चीन का विरोध ठुकराकर यूरोपिय संसद ने किया ताइवान के संबंध मज़बूत करने का निर्णय – चीन ने जताई नाराज़गी

ब्रुसेल्स/ताइपे/बीजिंग – चीन के लगातार विरोध और धमकियों को ठुकराकर यूरोपियन संसद ने ताइवान के संबंध मज़बूत करने का निर्णय किया है। ब्रुसेल्स में आयोजित संसद की विदेश समिती की बैठक में ताइवान संबंधित रपट को बहुमत से पारित किया गया। इस रपट में सिफारिश की गई है कि, ताइवान के साथ द्विपक्षीय निवेश संबंधी समझौता करने की दिशा में कोशिश करें एवं महासंघ के दफ्तर के नाम में बदलाव करें। यूरोपिय महासंघ के इस नए झटके से यूरोप और चीन के बीच तनाव अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

china-europe-parliament-taiwan-1यूरोपिय संसद की ‘फॉरेन अफेअर्स कमिटी’ की बैठक का हाल ही में ब्रुसेल्स में आयोजन किया गया था। इस बैठक में कमिटी ने ‘ईयू-ताइवान रिलेशन्स ऐण्ड को-ऑपरेशन’ नामक रपट को स्वीकृति प्रदान करने का ऐलान किया। इससे संबंधित प्रस्ताव ६० बनाम ४ मतों से पारित किया गया। इसमें ताइवान के साथ आर्थिक और व्यापारी संबंध मज़बूत करने की सलाह दी गई है। साथ ही ‘५ जी’, ‘सेमीकंडक्टर्स’ जैसी तकनीक संबंधी सहयोग बढ़ाने की भी सिफारिश की गई है। चीन की हुकूमत द्वारा ताइवान पर ड़ाले जा रहे लष्करी एवं अन्य क्षेत्र के दबावों का भी इस रपट में स्पष्ट ज़िक्र किया गया है।

चीन और ताइवान के संबंधों में एकतरफा बदलाव ना हो, इस ओर महासंघ ध्यान दे, यह सुझाव भी दिया गया है। ताइवान के साथ ताल्लुकात सुधारने की कोशिश के तौर पर यूरोपिय महासंघ और ताइवान के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौता करने पर जोर देने की भी सिफारिश की गई है। यह रपट पारित करते समय एक सुधार को भी मंज़ूरी दी गई। इस सुधार के अनुसार महासंघ के ताइवान में स्थित प्रतिनिधि दफ्तर का नाम इसके आगे ‘यूरोपियन युनियन ऑफिस इन ताइवान’ करने का निर्णय हुआ है। इससे पहले इस दफ्तर के नाम में ‘ताइपे’ का ज़िक्र था। साथ ही ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन’ के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में ताइवान का समावेश करने का समर्थन करें, यह सिफारिश भी संसदीय समिती ने की है।

यूरोपियनchina-europe-parliament-taiwan-2 संसद ने ताइवान पर किया यह निर्णय चीन के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। इससे पहले चीन ने लगातार बड़े आग्रह से यह भूमिका अपनाई थी कि, विश्‍व के सभी देशों ने ‘वन चायना पॉलिसी’ को मंजूरी प्रदान की है और इसके अनुसार ताइवान को स्वतंत्र स्वीकृति प्रदान ना करें। लेकिन, अमरीका के साथ विश्‍व के प्रमुख देशों ने चीन के इन दावों को खुले आम चुनौती देना शुरू किया है। अमरीका ने ताइवान में ‘डिफैक्टो एम्बसी’ शुरू करके एवं वरिष्ठ अधिकारी एवं मंत्रियों के दौरे आयोजित करके राजनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान की है।  इसके बाद अब यूरोपिय महासंघ ने यही दोहराने का निर्णय किया होने की बात नई गतिविधियों से दिखाई दे रही है।

कुछ दिन पहले महासंघ के सदस्य देश लिथुआनिया ने ताइवान के साथ संबंध सुधारने की दिशा में कदम उठाने का ऐलान किया था। तब चीन ने लिथुआनिया को धमकाया था। इस मुद्दे पर महासंघ ने लिथुआनिया के समर्थन में खड़े होकर चीन के खिलाफ भूमिका अपनाई थी। संसद में पारित हुई रपट और इसमें की गई सिफारिश महासंघ अगले दिनों में ताइवान के साथ स्वतंत्र तौर पर ताल्लुकात विकसित करने पर जोर देगा, ऐसे संकेत देनेवाले साबित हुए हैं।

इस मुद्दे पर चीन ने प्रतिक्रिया दर्ज़ करके नाराज़गी जताई है। ताइवान का मुद्दा चीन का अंदरुनि मसला होने का इशारा भी दिया गया है। इस हस्तक्षेप को चीन का तीव्र विरोध है और ताइवान का मुद्दा बहुत संवेदनशील है, यह बात यूरोपिय महासंघ समझ ले, ऐसा इशारा भी चीन ने दिया है।

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