कोरोना के दूसरी लहर का कृषि क्षेत्र पर असर नहीं – नीति आयोग का दावा

नीति आयोगनई दिल्ली – कोरोना के दूसरी लहर का कृषि क्षेत्र एवं इससे जुड़े किसी भी क्षेत्र का असर दिखाई नहीं देगा, यह बात नीति आयोग ने स्पष्ट की है। इस वजह से कृषि क्षेत्र का विकास दर इस वर्ष भी तीन प्रतिशत से अधिक होगा, यह विश्‍वास नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने व्यक्त किया है। बीते वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास दर मायनस सात प्रतिशत रहा था, तब भी भारतीय कृषि क्षेत्र का विकास दर ३.६ प्रतिशत दर्ज़ हुआ था। इस वर्ष भी यही चित्र दिखाई देगा। इस वजह से ग्रामिण क्षेत्र के आय पर और वहां की माँग पर ज्यादा असर महसूस नहीं होगा, यह दावा चंद ने किया है।

कृषि क्षेत्र से संबंधित सबसिडी, मूल्य और तकनीक संबंधित भारत सरकार की मौजूदा नीति चावल, गेंहू और शक्कर जैसे कृषि उत्पादकों के लिए सहायक है। अब दाल के लिए भी ऐसी ही प्रोत्साहन देनेवाली नीति अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। दाल की खरीद और न्यूनतम मूल्य से संबंधित नीति में अधिक सुधार की आवश्‍यकता की बात नीति आयोग के (कृषि) सदस्य रमेश चंद ने स्पष्ट की। साथ ही इस वर्ष कोरोना के दूसरी लहर का असर कृषि क्षेत्र पर होने की चिंता उन्होंने ठुकराई।

भारत में कोरोना की दूसरी लहर लगभग मई में गांवों तक जा पहुँची। मई में भारत के ग्रामिण इलाकों में खेती के काम ज्यादा नहीं होते। मार्च-अप्रैल में खेती का काम अधिक मात्रा में होता है। मई में किसी भी तरह के बुआई या जुताई के काम नहीं होते। कुछ मात्रा में सब्जी एवं सामयीक खेती के काम होते हैं। यह बात उन्होंने दूसरी लहर का कृषि क्षेत्र पर असर नहीं होगा, यह अनुमान व्यक्त करते समय रेखांकित की। इस वजह से मई से जून के तीसरे हफ्ते तक कोरोना की वजह से मज़दूरों की कमी महसूस हुई, फिर भी इसका बड़ा असर नहीं पड़ेगा, यह दावा रमेश चंद ने किया।

साथ ही शहरी इलाकों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ना शुरू होते ही मज़दूरों ने फिर से ग्रामिण इलाकों में स्थानांतरण किया। फिलहाल यह मज़दूर कृषि क्षेत्र में काम करने पर जोर देंगे और इससे अपनी आय प्राप्त करेंगे। कृषि उत्पादन का विचार करें तो कोरोना की लहर का कृषि क्षेत्र पर ज्यादा असर ना होने की बात दिखाई देगी, ऐसा चंद ने कहा।

साथ ही ग्रामिण क्षेत्र में अधिकांश नागरिकों की आय का स्रोत खेती ही है और इस वजह से ग्रामिण इलाके की आय पर कोरोना की इस लहर का असर नहीं होगा। इससे ग्रामिण क्षेत्र की माँग पर भी कोरोना की दूसरी लहर का असर नहीं महसूस होगा, इस बात पर चंद ने ध्यान आकर्षित किया।

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