लद्दाख की ठंड़ से चीनी सैनिकों का हुआ बुरा हाल – चीनी सेना ९० प्रतिशत सैनिक बदलने को हुई मज़बूर

लद्दाख की ठंड़नई दिल्ली – भारतीय सेना का सामना करने के लिए लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीब तैनात की गई चीनी फौज को वहां के मौसम का मुकाबला करना मुमकिन नहीं हुआ। इस वजह से चीनी सेना वहां पर तैनात ९० प्रतिशत से अधिक सैनिकों को पीछे हटाकर उनके स्थान पर नए सैनिक तैनात करने के लिए मज़बूर हुई है। चीन की सेना को रोज़ाना सैनिकों को बदलने का काम करना पड़ रहा है, यह जानकारी सामने आयी है। इस वजह से चीन अपनी ताकतवर सेना को लेकर कर रहे दावे खोखले होने की बात फिर से स्पष्ट हुई है। इसी बीच रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने भारत और चीन का नेतृत्व प्रगल्भ होने का बयान करके यह नेता दोनों देशों का सीमा विवाद अधिक बिगड़ने नहीं देंगे, यह उम्मीद व्यक्त की है।

लद्दाख की कड़ी ठंड़ चीनी सैनिकों के लिए बड़ी घातक साबित हुई है। इस तरह के मौसम में रहने की आदत ना होने से चीनी सैनिक काफी बड़ी संख्या में बीमार हो रहे थे। इलाज के लिए उन्हें अस्पतालों में दाखिल करना पड़ रहा था। इस वजह से रोज़ाना नई तैनाती करने का काम भी चीनी सेना को करना पड़ा। इसके लिए रोटेशन पद्धति का इस्तेमाल करके चीन लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीब अपनी तैनाती बरकरार रख रहा था। यह बात विश्‍व के सामने ना आने देने के लिए चीन काफी कोशिश भी कर रहा था। वहां के ठंड़े मौसम में रहने के लिए आवश्‍यक गरम कपड़े एवं पर्याप्त मात्र में अनाज चीनी सैनिकों के पास है। लेकिन, भारतीय सैनिकों की ऐसी स्थिति नहीं है, यह कहकर चीन के सरकारी मुखपत्र अपनी सेना की स्थिति भारतीय सेना से काफी बेहतर होने का भ्रम निर्माण कर रहे थे। लेकिन, इससे संबंधित नए से सामने आ रही खबरों ने इन मुखपत्रों के दावों का झूठ भी फिर से सामने आया है।

किसी स्थान पर सेना तैनात करने से पहले सैनिकों को वहां के मौसम में रहने के लिए तैयार करने का काम चीनी सेना नहीं करती। लद्दाख के ‘एलएसी’ के करीबी क्षेत्र में तैनात चीन की फौज को इसी बात का बड़ा झटका लगा है। भारतीय सेना का मुकाबला करना तो दूर, चीन की फौज को तो इस क्षेत्र में ड़टे रहना भी चुनौती से भरा महसूस होता दिख रहा था। रोज़ाना नई तैनाती करके चीन को अपने बीमार सैनिकों का इलाज़ कराना पड़ रहा था। इस वजह से चीनी सेना की मर्यादाएँ भी सामने आ रही हैं। इसी दौरान भारतीय सैनिकों की क्षमता और उच्च मनोबल भी तीव्रता से सामने आ रहा है।

गलवान के संघर्ष में भी भारतीय सैनिकों ने चीन की फौज को बड़ा सबक सिखाया था। लेकिन, इससे संबंधित पूरी जानकारी छुपाकर रखनेवाला चीन आज भी यह सबकुछ दबाने की कोशिश कर रहा है। संयुक्त अरब अमिरात के दुबई में स्थित एक चीनी ब्लॉगर ने यह दावा किया था कि, गलवान में हुए संघर्ष के दौरान चीनी सेना का काफी बड़ा नुकसान हुआ था। इसके बाद आगबबूला हुई चीनी यंत्रणाओं ने उसे हिरासत में लेकर जेल में बंद किया है। इससे गलवान की सच्चाई विश्‍व के सामने ना आ सके, चीन यह कोशिश करने में आज भी जुटा होने की बात दिख रही है।

लद्दाख के ‘एलएसी’ पर स्थित गोग्रा और हॉटस्प्रिंग में तैनात चीनी सैनिकों के पीछे हटने का निर्णय स्थानीय स्तर के अफसर करेंगे, ऐसा चीन ने कहा है। भारत और चीन के वरिष्ठ लष्करी अफसरों की चर्चा में यह मुद्दा शामिल ना हो, इसके लिए चीन यह माँग करता हुआ दिख रहा है। लेकिन, दोनों देशों के लष्करी अफसरों की चर्चा ही लद्दाख के ‘एलएसी’ पर हुई घुसपैठ की समस्या का हल निकालने के लिए हो रही है। इस वजह से इस बातचीत से गोग्रा और हॉट स्प्रिंग में तैनात चीनी सैनिकों का मुद्दा हटाना भारत को स्वीकार नहीं होगा। इस कारण लद्दाख के ‘एलएसी’ पर बना तनाव इतनी जल्दी खत्म होने की संभावना नहीं है। उल्टा भारत ‘एलएसी’ के करीब चीन की जारी गतिविधियों पर अधिक सावधानी से नज़र रख रहा है।

भारत के रक्षाबलप्रमुख, सेनाप्रमुख एवं वायुसेनाप्रमुख लगातार लद्दाख के ‘एलएसी’ का दौरा करके वहां की सुरक्षा का जायज़ा ले रहे हैं। इस क्षेत्र के लिए नई तैनाती करके भारत चीन को मुँहतोड़ जवाब दे रहा है। लद्दाख के ‘एलएसी’ के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों का विवाद अधिक नहीं बिगड़ेगा, यह उम्मीद व्यक्त की है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग दोनों प्रगल्भ नेता हैं। यह पड़ोसी देश इस विवाद का हल बातचीत के ज़रिये निकालेंगे लेकिन, अन्य कोई भी देश भारत-चीन विवाद में ना पड़े, यह बयान राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने किया है।

इससे पहले रशिया ने भारत के ‘क्वाड’ में शामिल होने पर नाराज़गी व्यक्त करके भारत इस चीन विरोधी मोर्चे का हिस्सा ना बने, यह उम्मीद जताई थी। माध्यमों से बातचीत करते समय राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने रशिया की यह भूमिका फिर से रखी। भारत के साथ रशिया का सहयोग रणनीति के स्तर का है और इसमें अर्थशास्त्र, ऊर्जा, उच्च तकनीक एवं रक्षा जैसे क्षेत्रों का समावेश है, यह याद भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने ताज़ा की।

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