चीनी कंपनियों की जासूसी के मामले की जाँच करने के लिए विशेषज्ञों की समिती

नई दिल्ली – चीन के ‘ज़िन्हुआ डाटा इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी’ ने शुरू किए जासूसी के मामले में केंद्र सरकार ने विशेषज्ञों की समिती गठित की है। इस समिती को ३० दिनों में रपट पेश करने को कहा गया है। साथ ही भारत के विदेश मंत्रालय ने ‘ज़िन्हुआ’ के जासूसी का मुद्दा चीनी राजदूतों के सामने भी उपस्थित किया होने का भी समाचार है।

दो दिन पहले ही चीनी सेना से संबंधित इस कंपनी ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री मोदी समेत १० हज़ार लोगों पर जासूसी करने की बात स्पष्ट हुई थी। भारतीय नेता, राजनयिक अधिकारी, वैज्ञानिक, विभिन्न क्षेत्रों के प्रभावी लोगों की जासूसी करके चीनी कंपनी अपनी सेना के लिए डाटा बेस बनाने में जुटी हुई है, यह बात इस रपट से सामने आयी थी। इस रपट का उपयोग शत्रु देश और विरोधकों को नुकसान पहुँचाने के लिए, प्रचारतंत्र चलाकर गलत जानकारी फैलाने के लिए हो रहा है यह दावा भी इस रपट में किया गया था।

इस रपट पर गंभीरता से संज्ञान लेकर केंद्र सरकारने इस जासूसी के मामले की जाँच करने के लिए विशेषज्ञों की समिती गठित की है। नैशनल सायबर सिक्युरिटी को-ऑर्डिनेटर की अध्यक्षता में यह समिती पूरे मामले की जाँच करेगी और ३० दिनों में यह रपट सरकार के सामने रखेगी। इस जाँच में कुछ गलत या अवैध सच्चाई सामने आने पर सरकार अगले कदम उठाएगी।

इसी बीच, चीनी कंपनियां जासूसी कर रही हैं, डाटा का गलत इस्तेमाल करने में जुटी होने की बात लगातार स्पष्ट हुई है। साथ ही चीन हैकिंग और सायबर हमलों के माध्यम से जासूसी कर रहा है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। अमरीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया ने पहले ही चीन पर ऐसे जासूसी के आरोप लगाए हैं। भारत ने बीते तीन महीनों में दो सौ से अधिक चीनी ऐप्स पर डाटा चोरी का आरोप लगाकर प्रतिबंध घोषित किए हैं।

बुधवार को अमरीका में पांच चीनी हैकर्स को गिरफ्तार किया गया। यह चीनी हैकर्स जासूसी, डाटा चोरी एवं सायबर हमलों जैसे अपराधिक मामलों में शामिल थे। विश्‍व की १०० से अधिक कंपनियों की गोपनीय जानकारी इन हैकर्स ने चोरी करने का दावा किया गया है और इन हैकर्स ने भारतीय कंपनियों को भी लक्ष्य किया होने का दावा हो रहा है। इस पृष्ठभूमि पर चीनी कंपनियों ने जासूसी के मामले की तह तक जाने के लिए सरकार ने नियुक्त की हुई समिती अहमियत रखती है।

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