पोलखोल होने से बचने के लिए चीन ने ‘डब्ल्यूएचओ’ में तैवान का समावेश रोक रखा

वॉशिंग्टन/तैपेई – ‘वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन’ (डब्ल्यूएचओ) की ‘वर्ल्ड हेल्थ असेंब्ली’ (डब्ल्यूएचए) की शुरूआत हुई है। इसमें शामिल होने का अवसर तैवान को उपलब्ध ना हो सकें इसके लिए चीन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। इसका कारण वर्ष २०१९ के दिसंबर महीने में ही तैवान ने विश्‍व को कोरोना संक्रमण की चेतावनी देकर चौकन्ना करने की कोशिश की थी। ‘डब्ल्यूएचए’ में यदि तैवान यही मुद्दा उठाता, तो दुनिया के सामने यह बात खुल जाती कि चीन ने कोरोना से संबंधित जानकारी छुपाई और इसके लिए ‘डब्ल्यूएचओ’ ने उसका साथ दिया। इसी कारण अपनी पोलखोल ना हो, इस उद्देश्‍य से चीन ने तैवान को यह अवसर प्रदान करने से इन्कार किया, ऐसे आरोप हो रहे हैं।

‘डब्ल्यूएचए’ की ७४ वीं बैठक शुरू हुई है। इसमें १८४ सदस्य देशों के प्रतिनिधी शामिल हुए हैं। कोरोना की महामारी का सामना जारी है; ऐसे में इस महामारी की नई लहर का मुकाबला करने की तैयारी करने पर इस बैठक में सोच-विचार हो रहा है। लेकिन, यह बैठक शुरू होने से कुछ दिन पहले ही, चीन की वुहान लैब ही कोरोना विषाणु का निर्माणस्थान होने के आरोपों की पुष्टी करनेवाली खबरें सामने आने लगी हैं। चिनी वैज्ञानिक डॉ.ली-मेंग यान ने इससे संबंधित सबूत अपने हाथों में होने का ऐलान किया। इस लैब में काम करनेवाले करीबन तीन चिनी वैज्ञानिक, नवंबर २०१९ में ही कोरोना संक्रमित हुए थे। लेकिन, चीन ने यह पूरी जानकारी छुपाई है, ऐसा दावा पश्‍चिमी अखबार कर रहे हैं।

कोरोना की महामारी यानी चीन ने शुरू किया हुआ जैविक युद्ध ही होने के आरोपों को इससे बल प्राप्त हो रहा हैं। इससे चीन संबंधित आशंका बढ़ रही है और इस दौरान ‘डब्ल्यूएचए’ में तैवान को अवसर देने से इन्कार करके, चीन ने अपने खिलाफ जताई जा रही आशंका अधिक बढ़ाई होने का चित्र दिखता है। वर्ष २०१९ के दिसंबर महीने में तैवान ने, चीन में कोरोना संक्रमण सुरू होने की चेतावनी दी थी। ‘डब्ल्यूएचओ’ इस संक्रमण की ओर ध्यान दें, यह आवाहन भी तैवान ने किया था। लेकिन, इसपर रिस्पान्स नहीं मिला था। यह मुद्दा उठाकर तैवान ‘डब्ल्यूएचए’ में चीन की घेराबंदी करेगा, इस ड़र से चीन ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके तैवान को रोका होने की चर्चा शुरू हुई है।

ऐसें में, तैवान ने भी यह आरोप लगाया है कि हमें इस परिषद का हिस्सा होने का अवसर देने से चीन के कारण ही इन्कार किया गया। चीन के प्रभाव में आकर ‘डब्ल्यूएचओ’ काम ना करें और ‘डब्ल्यूएचए’ में शामिल होने का अवसर तैवान को प्रदान करें, यह निवेदन भी तैवान के विदेशमंत्री जोसेफ वू ने किया। कम्युनिस्ट चीन और वैश्‍विक स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर तैवान को इस परिषद में शामिल होने नहीं दिया, ऐसा आरोप संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमरीका की पूर्व राजदूत निक्की हैले ने रखा है। गुटबाजी करके अपने उद्देश्‍य प्राप्त करने में चीन को कुछ भी गलत नहीं लगता, इस देश को कोरोना की महामारी की वजह से उभरें संकट की भी परवाह नहीं है, ऐसी तीखीं आलोचना भी हैले ने की है।

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