विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मध्य एशियाई देशों का दौरा सफल

नई दिल्ली/ताश्कंद: कझाकस्तान, किरगिझिस्तान और उझबेकिस्तान इन मध्य एशियाई देशों का चार दिनों का दौरा पूरा करके विदेश मंत्री सुषमा स्वराज मातृभूमि वापस लौटी हैं। नीति के दृष्टिकोण से और इंधन संपन्न क्षेत्रों के इन देशों के साथ भारत के संबंध अपने दौरे की वजह से अधिक मजबूत हुए हैं, ऐसा विदेश मंत्री स्वराज ने कहा है। साथ ही अपना यह दौरा सकारात्मक और फलदायी हुआ है, ऐसा कहकर स्वराज ने समाधान व्यक्त किया है।

विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज, मध्य एशियाई देशों, दौरा, सफल, नई दिल्ली, ताश्कंदअपने इस दौरे के आखरी पड़ाव में स्वराज ने उझबेकिस्तान का दौरा किया है। उझबेकिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ‘शावकेत मिझियोयेव्ह’ के साथ विदेश मंत्री स्वराज की मुलाकात हुई है। भारत और उझबेकिस्तान के बीच सभी क्षेत्रों के सहकार्य और साझेदारी का मुद्दा इस चर्चा में अग्रणी था। इस साल राष्ट्राध्यक्ष मिझियोयेव्ह भारत के दौरे पर आने वाले हैं, ऐसी जानकारी भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रविश कुमार ने दी है। सन १९६६ में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का ताश्कंद में निधन हुआ था। उनके स्मारक को विदेश मंत्री स्वराज ने भेंट दी।

सेव्हिएत रशिया से अलग हुए देशों में कझाकस्तान, किरगिझिस्तान और उझबेकिस्तान इन देशों का समावेश है। यह मध्य एशियाई देश इंधन और खनिज संपन्न हैं और उनके साथ सहकार्य के लिए दुनिया भर के प्रमुख देश उत्सुक हैं। चीन जैसा देश तो इन मध्य एशियाई देशों के साथ अपने सभी स्तरों पर संबंध विकसित करने के लिए लगातार कोशिश कर रहा है। चीन पुरस्कृत ‘शांघाय कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन’ (एससीओ) इस संगठन के कझाकस्तान, किरगिझिस्तान और उझबेकिस्तान सदस्य हैं।

प्राकृतिक साधन संपत्ति से समृद्ध इन देशों के साथ भारत का सहकार्य अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सामरिक दृष्टिकोण से भी इन देशों का महत्व बहुत है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इसीलिए भारत और मध्य एशियाई देशों के साथ सहकार्य दृढ और व्यापक करने के लिए प्रयत्नशील है और इसके लिए शुरू प्रतियोगिता में भारत पीछे नहीं रहने वाला, इसका ख्याल रखा जा रहा है। साथ ही कझाकस्तान, किरगिझिस्तान और उझबेकिस्तान यह देश भी भारत की तरफ बड़े बाजार की नजर से देख रहे हैं और इन देशों ने भी भारत के साथ व्यापारी साथ ही अन्य स्तरों पर सहकार्य बढाने के लिए प्रतिक्रिया दी है।

लेकिन भारत और इन मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार में पाकिस्तान बहुत बड़ी रुकावट बन गया है और पाकिस्तान की जिद्दी भूमिका इस क्षेत्र के विकास के आड़ आ रही है। इसीलिए भारत ने ईरान का छाबहार बंदरगाह विकसित करके उस रास्ते से अफगानिस्तान में माल परिवहन शुरू किया है। पाकिस्तान को छोड़कर इस तरह से अफगानिस्तान का रास्ता भारत के लिए साफ हुआ, तो उसके द्वारा मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार सुलभ हो सकता है। इसके लिए भारत नियोजनबद्ध कोशिश कर रहा है, ऐसा इसके पहले भी सामने आया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published.