चिनी लष्कर की लद्दाख की एलएसी से वापसी

नई दिल्ली/बीजिंग – ‘चीन ने एक ही दिन में २०० से भी अधिक टैंक्स लद्दाख की एलएसी से हटाये। यह एक ही बात यह दर्शाने के लिए काफी है कि चीन एलएसी पर सौहार्द स्थापित करने के लिए प्रामाणिक कोशिशें कर रहा है। उसी समय, इतनी तेज़ी से इस क्षेत्र से पीछे हटनेवाला चीन, उतनी ही तेज़ी से इस क्षेत्र में उसकी तैनाती भी कर सकता है, यह ताकत भी चीन ने इसके द्वारा दिखा दी है’, ऐसा दावा एक चीनी विश्लेषक ने किया है। चीन का सरकारी मुखपत्र होनेवाले ग्लोबल टाईम्स ने यह दावा प्रकाशित किया। लेकिन अपनी इज्जत बरकरार रखकर यहाँ से पीछे हटने की जल्दी चीन को हुई थी और इसीलिए भारत की माँग पूरी तरह से मान्य करके चीन ने यहाँ से वापसी की, ऐसी प्रतिक्रिया भारत के पूर्व लष्करी अधिकारी तथा सामरिक विश्‍लेषक दे रहे हैं।

चिनी लष्कर

लद्दाख के पँगॉंग सरोवर क्षेत्र से चीन का लष्कर पीछे हट रहा है। चीन के लष्कर के लगभग २०० टैंक्स वापस लौटे हैं। इतना ही नहीं, बल्कि चीन ने इस क्षेत्र में किया लष्करी निर्माणकार्य भी समेतकर साथ लिया जा रहा है। इस संदर्भ में भारत ने की हुईं सारी माँगें चीन ने मान्य की हैं। पँगॉंग सरोवर क्षेत्र से पीछे हटकर चीन ‘फिंगर ८’ से पीछे चला जाए, ऐसा भारत ने डटकर कहा था। उसके अनुसार चीन का लष्कर पीछे वापस आया है। ‘अमन और शांति स्थापित करने के लिए चीन ने यह प्रामाणिकता दर्शाई’ ऐसा दावा चीन की तिंगहुआ यूनिवर्सिटी की ‘नॅशनल स्ट्रॅटजी इन्स्टीट्युट’ के ‘रिसर्च डिपार्टमेंट’ के संचालक कियान फेंग ने किया।

लद्दाख की एलएसी से यह वापसी चीन की प्रामाणिकता और सामर्थ्य का भी प्रदर्शन कर रही है, ऐसा बताकर फेंग ने अपने देश का उदात्तीकरण करने की कोशिश की। लेकिन लद्दाख के पँगॉंग त्सो सरोवर क्षेत्र मैं घुसपैठ की कोशिश करके भी चीन के हाथ कुछ भी नहीं लगा। उल्टा चीन ने इस घुसपैठ से बहुत कुछ गँवाया है, इस पर भारत के पूर्व लष्करीअधिकारी गौर फरमा रहे हैं। अपनी घुसपैठ पर तथा गलवान वैली में किए आकस्मिक हमले पर भारतीय लष्कर से इतनी जबरदस्त प्रतिक्रिया आएगी, ऐसा चीन ने सोचा नहीं था। साथ ही, लद्दाख की ठंड में अपने लष्कर को इतने समय तक तैनात रखना होगा, इसकी भी तैयारी चीन ने नहीं की थी । उसका विपरीत परिणाम चिनी लष्कर के मनोधैर्य पर हुआ था।

लद्दाख के हवामान की आदत में होने वाले चीनी जवान यहां पर ठंड से बेहाल हुए थे। उसी समय भारतीय सेना इस क्षेत्र में सहजता से विचरण कर रही थी। ऐसी स्थिति में चीन के सरकारी मध्यम अपप्रचार का इस्तेमाल करके, इस संघर्ष में चीन वर्चस्व जता रहा होने का चित्र खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन चीन की यह कोशिशें नाकाम साबित हुईं। लद्दाख के क्षेत्र में भारतीय सेना का मुकाबला करने की क्षमता चीन के पास नहीं है, यह पश्चिमी माध्यमों को भी मानना पड़ा। एलएसी के अन्य मोरचों पर भारत पर दबाव बनाने की कोशिश भी चीन ने करके देखी थी। भारतीय सेना की सतर्कता के कारण चीन की ये कोशिशें भी असफल साबित हुईं थीं।

ऐसी स्थिति में लद्दाख की एलएसी से लष्कर हटाने का समर्थन करने के लिए चीन के क्रियाकलाप शुरू हुए हैं। हालांकि चीन के लष्कर ने लद्दाख से वापसी की है, फिर भी तांत्रिक कारण का बहाना करके भारतीय लष्कर अभी भी लद्दाख से वापसी नहीं कर रहा है, ऐसी शिकायत फेंग ने की है।

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