कच्चे तेल की दरों की ६० डॉलर्स पर रिकार्ड छलांग – जुलाई २०१५ के बाद का उच्चांक

लन्दन/वॉशिंगटन: दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बढ़ोत्तरी, ‘ओपेक’ ने इंधन कटौती कायम रखने के बारे में दिए हुए संकेत और इराक-कुर्दिस्तान के बिच बना तनाव, इस पृष्ठभूमि पर शुक्रवार को कच्चे तेलों के दर करीब दो प्रतिशत की छलांग लगाते हुए, ६० डॉलर्स तक पहुंचे हैं। कच्चे तेल के दर प्रति बैरल ६० डॉलर्स के ऊपर जाने की जुलाई २०१५ के बाद की यह पहली घटना है। इस उच्चांक दर की वजह से तेल का उत्पादन करने वाले ‘ओपेक’ सदस्य देशों के साथ रशियन अर्थव्यवस्था को बड़ा दिलासा मिला है, ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं।

शुक्रवार दोपहर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में हुए व्यवहार में कच्चे तेल की दर ने ६०.५३ डॉलर्स प्रति बैरल का उच्चांक दर्ज किया है। गुरुवार की तुलना में शुक्रवार के व्यवहार में तेल के दरों ने लगभग १.८ प्रतिशत से बढोत्तरी ली है। जुलाई २०१५ के बाद दो सालों बाद कच्चे तेल का दर ६० डॉलर्स प्रति बैरल के ऊपर गया है। इसी हफ्ते में कच्चे तेल के दरों ने करीब साढ़े चार प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज कराई है।

कच्चे तेलअंतर्राष्ट्रीय बाजार के साथ ही अमरिका के तेलों के दरों ने भी बढ़ोत्तरी दर्ज कराई है। अमरिका के तेलों के दरों ने शुक्रवार को दो प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी लेकर ५३.९३ डॉलर्स प्रति बैरल का उच्चांक प्राप्त किया है। अमरिकी तेल की दरों ने ५३ डॉलर्स के ऊपर बढ़ोत्तरी करने की मार्च महीने के बाद यह पहली घटना है। इस हफ़्ते में यह दर चार प्रतिशत से अधिक बढ़ गए हैं।

कच्चे तेलों की दरों ने ली बढ़ोत्तरी के पीछे तीन से चार मुख्य कारण हैं। अमरिका, चीन, जापान, यूरोप जैसे देशों की अर्थव्यवस्थाओं ने सकारात्मक आर्थिक विकास दर दर्ज किये हैं। अमरिका की अर्थव्यवस्था ने तीसरे त्रैमासिक में तीन प्रतिशत और चीन की अर्थव्यवस्था ने ६.८ प्रतिशत आर्थिक विकास दर दर्ज किया है।

तेल उत्पादक देशों का प्रमुख संगठन ‘ओपेक’ ने रशिया के साथ उत्पादन कटौती के सन्दर्भ में लिए फैसले की अवधि बढाने के संकेत दिये हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण वक्तव्य किया है। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ ने, मार्च २०१८ के बाद भी ‘ओपेक’ सदस्य देशों की तरफ से शुरू इंधन उत्पादन में कटौती कायम रखने के लिए उत्सुक हैं, ऐसा कहा। राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने २०१८ के अंत में अनुबंध की अवधि बढाने के लिए रशिया तैयार है, इस बात को स्पष्ट किया है।

‘ओपेक’ और रशिया ने दिए हुए यह संकेत अगले कुछ महिनों में कच्चे तेलों के उत्पाद में विशेष बढ़ोत्तरी न होने की संभावना दर्शाते हैं। उसके बाद इराक और कुर्दिस्तान में चल रहा विवाद और चीन की ओर से इंधन की मांग में हो रही बढ़ोत्तरी, यह बातें कच्चे तेलों की दरों के लिए सकारात्मक साबित हुई हैं। ‘ओपेक’ की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई महीने में चीन की तेल की मांग हर दिन करीब १.१६७ करोड़ बरेल्स तक बढ़ने की बात दर्ज है। यह बढ़ोत्तरी अगले कुछ महीनों तक कायम रहने की संभावना भी जताई जा रही है।

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