चीन को हॉंगकॉंग का दमन करने के परीणाम भुगतने होंगे – ब्रिटिश विदेशमंत्री जेरेमी हंट की कडी चेतावनी

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलंदन/बीजिंग/हॉंगकॉंग – हिंसा होने पर दमन करने का विकल्प नही हो सकता, इन स्पष्ट शब्दों में ब्रिटेन के विदेशमंत्री ने हॉंगकॉंग में प्रदर्शनकारियों पर हुए कार्रवाई के मुद्दे पर चीन पर फटकार लगाई है| साथ ही ब्रिटेन यह जनतांत्रिक और जनतंत्र के तत्वों के साथ निष्ठा रखनेवाला देश है और हॉंगकॉंग के मुद्देपर चीन के विरोध में आक्रामक जवाब देने से पीछे नही हटेगा, यह इशारा भी विदेशमंत्री जेरेमी हंट ने दिया है| हॉंगकॉंग में विवादित प्रत्यर्पण विधेयक के मुद्दे पर हुए प्रदर्शन और इसके विरोध में की गई कार्रवाई पर ब्रिटेन ने अपनी भूमिका रखी है और बुधवार के दिन ब्रिटेन में चीन के राजदूत को समन्स भी दिया है|

हॉंगकॉंग यह चीन का हिस्सा है और इसमें हुई घटना हमारा अंतर्गत मसला है, इस में हस्तक्षेप ना करें, इन शब्दों में चीन ने पश्‍चिमी देशों को फटकार लगाई है| इसके साथ ही ब्रिटेन में चीन के राजदूत लिउ शिओमिंग ने ब्रिटेन एवं अन्य देशों ने हॉंगकॉंग के मुद्दे पर किए वक्तव्य अस्वीकारार्ह होने का दावा किया था| साथ ही वर्ष १९९७ से पहले हॉंगकॉंग में होनेवाली ब्रिटीश हुकूमत पर भी आलोचना की थी| शिओमिग के वक्तव्य पर ब्रिटेन ने कडी नाराजगी व्यक्त की है और ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने हॉंगकॉंग के मुद्दे पर चीन के विरोध में कार्रवाई होने के संकेत देकर खलबली मचाई है|

हॉंगकॉंग यह चीन का हिस्सा है, यह बात ब्रिटेन को मंजूर है| सीर्फ इस बारे में चीन और ब्रिटेन में हुए समझौते का चीन पालन करें, इतनी ही हमारी मांग है| कानून के आधार पर चल रही अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का चीन ने काफी बडा लाभ उठाया है| इस वजह से ब्रिटेन और चीन के बीच हुए अहम समझौते का पालन ना करने की बात चीन ने तय की है तो इसके गंभीर परीणाम चीन को भुगतने होंगे, यह बात वह ध्यान में रखें’, इन कडे शब्दों में विदेशमंत्री हंट ने चीन के विरोध में कार्रवाई करने के संकेत दिए|

ब्रिटेन ने पहले भी कई मुद्दों पर चीन पर आलोचना की है, पर हॉंगकॉंग के मुद्दे पर इतनी कडी भूमिका पहली बार अपनाई है| इससे पहले ब्रिटेन ने व्यापार, तकनीकी क्षेत्र पर लगाए प्रतिबंध, मानवाधिकार एवं अल्पसंख्यांकों से हो रहे बर्ताव जैसे कई मुद्दों पर चीन के सामने नाराजगी व्यक्त की है| लेकिन, इस बार कडी भूमिका अपना कर ब्रिटेन ने चीन के साथ बने तनाव में बढोतरी होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे है|

ब्रिटेन के कब्जे में होनेवाला हॉंगकॉंग वर्ष १९९७ में चीन के हाथ में दिया गया| तभी से हॉंगकॉंग पर चीन का कब्जा है और यह क्षेत्र ‘स्पेशल एडमिनिस्ट्रेटिव्ह रिजन’ के तौर पर पहचाना जा रहा है| हॉंगकॉंग का प्रशासन वर्ष १९९७ में हुए समझौते के नुसार ‘वन कंट्री, टू सिस्टिम’ के आधारा पर चलाया जा रहा है| इससे पहले वर्ष १९८४ में ब्रिटेन और चीन में एक अहम समझौता हुआ था| इस समझौते में हॉंगकॉंग के लिए ‘बेसिक लॉ’ तैयार करके इसके तहेत वहा की जनता के बुनियादी अधिकारों का ध्यान रखा जाएगा, यह बात रेखांकित की गई थी|

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