अफ्रीका में चीन और रशिया का प्रभाव बढना अमरिकी हितसंबंधों के लिए घातक – अमरिकी सेना अधिकारी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरवॉशिंगटन: जुलाई महीने में चीन ने आयोजित किए आफ्रिका विषयक परिषद में ५० देशों के लष्करी एवं राजनैतिक अधिकारी शामिल हुए थे| इस परिषद के बाद केवल ३ महीनों के कालखंड में अर्थात अक्टूबर महीने में रशिया सोची शहर में पहली रशिया-अफ्रीका समिट का आयोजन कर रही है और लगभग ३५ अफ्रीकी देश उसमें शामिल होने की बात सामने आई है| चीन एवं रशिया से अफ्रीका में शुरू यह गतिविधियां अफ्रीका में अमरिका के हितसंबंधों के लिए खतरा साबित हो सकती हैं, ऐसी स्पष्ट चेतावनी वरिष्ठ लष्करी अधिकारी ने दी है|

पिछले वर्ष अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अफ्रीका में चीन एवं रशिया के बढ़ते खतरे पर ध्यान दिया था| उसके बाद अब अमरिका का अफ्रिका में रक्षा अड्डा होनेवाले अफ्रीकॉम के भूतपूर्व तथा नए प्रमुख अधिकारियों ने फिर एक बार उसका एहसास दिलाया है| महत्वपूर्ण बात यह है कि अमरिका के संसद के सामने हुए सुनवाई में तथा लिखे उत्तर में भी उस अधिकारी ने अफ्रीका में चीन और रशिया के बढ़ते प्रभाव के बारे में सूचित किया है|

अफ्रीकॉम के नए प्रमुख के तौर पर स्टीफन टाउनसेंड ने हालही में कार्यभार स्वीकार किया है और उससे पहले जनरल थॉमस वर्ल्ड हाउस ने कुछ वर्ष यह जिम्मेदारी संभाली थी| इन दोनों अधिकारियों ने सीधे शब्दों में चीन और रशिया के अफ्रीका में बढ़ते वर्चस्व के बारे में चेतावनी दी है| अफ्रीका चीन एवं रशिया के प्रभाव में आने की आशंका है| रशिया ने लगभग १० से अधिक अफ्रीकी देशों में गतिविधियां बढ़ाई है और चीन अफ्रीकी देशों में नए अड्डे निर्माण करने की तैयारी कर रहा है, ऐसे शब्दों में अमरिकी अधिकारी ने ध्यान केंद्रित किया है|

पिछले चार दशकों में चीन एवं अफ्रीका का व्यापार लगभग १७० अरब डॉलर पर जा पहुंचा है| उस समय चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड योजना में अफ्रीका के लगभग ४० देश शामिल हुए थे| रशिया ने पिछले दशक भर में अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार तीन गुना बढ़ाकर लगभग १८ अरब डॉलर तक पहुंचाया है| इनमें इजिप्ट, अल्जेरिया, सुदान एवं अंगोला इन देशों में रशिया ने सबसे बड़े प्रकल्प शुरू किए हैं| और उनके साथ शस्त्र विषयक करार भी किए हैं| पिछले वर्ष रशिया ने सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में लष्करी सलाहकार का दल भी तैनात करने की बात उजागर हुई थी|

चीन एवं रशिया का खतरा रोकने के लिए अफ्रीकॉम ने ५ वर्षों के लिए विशेष योजना बनाई है| जिसमें अफ्रीकी देशों के साथ लष्करी सहयोग एवं साझेदारी बढ़ाना और चीन एवं रशिया से शुरू होनेवाली गतिविधियों के पीछे होनेवाले उद्देश्य का एहसास कराने का समावेश है, ऐसी जानकारी लष्करी अधिकारियों ने दी है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.