पहली इंटरनेशनल सोलर अलायंस परिषद का भारत में आयोजन

नई दिल्ली: २०२० वर्ष तक १०० गिगावॉट बिजली सौर ऊर्जा के माध्यम से निर्माण करने का लक्ष्य भारत में रखा है और अब तक २० गिगाबाइट सौर ऊर्जा प्रकल्प निर्माण हुए हैं। केवल भारत में ही नहीं तो संपूर्ण दुनिया में सौर क्रांति हो ऐसी हमारी इच्छा है। स्वच्छता और पर्यावरण पूरक ऊर्जा के लिए सभी देशों को साथ आना चाहिए, ऐसा आवाहन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहा आयोजित पहली इंटरनेशनल सोलर अलायंस परिषद में किया है।

भारत एवं फ्रान्स के पहल की वजह से ३ वर्षों में स्थापित हुए इंटरनेशनल सोलर अलायंस के (आएऐसी) की पहली परिषद रविवार को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुई है। इस परिषद को २३ देशों के प्रमुख १० देशों की मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधि के साथ १२१ देशों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। तथा ओपेक अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा आयोग(आयईए), इंटरनेशनल गैस यूनियन (आयजीयू) जैसे ऊर्जा एवं ईंधन क्षेत्र के १५ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख भी इस परिषद में शामिल हुए थे।

सदस्य देशों में सन २०३० तक १००० गिगावॅट सौर ऊर्जा का लक्ष्य साध्य करने के लिए एक लाख करोड़ डॉलर्स निवेश कि आवश्यकता है। उसके लिए निजी क्षेत्र निवेश के लिए आगे आये, ऐसा आवाहन फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैनुअल मैक्रोन ने उस समय किया।

कर्क वृत्त एवं मकर वृत्त के दौरान बसे हुए १२१ देश आयएसए में शामिल किए जाने वाले हैं। इनमे से ६३ देशोंने पहले से इस संगठन की सदस्यता प्राप्त की है और ३० देशों ने संबंधित करार को मंजूरी दी है। जापान, पेरू, ग्रीन, रोम, इजिप्त इनके साथ माया एवं इन्का जैसे प्राचीन संस्कृति ने सूर्य को महत्व दिया है। भारतीय संस्कृति ने भी सूर्य को केंद्रीय स्थान दिया है, इसकी याद प्रधानमंत्री मोदी ने इस परिषद के उद्घाटन के अवसर पर किये भाषण में दिलाई है।

तथा सूर्य वर्षभर जलता है, फिर भी साधन एवं तंत्रज्ञान की कमी सौर ऊर्जा के निर्माण के आड़ आ सकती है, यह प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया है। सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के लिए तंत्रज्ञान सहज रूप से उपलब्ध होने चाहिए, साधनों की कीमत ससती होने चाहिए, ऊर्जा संवर्धन का तंत्रज्ञान विकसित होना चाहिए, ऐसा प्रधानमंत्री ने उस समय कहा।

दौरान, पैरिस तापमान बदलाव के करार में शामिल होने से इंकार करनेवाले अमरिका पर उस समय फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने अप्रत्यक्ष रूप से टीका की। कुछ देशों ने ग्रीन हाउस वायु का उत्सर्जन रोकने के लिए प्रयत्नों से वापसी की थी। क्योंकि यह बात आनेवाले पीढ़ी के लिए फायदेमंद होने वाली है, आयएसी जागतिक तापमान बढ़त को रोकने के लिए किए जाने वाले प्रश्नों का हल निकालेगी। दुनिया के तीन चतुर्थांश लोकसंख्या का आयएसए प्रतिनिधित्व करती है। इस लोकसंख्या में २० से ५० फ़ीसदी लोगों तक अब तक बिजली पहुंची नहीं है, यह बात मैक्रोन ने यहा उजागर की।

दौरान भारत विकसनशील देशों में सौर ऊर्जा प्रकल्प में बड़ी तादाद में निवेश करता आ रहा हैं। इंधन क्षेत्र में ओपेक ने जो काम किया है, उसकी तरह आएएसए के माध्यम से भारत सौर ऊर्जा क्षेत्र में बहुमूल्य भूमिका निभा सकता है, ऐसा मत अभ्यासको ने व्यक्त किया है।

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