कोरोना की वैक्सीन विकसित करनेवालीं चीनी कंपनियों के ‘बायोवॉरफेअर प्रोग्राम’ से ताल्लुकात – तैवान की वेबसाईट का आरोप

तैपेई/बीजिंग – चीन में कोरोना की वैक्सीन तैयार करनेवाली ‘सिनोफार्म’ कंपनी के चीनी सेना के ‘बायोवॉरफेअर प्रोग्राम’ से ताल्लुकात होने का आरोप विदेशी वैज्ञानिक और विश्‍लेषकों ने किया है। ‘सिनोफार्म’ की वैक्सीन ‘वुहान इन्स्टिट्युट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्टस्‌’ (डब्ल्यूआयबीपी) नामक उपक्रम के तहत तैयार की गई हैं। यह उपक्रम ‘ड्युअल यूज बायोवॉरफेअर फैसिलिटी’ होने की जानकारी चीन ने ही १९९०-२००० के दशक में प्रदान की थी। इस वजह से चीन अब वैक्सीन का इस्तेमाल भी जैविक युद्ध के लिए कर रहा हैं, ऐसें संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

corona-vaccine-biowarfareवर्ष २०१९ के अन्त में चीन के वुहान प्रांत से संक्रमित हुई कोरोना की महामारी ने विश्‍वभर में हाहाकार मचाया और इस महामारी से २५ लाख से भी अधिक नागरिकों की मौत हुई है। वुहान से संक्रमित हुई इस महामारी के असल विषाणु का, चीन के ही लैब में कृत्रिम तरीके से निर्माण करके इसका फैलाव जानबूझकर किया गया है, ऐसें आरोप विश्‍वभर से हो रहे हैं। यह आरोप करनेवालों में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया समेत युरोपिय देशों के विशेषज्ञ और विश्‍लेषकों का समावेश है।

अमरीका का विदेश विभाग एवं गुप्तचर यंत्रणा ने जारी की रिपोर्ट में भी यह बात स्वीकारी गई है। वुहान की प्रयोगशाला चीन की सेना से संबंधित होने के और वहीं पर विषाणु का निर्माण करके उसे फैलाने से संबंधित सबूत उपलब्ध होने का ऐलान अमरिकी अफसरों ने किया था।

तैवान की एक वेबसाईट ने प्रदान किए वृत्त में चीन में वैक्सीन निर्माण करनेवाली कंपनी ‘बायोवॉरफेअर प्रोग्राम’ से संबंधित होने का दावा किया है। बीते दो दशकों में अलग अलग वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञों ने जारी की हुई जानकारी के आधार पर यह वृत्त देने की बात तैवानी वेबसाईट ने कही है। इस लेख में अमरिकी वैज्ञानिक एरिक क्रॉडी, इस्रायली गुप्तचर एवं विश्‍लेषक डैनी शोहाम, तैवान के सुरक्षा विषयक विशेषज्ञ एवं अमरीका के विदेश विभाग की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है।

corona-vaccine-biowarfareइसी के साथ, कोरोना वायरस का निर्माण करनेवाली ‘वुहान इन्स्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ एवं कोरोना की वैक्सीन तैयार करनेवाला उपक्रम ‘डब्ल्यूआयबीपी’ एक ही संकुल में कार्यरत होने की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया है। चीन की सेना ने निर्माण की वैक्सीन एवं उससे संबंधित अलग अलग यंत्रणा ‘वुहान इन्स्टिट्युट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्टस्‌’ से जुड़ी होने की जानकारी भी तैवानी वेबसाईट ने अपने वृत्त में प्रदान की है।

चीन की कंपनी ने तैयार की कोरोना की वैक्सीन में लगभग ७० से अधिक ‘साईड इफेक्टस्‌’ मौजूद होने की और इससे पहले इस कंपनी ने तैयार की वैक्सीन विवादित साबित होने का ज़िक्र भी इस वृत्त में है। चीन ने वर्ष १९८४ में ‘बायोवॉरफेअर कन्वेंशन’ पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन, इसके बाद भी चीन की सेना ने गुप्त पद्धती से ‘बायोवॉरफेअर प्रोग्राम’ शुरू रखा है, ऐसे आरोप अमरीका ने लगातार किए हैं। कोरोना की महामारी और इस वैक्सीन से संबधित सामने आयी जानकारी से, इन आरोपों की फिर से पुष्टि होती दिख रही है।

इसी बीच रशिया के ‘लेव्हाडा सेंटर’ ने किए सर्वे के दौरान कुल ६४ प्रतिशत लोगों ने, कोरोना वायरस यह जैविक युद्ध का नया प्रकार होने का मत दर्ज़ किया है। इसके साथ ही, ६० प्रतिशत से भी अधिक लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लेने से इन्कार करने की बात सर्वे से स्पष्ट हुई है।

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