तैवान के मुद्दे पर अमरीका-चीन युद्ध भड़कने की आशंका – विश्‍लेषकों का दावा

Taiwan-China-Americaवॉशिंग्टन/बीजिंग/तैपेई – तैवान की सीमा में चीन ने बढ़ाई घुसपैठ, तैवान के करीबी क्षेत्रों में जारी चीन के युद्धाभ्यास, चीन के नेताओं द्वारा दी जा रहीं धमकियाँ और तैवान को अमरीका से प्राप्त हो रहे समर्थन की वज़ह से, तैवान के मुद्दे पर अमरीका और चीन के बीच युद्ध भड़कने की आशंका बढ़ गई है। पिछले कुछ हफ़्तों में हुई घटनाओं की मिसाल देकर विश्‍लेषक और माध्यमों द्वारा इस युद्ध का ख़तरा बढ़ने की चेतावनी दी जा रही है।

कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत साउथ चायना सी एवं इस्ट चायना सी के कुछ क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेगी, ऐसी चेतावनी अमरीका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारियों ने पिछले महीने में दी थी। यह चेतावनी देने से पहले एवं उसके बाद के दिनों में, चीन ने तैवान के विरोध में अपनी गतिविधियों में और भी बढ़ोतरी की हुई दिखाई दे रही है। पिछले महीने के अन्त में चीन में हुई एक विशेष बैठक में, कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता और लष्करी अधिकारियों ने तैवान पर हमला करने के लिए यही समय उचित होने की भूमिका बड़ी आग्रहता से रखी थी।

इसी बैठक में, चीन के वरिष्ठ नेता और अधिकारियों ने, इसके आगे तैवान को शांतिमय मार्ग से अपने क्षेत्र में शामिल करना मुमकिन ना होने की बात डटकर कही थी। इसके पीछे त्साई इंग-वेन का, दोबारा तैवान की राष्ट्राध्यक्षा होना प्रमुख कारण बना है और इस वज़ह से चीन की तैवानविरोधी भूमिका और भी तीव्र होती दिख रही है। अमरिकी विश्‍लेषक मायकल मेझ्झा ने भी इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।

Taiwan-China-Americaपिछले कुछ महीनों में चीन के मछुआरे एवं रेत का खनन करनेवालें सैकड़ों जहाज़ तैवान की समुद्री सीमा के करीबी क्षेत्र में बेझिझक आवाजाही कर रहे हैं। ये जहाज़ कई बार तैवान की सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं और इसे चीन के मेरिटाईम मिलिशिया और तटरक्षक बल का समर्थन है। तैवान में ‘नैशनल डिफेन्स ॲण्ड सिक्युरिटी रिसर्च’ इस अभ्यासगुट ने इससे संबंधित रिपोर्ट भी जारी की है। कुछ निरीक्षकों ने इसका ज़िक्र ‘ग्रे झोन टैक्टिक्स’ ऐसा किया है। प्रत्यक्ष संघर्ष किए बिना तैवान की रक्षा क्षमता टटोलकर, रक्षा बलों को परेशान करने की साज़िश इसके पीछे है।

चीन के लड़ाकू विमानों ने पिछले दो हफ़्तों में सात बार तैवान की हवाई सरहद में घुसपैठ की है और यह भी इसी साज़िश का हिस्सा होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं। चीन की बढ़ रहीं ये हरकतें सिर्फ़ तैवान को ही नहीं, बल्कि उसके पीछे ड़टकर खड़ी रहनेवाली अमरीका को भी चेतावनी होने का दावा लष्करी विश्‍लेषकों ने किया है। अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान को लेकर अपनाई नीति इसके लिए ज़िम्मेदार होने का दावा चीन कर रहा है।

Taiwan-China-Americaतीन दशकों के बाद पहली बार ही अमरीका ने तैवान को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने का निर्णय किया है। इसी दौरान तैवान ने भी अमरीका से हार्पून मिसाइल ख़रीद करने की तैयारी की है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने तैवान को प्रदान रही रक्षा सहायता में बढ़ोतरी करने का निर्णय भी किया है। इसी बीच, साउथ चायना सी में अमरीका की बढ़ रही लष्करी तैनाती की ओर भी विश्‍लेषक ग़ौर फ़रमा रहे हैं।
पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से अमरिकी विध्वंसक, लड़ाकू विमान, गश्‍ती विमान, बॉम्बर्स एवं ड्रोन्स लगातार साउथ चायना सी के क्षेत्र में गश्‍त कर रहे हैं। तीन वर्ष के बाद पहली बार अमरीका ने अपने तीन विमान वाहक युद्धपोतों को एक ही समय पर इंड़ो-पैसिफिक क्षेत्र में रवाना किया है। इनमें सो दो विमान वाहक युद्धपोतों ने हाल ही में तैवान के नज़दिकी समुद्री क्षेत्र में युद्धाभ्यास करने की जानकारी अमरीका ने प्रदान की है।

अमरिकी अभ्यासगुट ‘इन्स्टिट्युट ऑफ तैवानीज्‌ स्टडीज्‌’ के प्रमुख केनेथ वांग ने, तैवान में स्थायी लष्करी अड्डा स्थापित करने की सलाह भी अमरिका को दी है। वहीं, अमरिकी सांसद माइक गॅलघर ने यह चेतावनी दी है कि यदि अब अमरिका ड़टकर तैवान के पीछे खड़ी नहीं हुई, तो चीन यक़ीनन ही तैवान का निवाला लेगा। यह सारी पृष्ठभूमि, ज़ल्द ही तैवान के मुद्दे पर अमरीका और चीन के बीच प्रत्यक्ष युद्ध भड़केगा, यही संकेत देती हुई दिख रही है।

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