लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने के लिए चीन की सेना हुई तैयार – भारतीय माध्यमों के दावें; ‘ग्लोबल टाईम्स’ का इन्कार

नई दिल्ली – लद्दाख की ‘एलएसी’ पर बीते सात महीनों से जारी भारत-चीन का विवाद थमने की संभावना आखिरकार बनी है। सीमा विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देशों में हुई आठवें चरण की चर्चा में सेना की वापसी करने पर सहमति हुई और सेना की यह वापसी तीन चरणों में करने पर भी दोनों देशों के सेना अफ़सरों के बीच सहमति हुई है, ऐसा भारतीय माध्यमों का कहना है। लेकिन, चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारतीय माध्यमों के ये दावे ठुकराए हैं। वहीं, भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी, किसी भी स्थिति में चीन पर भरोसा करना संभव नही होगा, यह चेतावनी सरकार को दे रहे हैं।

लद्दाख के पैन्गॉन्ग त्सो केक्षेत्र की दक्षिणी ओर घुसपैठ करने की कोशिश करके चीन ने भारत को चुनौती दी थी। इसके बाद गलवान वैली में हुए संघर्ष में भारत के २० सैनिक शहीद हुए थे और इस दौरान वहाँ पर मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या इससे कई ज्यादा थी। चीन की इस हरकत पर ख़ौल उठी भारतीय सेना ने चीन के मुँहतोड़ तैनाती करके चीन को झटका दिया था। भारतीय वायुसेना ने इस क्षेत्र में दिखाई सक्रियता चीन के लिए झटका देनेवाली साबित हुई थी। इसी बीच लद्दाख की कड़ी ठंड़ में चीन के सैनिकों को अस्पताल ले जाना पड़ रहा है, ऐसीं खबरें प्राप्त होने लगी हैं। अमरीका, फ्रान्स के साथ विश्‍व के सभी प्रमुख देशों ने, इस संघर्ष में भारत के समर्थन में खड़े होने के संकेत दिए थे। इसी वजह से चीन लद्दाख की ‘एलएसी’ से पीछे हटने के लिए तैयार हुआ है, ऐसें दावें भारतीय माध्यम कर रहे हैं।

लद्दाख की ‘एलएसी’ पर बने सीमाविवाद का हल निकालने के लिए हाल ही में हुई आठवें चरण की चर्चा के दौरान, चीन ने भारत के सामने सेना वापसी का प्रस्ताव रखा है, ऐसा माध्यमों का कहना है। इसपर भारत ने भी सहमति जताई है, ऐसा कुछ वृत्तसंस्थाओं ने कहा है। सेना की यह वापसी तीन चरणों में होगी। इसके पहले चरण में दोनों देशों के आर्मड् वेईकल, लाँग रेंज तोंपें हटाएँगे। दूसरें चरण में प्रति दिन ३० प्रतिशत गति से सैनिकों को हटाया जाएगा। तीसरें चरण में चीन अपनी सेना ‘फिंगर ८’ तक पीछे हटाएगी और भारतीय सेना मेजर धनसिंग थापा पोस्ट तक पीछे जाएगी। इस वापसी के दौरान दोनों देश एक-दूसरें के सेना वापसी की पुष्टि करेंगे और इसके आगे की कार्रवाई करेंगे, यह बात दोनों देशों के लष्करी अफ़सरों की चर्चा में तय हुई थी। लेकिन, ऐसा होते हुए भी भारत के पूर्व सेना अधिकारी, सामरिक एवं राजनीतिक विश्‍लेषक भारत को सावधानी बरतने की चेतावनी दे रहे हैं।

लद्दाख की ‘एलएसी’ पर घुसपैठ करके महीने बीतने के बाद चीन ने पीछे हटने की उदारता दिखाई हैं, फिर भी भारत ने चीन पर थोड़ा भी भरोसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि, चीन किसी भी क्षण दोबारा घुसपैठ करके भारत की पीठ में खंजर भोंक सकता है। इस वजह से भारत ने सेना वापसी की जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिये, ऐसा पूर्व लष्करी अधिकारी एवं विश्‍लेषकों का कहना है। मुख्य बात यह है कि लद्दाख की ठंड़ चीनी सेना सह नहीं पायेगी, इसी कारण चीन को वापसी की ज़रूरत महसूस हो रही है। लेकिन, चीनी सैनिकों को ठंड़ में कँपकँपाने के लिए मज़बूर करके, इस घुसपैठ की क़ीमत चुकाने के लिए विवश किए बिना भारत इस देश को किसी भी प्रकार की सहूलियत ना प्रदान करें, यह सलाह पूर्व लष्करी अधिकारी दे रहे हैं। मौजूदा स्थिति में भारतीय सेना ही लद्दाख की ‘एलएसी’ पर वर्चस्व कर रही हैं और चीन की स्थिति काफी खराब हुई हैं। इसपर गौर किया तो सेना वापसी का सबसे अधिक लाभ चीन को होगा, इस ओर भी ये पूर्व लष्करी अधिकारी ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

वहीं, पहले घुसपैठ करनेवाला चीन अब भारत की माँग के अनुसार, ‘फिंगर ८’ तक पीछे हटने के लिए तैयार होना, भारत की बड़ी कामयाबी होने के दावे कुछ लोग कर रहे हैं। लेकिन, भारतीय माध्यमों में सामने आ रहीं खबरें बेबुनियाद हैं और भारत-चीन के बीच इस तरह का कोई भी समझौता नहीं हुआ है, ऐसा ग्लोबल टाईम्स का कहना हैं। साथ ही, सेना वापसी के कुछ मुद्दों पर भले ही सहमति हुई हो, फिर भी अभी भी चर्चा पूरी नहीं हुई है। सेना वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के लिए चार-पाँच महीनों से भी अधिक अवधि लग सकती है, यह बात भारतीय वृत्तसंस्थाओं ने अपनी खबरों में कही है। इस वजह से, नज़दिकी दौर में दोनों देशों के बीच बना तनाव कम होने के आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे हैं। बल्कि फिलहाल सिर्फ ऐसी एक संभावना सामने आ रही है, इस ओर ज़िम्मेदार पत्रकार ग़ौर फ़रमा रहे हैं। खास तौर पर चीन पर कभी भी भरोसा करना संभव नहीं होगा, इस बात का पूरा एहसास भारतीय सेना रखती है और इस वजह से चीन की हर एक गतिविधि पर भारतीय सेना की कड़ी नज़र बनी रहेगी, यह विश्वास पूर्व सेना अधिकारी व्यक्त कर रहे हैं। लद्दाख से सेना की वापसी करने के मुद्दे पर चर्चा जारी होते हुए, सेनाप्रमुख मनोज मुकुंद नरवणे ने उत्तराखंड़ में स्थित चीन से जुड़ें भारतीय सरहदी क्षेत्र में पहुँचकर वहाँ की सुरक्षा का जायजा लिया। इसके ज़रिये भारत यक़ीनन चीन को आवश्‍यक संदेश देता हुआ दिख रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.