चीन के राष्ट्राध्यक्ष का जापान दौरा रद करने की तैयारी

टोकिओ/बीजिंग – हाँगकाँग सिक्युरिटी लॉ एवं ‘सेंकाकू’ की सीमा में लगातार होनेवाली घुसपैठ की वजह से जापान-चीन के बीच होनेवाला तनाव और भी बिगडने के संकेत मिल रहे हैं। हाँगकाँग पर थोंपे हुए कानून के पृष्ठभूमि पर, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग का संभाव्य जापान दौरा रद करने की माँग जापान के सत्ताधारी पक्ष से ही हो रही है। कोरोना की महामारी और अन्य  हरकतों की पृष्ठभूमि पर, चीन के आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ के संबंध बिगड़े हुए है और जापान दौरे का इस्तेमाल करके अपनी स्थिति मज़बूत करने की चिनी राष्ट्राध्यक्ष की कोशिश थी। दौरा रद होने पर चीन के सत्ताधारियों के इरादें मिट्टी में मिल सकते हैं।

जापान दौरा

चीन की कम्युनिस्ट हुक़ूमत ने हाँगकाँग पर थोंपे हुए नये सुरक्षा कानून के बाद, जापान में चीन के बारे में बेचैनी और भी बढ़ने लगी है। हाँगकाँग में एक हजार से ज्यादा जापानी कंपनियाँ कार्यरत होकर, जापानी उत्पाद भी बड़े पैमाने पर आयात किये जा रहे हैं। जापानी कंपनियाँ, जापानी नागरिक एवं निर्यात को मद्देनजर रखते हुए, हाँगकाँग में हो रहे परिवर्तन जापान के लिये महत्वपूर्ण साबित होते हैं। इस वजह से हाँगकाँग के मुद्दे पर जापान की संसद में भी तीव्र प्रतिक्रिया आ रही है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का दौरा रद करने की माँग भी इसी प्रतिक्रिया का हिस्सा है।

जापान के प्रधानमंत्री शिन्झो ॲबे की ‘लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी’ ने ही दौरा रद करने का प्रस्ताव लाने के संकेत दिये हैं। पार्टी के दो समितियों ने इस संबंध में मसौदा भी तैयार किये होने की बात सामने आई है। ‘हाँगकाँग में चल रही घटनाओं पर जापान चुप नहीं बैठ सकता और इस बात की नाराज़गी स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करनी चाहिये’ इन शब्दों में जापान की सत्ताधारी पार्टी के संसदसदस्यों ने इस प्रस्ताव के बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट की है। प्रस्ताव मंज़ूर होने के बाद वह जापान के प्रधानमंत्री के पास भेजा जाएगा, ऐसा भी सत्ताधारी पक्ष के सदस्यों ने कहा है। जापान के रक्षामंत्री तारो कानो ने भी चिनी राष्ट्राध्यक्ष के संभाव्य दौरे पर सन्देह व्यक्त किया है।

हाँगकाँग मुद्दे के साथ ही ‘ईस्ट चायना सी’ में चीन की बढ़ती हुईं आक्रमक हरक़तों की वजह से भी जापान-चीन के संबंध अधिक तनावपूर्ण हो गये हैं। दो दिन पहले चीन की गश्ती नौकाओं ने जापान के सेंकाकू द्वीप की सीमा में घुसपैंठ करने का प्रयास करने की बात सामने आयी है। इन चिनी गश्ती नौकाओं ने जापान की मछली पकड़नेवाली नौकाओं को रोकने का प्रयास किया होने की बात भी बताई जा रही है। चीन की गश्ती नौकाएँ तथा युद्धपोत लगभग ढ़ाई महिने से ज़्यादा समय तक लगातार जापान की समुद्री सीमा में घुसपैंठ का प्रयास कर रहे हैं। पिछले महीने ही, चीन की एक पनडुब्बी भी जापान की सीमा के पास खतरनाक तरीके से गश्त करने की घटना सामने आयी थी।

चीन द्वारा शुरू रहनेवाली इस घुसपैठ पर काबू पाने के लिए जापान ने इस सीमा पर बड़े पैमाने पर सुरक्षा तैनाती शुरू की है। जापान ने अपने प्रगत हेलिकॉप्टर वाहक युद्धपोत ‘कागो’ को इस क्षेत्र में तैनात किया है। इसके तुरंत बाद जापान ने अपने रक्षाअड्डे पर ‘पॅट्रिऑट मिसाईल डिफेन्स’ यह प्रगत हवाईसुरक्षा यंत्रणा भी सिद्ध रखी है। इसके बावजूद चीन की हरकतें जारी रहने के कारण, जापान के राजनीतिक दायरे में बेचैनी काफ़ी बढ़ गयी है।

हाँगकाँग और ईस्ट चायना सी में चल रहीं गतिविधियों के साथ ही कोरोना की महामारी, साऊथ चायना सी का लष्करीकरण, भारत के साथ सीमावाद और अमरीका एवं चीन में तीव्र हो रहा संघर्ष, ये बातें भी जापान की चिंता ज्यादा बढ़ानेवालीं हैं। इस पृष्ठभूमि पर, चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग का जापान का दौरा करना, जापान की अंतर्गत और बाहरी अडचनों में वृद्धि करनेवाला साबित हो सकता है, ऐसा दावा विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है।

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