उइगरवंशियों पर अत्याचार करनेवाले चीन पर तुर्की के विपक्षी नेताओं की तीखी आलोचना

अंकारा – चीन अपने देश में अल्पसंख्यक होनेवाले उइगरवंशीय इस्लामधर्मियों पर कर रहे निर्मम अत्याचारों की गूंजें तुर्की में भी सुनाई देने लगीं हैं। तुर्की के प्रमुख विपक्षी नेताओं ने इस मसले पर चीन को खरी-खरी सुनाकर, हमारे उइगर बान्धवों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेंगे, ऐसा जताया है। उसपर तुर्की स्थित चीन के दूतावास ने प्रतिक्रिया दी होकर, तुर्की के विपक्षी नेताओं के आरोपों का उत्तर देने का अधिकार हमें हैं, ऐसा चीन के दूतावास ने कहा था। इसके बाद दबाव में आई तुर्की की सरकार को, चीन के राजदूत को समन्स थमाना पड़ा। इससे यही स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि उइगरवंशियों पर चीन के अत्याचारों का मुद्दा, तुर्की की अंदरूनी राजनीति पर असर करने लगा है।

china-uyghur-turkeyचीन के झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों के साथ तुर्की की जनता धार्मिक दृष्टि से और एकसमान भाषा के कारण जोड़ी गई है। चीन से अलग होने की माँग करनेवाला झिजियांगस्थित उइगरवंशियों का आंदोलन तो ‘ईस्ट तुर्कीस्तान मुव्हमेंट’ के नाम से ही जाना जाता है। तुर्की में लगभग ४० हज़ार उइगरवंशियों का निवास है। ऐसी परिस्थिति में, चीन लगभग दस लाख उइगरवंशियों को कॉन्संट्रेशन कैंप में बंद करके उनपर कर रहे निर्मम अत्याचारों के विरोध में तुर्की में गुस्से की भावना है। तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने भी उसके विरोध में आवाज उठाई थी। लेकिन पिछले साल के दिसंबर महीने में, तुर्की की सरकार ने चीन के साथ समझौता करके, झिंजियांग में चल रहे आंदोलन को समर्थन देनेवाले उइगर नेताओं को चीन के हवाले करने की तैयारी दर्शाई थी।

कुछ दिन पहले चीन के विदेश मंत्री वँग ई ने तुर्की का दौरा किया था और उस समय उइगरवंशियों का समर्थन करके कुछ प्रदर्शनकारियों ने चीन का कड़े शब्दों में निषेध दर्ज किया था। इससे यह स्पष्ट हुआ था कि उइगरवंशियों के मसले को नज़रअंदाज करके चीन के साथ सहयोग स्थापित करना राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के लिए आसान नहीं रहा है। अभी भी इसकी तीव्र गूंजें तुर्की में सुनाई दे रहीं हैं। तुर्की के अंकारा शहर के महापौर मनसूर यावास ने इस मामले में चीन को फटकार लगाई।

‘हमारे उइगर बांधव चीन के अत्याचार सह रहे हैं, बलिदान दे रहे हैं, ऐसे में हम चुपचाप नहीं बैठ सकते’, ऐसा मनसूर यावास ने कहा है। सन २०२३ में तुर्की में राष्ट्राध्यक्ष पद के चुनाव संपन्न होंगे। इस चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन के विरोध में कुछ पार्टियों ने ‘सीएचसी’ गठबंधन भी स्थापित किया है। हाल में अंकारा शहर के महापौर होनेवाले मनसूर यावास, ये इस गठबंधन के प्रमुख नेता माने जाते हैं। इस कारण उन्होंने की हुई चीन की इस आलोचना को बहुत बड़ा राजनीतिक महत्व आया है।

china-uyghur-turkeyसिर्फ यावास ने ही नहीं, बल्कि तुर्की की ‘आयवायआय’ इस राजनीतिक पार्टी की नेता मेराल अक्सेनर ने भी, उइगरवंशियों पर अत्याचार करनेवाले चीन के विरोध में सोशल मीडिया में तीखी आलोचना की थी। यावास और अक्सेनर ने की इस आलोचना के बाद चीन के तुर्की स्थित दूतावास से उसपर तीखी प्रतिक्रिया आई। तुर्की के इन विपक्षी नेताओं ने की आलोचना को उत्तर देने का अधिकार हमें है, ऐसी चेतावनी चीन के तुर्की में नियुक्त राजदूत लिऊ शाओबिन ने दी। वहीं, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने यह आलोचना की थी कि तुर्की में कुछ लोग चीन में मौजूद अलगाववाद को ताकत दे रहे हैं।

‘चीन अपनी सार्वभूमता और अखंडता को बनाए रखने के लिए जो कोशिशें कर रहा है, उसकी ओर तुर्की की जनता सटीक और वास्तववादी दृष्टिकोण से देखेगी ऐसी उम्मीद है’, ऐसा झाओ लिजिआन ने कहा था। इसपर भी तुर्की से प्रतिक्रियाएँ आ रहीं हैं। चीन के दूतावास द्वारा तुर्की के विपक्षी नेताओं को दी गई इस चेतावनी स्वरूप धमकी की दखल राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन की सरकार को लेनी पड़ी। तुर्की की सरकार ने चीनी राजदूत को इस मामले में समन्स थमाया होने की खबर है। लेकिन यह मामला यहीं पर खत्म नहीं होगा। आनेवाले समय में तुर्की की अंतर्गत राजनीति में, चीन उइगरवंशियों पर कर रहे अत्याचारों का और एर्दोगन की सरकार से चीन को दिए जा रहे समर्थन का मुद्दा तुर्की में चर्चा में होगा, ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है।

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