल जेल की सजा हुई है। इसके पहले न्यायालय में आरोप साबित होकर दोषी ठहरा हुआ और अंडरवर्ल्ड डॉन दावूद का करीबी दोस्त मुस्तफा डोसा की २८ जून को दिल का दौरा पड़ने से मौत हुई थी।

अबू सालेम इस षडयंत्र में सीधे शामिल था। शस्त्रास्त्र और विस्फोटकों की तस्करी उसकी ही निगरानी में हुई थी। ऐसा होते हुए भी अबू सालेम को सिर्फ आजीवन कारावास ही हुआ है। साथ ही आजीवन कारावास में वो पच्चीस साल से ज्यादा जेल में नहीं रह सकता। पिछले बारह साल से जेल में होने की वजह से और तेरह साल के बाद उसकी रिहाई होने की संभावना है। इसपर इस बम विस्फोट में मारे गए परिवारवालों ने नाराजगी जाहिर की है।

बम विस्फोटलेकिन २००५ में पुर्तगाल से अबू सालेम का प्रत्यर्पण किया गया था। इस प्रत्यर्पण अनुबंध के अनुसार अबू सालेम को फांसी न देने की अथवा २५ साल से ज्यादा सजा न देने की शर्त रखी गई थी। इस वजह से अबू सालेम को आजीवन कारावास से ज्यादा सजा नहीं दी गई। गुरुवार को अबू सालेम के साथ अन्य दोषियों को सजा सुनाने के बाद ‘१९९३ श्रृंखला बम विस्फोट मुकदम बी’ पूरा हुआ है। इसके पहले ‘मुकदमा ए’ में सन २००६ में टाडा न्यायालय ने करीब १०० लोगों को दोषी ठहराया था। इसमें से १२ को फांसी और २० को आजीवन कारावास सुनाया गया था। इसमें से याकूब मेमन को २०१५ में राष्ट्रपति जी ने दया के आवेदन को अस्वीकृत करने के बाद फांसी दी गई थी। उच्चतम न्यायालय की ओर से कुछ लोगों की फांसी रद्द की गई थी।

गुरुवार को टाडा न्यायालय ने सजा सुनाए गए पांच ही आरोपियों को अपनी सजा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में जाने का रास्ता खुला है। फिरोज खान और ताहिर टकल्या की फांसी पर उच्चतम न्यायालय ने मुहर लगाने के बाद ही उनको फांसी दी जा सकती है। देश के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक चलने वाले मुकदमे के तौर पर १९९३ बम विस्फोट मुकदमे का उल्लेख किया जाता है।

२४ साल गुजरने के बाद भी इस बम विस्फोट श्रृंखला के सभी दोषियों को अभी भी सजा नहीं हुई है। पहला मुकदमा शुरू था तभी अबू सालेम के साथ दूसरे आरोप जांच एजेंसियों के हाथ लगे। इस वजह से उनपर स्वतंत्र मुकदमा चलाया गया। लेकिन इस बमविस्फोट श्रृंखला के मुख्य सूत्रधार दावूद इब्राहीम, टाइगर मेमन के साथ अन्य कुछ आरोपी अभी भी फरार हैं। यह पाकिस्तान में हैं और पाकिस्तानी गुप्त एजेंसी ‘आईएसआई’ उनकी रक्षा कर रहा है। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के भूतपूर्व तानाशाह परवेझ मुशर्रफ ने दावूद इब्राहीम पाकिस्तान के कराची शहर में रहता है, यह बात दुनिया के सामने घोषित की थी। उसी समय इस मामले में पाकिस्तान ने भारत को मदद क्यों की जाए? ऐसा सवाल भी मुशर्रफ ने किया था।

सन ९३ के बम विस्फोट श्रृंखला के मुख्य सूत्रधारों को जब तक सजा नहीं होती, तब तक अपनी इंसाफ के लिए जारी लड़ाई खत्म नहीं होगी, ऐसा इस बम विस्फोट में मारे गए परिवार वालों ने कहा है।

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