लिबिया तुर्की के साथ हुआ अवैध समझौता खारिज करें – ग्रीस के प्रधानमंत्री की माँग

त्रिपोली – लिबिया यदि ग्रीस से आर्थिक सहयोग और मित्रता चाहता है, तो लिबिया को सन २०१९ में तुर्की के साथ किया सागरी समझौता खारिज करना होगा, ऐसी माँग ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारियाकोस मित्सोटॅकीस ने की। डेढ़ साल पहले हुआ यह समझौता, भूमध्य सागर के ग्रीस, साइप्रस और इजिप्ट इन देशों के अधिकारों का उल्लंघन करनेवाला होने का आरोप इससे पहले भी हुआ था। इस पृष्ठभूमि पर, युरोपीय देशों के साथ सहयोग स्थापित करने की तैयारी में होनेवाले लिबिया को, ग्रीस के प्रधानमंत्री ने इस शर्त की याद दिलाई दिख रही है।

libya-turkey-illegal-agreementसन २०११ में अरब स्प्रिंग की लहर में लिबियन बागियों ने मुअम्मर गद्दाफी की हत्या कराके लिबिया को तानाशाही से मुक्त किया। लेकिन तब से लिबिया में बागियों के गुटों तथा लष्कर के बीच गृहयुद्ध भड़का है। लिबिया के पूर्वीय भाग पर, लष्कर से बगावत किए जनरल खलिफा हफ्तार का नियंत्रण और पश्चिमी भाग पर कट्टरपंथियों का कब्जा है। पिछले कई सालों के गृहयुद्ध के बाद, कुछ हफ्ते पहले लिबिया में संघर्षबंदी लागू हुई है। इस संघर्षबंदी की पृष्ठभूमि पर, पिछले कुछ दिनों से युरोपीय देशों के नेता लिबिया के दौरे पर हैं।

ग्रीस के प्रधानमंत्री मित्सोटॅकीस ने भी लिबिया का दौरा करके, गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री अब्दुलहमिद देबेह से मुलाकात की। लिबिया के पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक सहायता करने के लिए ग्रीस तैयार है, ऐसा प्रधानमंत्री मित्सोटॅकीस ने स्पष्ट किया। लेकिन उससे पहले लिबिया को, सन २०१९ में तुर्की के साथ किए समझौते से बाहर निकलना होगा, ऐसा ग्रीस के प्रधानमंत्री ने जताया। भूमध्य सागर पर अधिकार जतानेवाला यह समझौता गैरकानूनी होने का दोषारोपण प्रधानमंत्री मित्सोटॅकीस ने किया। युरोपियन काऊन्सिल ने भी यह समझौता अवैध करार दिया होने की याद मित्सोटॅकीस ने करा दी।

libya-turkey-illegal-agreement‘मेरिटाईम बाऊन्ड्री ट्रिटी’ के नाम से पहचाने जानेवाले इस समझौते के अनुसार तुर्की ने, अन्तर्राष्ट्रीय सागरी नियमों की परवाह न करते हुए, भूमध्य सागर स्थित सैकड़ों सागरी मील के क्षेत्र में उत्खनन करने का ऐलान किया था। इसमें से अधिकांश सागरी क्षेत्र पर अपना अधिकार होने का दावा तुर्की ने किया था। लेकिन इस गैरकानूनी समझौते के द्वारा तुर्की ने साइप्रस, ग्रीस और इजिप्ट की सागरी सीमाओं पर भी कब्जा जताया था। उसकी गूंजें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाईं दीं थीं। फ्रान्स, इटली, अमरीका तथा युएई ने भी, तुर्की और लिबिया के बीच हुए इस समझौते की जमकर आलोचना की थी। इस पर भी ग्रीस के प्रधानमंत्री ने अपने लिबिया दौरे में गौर फरमाया।

साथ ही, विदेशी कॉन्ट्रैक्ट सैनिक लिबिया से वापस भेजे जायें, ऐसी माँग भी ग्रीस के प्रधानमंत्री ने की। प्रधानमंत्री मित्सोटॅकीस ने इस समय किसी भी देश का नाम लेना टाला। फिर भी तुर्की के कॉन्ट्रैक्ट सैनिकों की लिबिया में की गई तैनाती पर ग्रीस के प्रधानमंत्री ने यह फटकार लगाई दिख रही है। युरोपिय महासंघ ने भी लिबिया के पास यही माँग की थी।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की जानकारी के अनुसार, लिबिया में दस देशों ने लष्करी अड्डे बनाए होकर, उनमें तुर्की समेत रशिया का भी समावेश होने का दावा किया जाता है।

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