लद्दाख की एलएसी पर बने तनाव से बदनामी के अलावा चीन को कुछ नहीं मिला – नॉर्दन कमांड के प्रमुख लेफ्टनंट जनरल वाय. के. जोशी

लद्दाख – लद्दाख की एलएसी से चीन के लष्कर ने वापसी करने के बाद, भारत के लष्करी अधिकारी पिछले नौं महीनों की परिस्थिति पर अधिक विस्तारपूर्वक बात करने लगे हैं। चीन के लष्कर ने की घुसपैठ की कोशिशों के कारण, दोनों देशों में संघर्ष भड़क उठने की स्थिति निर्माण हुई थी, मगर भारतीय सेना ने संयम बरतने के कारण युद्ध टल गया। लेकिन इस स्थान पर नौं महीनों तक तनाव कायम रखकर भी बदनामी के सिवा चीन के हाथ और कुछ भी नहीं लगा, ऐसा नॉर्दन कमांड के लेफ्टनंट जनरल वाय. के. जोशी ने कहा है। उसी समय, गलवान वैली के संघर्ष में चीन ने अपने ४५ जवान गँवाये, ऐसा रशियन माध्यमों ने कहा है, इस पर ले. जनरल जोशी ने गौर फरमाया।

वाय. के. जोशी

माध्यमों के साथ बात करते समय ले. जनरल वाय. के. जोशी ने लद्दाख में बने तनाव के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी दी। अगस्त महीने की २९ और ३० तारीख को भारतीय लष्कर ने पँगॉंग सरोवर के पास की रेझांग ला, रेचिन ला और अन्य पहाड़ियों पर कब्जा किया था। उसके बाद के समय में चीन के लष्कर ने इन पहाड़ियों पर कब्जा करने की कोशिशें शुरू कीं। लेकिन भारतीय सेना ने दिखाये संयम के कारण चीन के साथ संघर्ष टल गया, ऐसा ले. जनरल जोशी ने कहा। यदि कोई अपनी दिशा में खतरनाक तरीके से आ रहा है, तो उसे लक्ष्य करने का प्रशिक्षण, टैंक पर बिठायीं तोपें और रॉकेट लॉंचर्स का इस्तेमाल करने वाले सैनिकों को दिया होता है। ऐसे समय ट्रिगर दबाने के लिए धैर्य नहीं लगता, लेकिन कई बार ट्रिगर न दबाने के लिए बहुत धैर्य लगता है। भारतीय सैनिकों ने यह धैर्य दिखाया और उससे युद्ध टल गया, ऐसा दावा ले. जनरल जोशी ने किया।

लद्दाख की एलएसी पर नौं महीने तनाव कायम रखकर चीन कुछ भी हासिल नहीं कर सका। उल्टे इस देश की अधिक ही बदनामी हुई और चीन ने इस तनाव के कारण बहुत कुछ गँवाया है। खासकर यह तनाव कम करने के लिए दोनों देशों में संपन्न हुई चर्चा के सातवें, आठवें और नौवें सत्र में तो चीन इसी के बारे में सोचता रहा कि किस तरह अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखकर वापसी की जाये, ऐसी जानकारी ले. जनरल जोशी ने दी। लेकिन इस समय हुई बातचीत में भी भारत ने चीन को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी। लद्दाख की एलएसी पर अप्रैल महीने से पहले की स्थिति निर्माण हुए बगैर भारत पीछे नहीं हटेगा, इसका स्पष्ट एहसास चीन को करा दिया गया। आखिरकार चीन को वह मान्य करना ही पड़ेगा, ऐसा ले. जनरल जोशी ने कहा।

गलवान वैली में हुए संघर्ष में भी चीन ने ४५ जवान गँवाये होने की जानकारी रशियन माध्यमों ने दी। लेकिन चीन के ६० जवानों को स्ट्रेचर पर ले जाया गया, इनमें से कितने लोगों को प्राणघातक जख्म हुए थे, इसकी जानकारी अपने पास नहीं है, ऐसा ले. जनरल जोशी ने कहा है। इसी बीच, लद्दाख के पँगॉंग सरोवरक्षेत्र से चीन ने की वापसी की जानकारी भारतीय नेता और लष्करी अधिकारी बेझिझक दे रहे हैं। चीन के विरोध में आनेवाले दौर में भारत ऐसी ही आक्रामक नीति अपनाएगा, यह संदेश इसके द्वारा दिया जा रहा है। पहले के जमाने में चीन के साथ तनाव नहीं बढ़ेगा, इसके एहतियात भारत द्वारा बरते जाते थे। लेकिन अब भारत की नीति अधिक ही आक्रामक बनी दिख रही है।

सन २०१७ में चीन ने डोकलाम में भारत और भूतान की सीमा के नजदीक निर्माण कार्य शुरू करने के बाद, भारतीय सेना ने चीन का यह निर्माण कार्य बंद करवाया था। उस समय भारतीय सेना ने दिखाई आक्रामकता से चीन का लष्कर दंग रह गया था। लद्दाख की एलएसी पर हालात बदलने के लिए घुसपैठ की कोशिशें करके, चीन ने भारत को अधिक तीव्र जवाब देने की कोशिश की। लेकिन अब चीन को यहां से पीछे हटना पड़ा। हालांकि अब चीन ने इस क्षेत्र से वापसी की है, फिर भी यह देश आने वाले दौर में अधिक तैयारी के साथ भारत को चुनौती दिए बगैर नहीं रहेगा, ऐसा सामरिक विश्‍लेषक भारत को जता रहे हैं। भारतीय रक्षा बलों को इसका एहसास है। इसीलिए चीन को अधिक कड़े शब्दों में संदेश देने की नीति भारत ने अपनायी है। उसी समय, गलवान के संघर्ष में चीन को भारत की तुलना में अधिक जीवितहानी सहनी पड़ी थी, इसका भी एहसास भारत के लष्करी अधिकारी लगातार करा दे रहे हैं।

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