नेपाल में भारत के हितसंबंधों पर दूसरा हमला – भारत निर्माण कर रहे जल विद्युत परियोजना में बम विस्फोट – प्रधानमंत्री मोदी के हाथों नीव रखी जाने वाले थी

नई दिल्ली / काठमांडू: भारत नेपाल को निर्माण करके दे रहे जल विद्युत परियोजना के जगह रविवार को बम विस्फोट हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ११ मई के रोज इस प्रकल्प की नींव रखने के लिए नेपाल जाने वाले हैं। पर उससे पहले इस जल विद्युत प्रकल्प के कार्यालय को लक्ष्य किया गया है। अब तक इस विस्फोट की जिम्मेदारी किसी ने भी स्वीकारी नहीं है। पर पिछले १५ दिनों में नेपाल में भारतीय संबंधों को लक्ष्य करने वाली यह दूसरी घटना साबित हुई है।

१७ अप्रैल के रोज नेपाल के बीटानगर में होने वाली भारतीय दूतावास की इमारत के आंगन में विस्फोट हुआ था। इस विस्फोट के पीछे पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आयएसआय का हाथ होने का संदेह गुप्तचर संस्था ने व्यक्त करने का दावा प्रसार माध्यमों ने किया था। इस विस्फोट में दूतावास की इमारत की एक दीवार गिरी थी। खुशनसीबी से उस समय जीवित हानि नहीं हुई थी।

नेपाल, दूसरा हमला, जल विद्युत परियोजना, बम विस्फोट, नीव, भारत, नरेंद्र मोदीरविवार की सुबह भारत नेपाल को निर्माण करके दे रहे जलविद्युत प्रकल्प के कार्यालय में भी ऐसा ही बम विस्फोट किया गया है। इसमें कार्यालय का नुकसान हुआ है, फिर भी खुशनसीबी से मनुष्य हानि नहीं हुई है। ऐसी जानकारी सांखुवासभा जिले के अधिकारी ने दी है। भारत नेपाल को निर्माण करके दे रहे इस जल विद्युत परियोजना से ९०० मेगावाट क्षमता का होकर सांखुवासभा जिले में तुमलिंगतार भाग में यह प्रकल्प निर्माण हो रहा है।

२०१४ में सुशील कोइराला नेपाल के प्रधानमंत्री होते हुए भारत और नेपाल में इस जलविद्युत प्रकल्प के बारे में करार हुआ था। ११ मई के रोज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके हाथों इस प्रकल्प की नींव रखने का कार्यक्रम होने वाला है। १.५ अरब डॉलर निवेश करके निर्माण होने वाला यह प्रकल्प २०२० तकपूर्ण करने का उद्देश्य है।

नेपाल के जांच संस्था ने इस विस्फोट की जांच शुरू की है। नेपाल ने डेढ़ दशक में बड़ी तादाद में अस्थिरता और हिंसाचार का सामना किया है। चीन के समर्थन पर माओवादियों ने किए हिंसाचार में हजारों लोगों की जान गई थी। पर नेपाल में जनतंत्रवादी मार्ग से सत्ता स्थापित होने के बाद कम्युनिस्ट माओवादी संघटना भी इस जनतंत्रवादी प्रक्रिया में शामिल हुई थी। उसके बाद पिछले कुछ वर्षों में नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता निर्माण हुई है, फिर भी इस देश में हिंसाचार के प्रमाण बहुत ही कम हुए हैं।

हालही में नेपाल में के.पी.शर्मा ओली इनके नेतृत्व में कम्युनिस्ट पक्ष बहुमत से सत्ता पर आया है। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली यह चीन समर्थक माने जाते हैं। वह सत्ता पर आने के बाद नेपाल की धारणा गतिमान रूप से बदलती दिखाई दे रही है। अपने पहले विदेशी दौरे के लिए उन्होंने नेपाल की परंपरा के अनुसार भारत का चुनाव किया है। पर इससे पहले उन्होंने प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल में चीन के साथ किए करार फिर से पूर्ण करने की दृष्टि से प्रयत्न शुरू किए हैं।

मुख्य तौर पर ओली ने नेपाल के पाकिस्तान से संबंध स्थापित करके भारत के हित संबंधों को धक्का देने की तैयारी शुरू की है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कई दिनों पहले नेपाल का दौरा किया था। इस के साथ ही, नेपाल की धारणा अब केवल भारत केंद्रित नहीं रहेगी, ऐसे संकेत देने का प्रयत्न प्रधानमंत्री ऒली ने किया है।

तथा पाकिस्तान में सार्क परिषद् करने का समर्थन भी प्रधानमंत्री ओली ने किया है। भारत के साथ बांग्लादेश, अफगानिस्तान एवं अन्य देशों ने सार्क का आयोजन पाकिस्तान में करने का पूर्ण विरोध किया था। नेपाल की भी यही भूमिका थी। पर प्रधानमंत्री ओली ने इस में बदलाव करने की बात दिखाई दे रही है।

इस पृष्ठभूमि पर नेपाल में भारत के हितसंबंधों को लक्ष्य करने की बात शुरू हुई है, जिससे ध्यान केंद्रित हो रहा है। इससे पहले भी भारतीय दूतावास में हुए बम विस्फोट में पाकिस्तान की आयएसआय का हाथ होने की बात सामने आई थी। आयएसआय भारत के विरोध में इससे पहले भी ऐसे षड्यंत्र रचता आ रहा है। इसकी वजह से जल विद्युत परियोजना की जगह हुए हमले के पीछे आयएसआय का हाथ होने का संदेह बढ़ता जा रहा है।

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