नाटो के लष्करी उपग्रहों को सायबर हमलों का खतरा – ब्रिटिश अभ्यासगुट का इशारा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरलंदन/ब्रुसेल्स – ‘युद्ध के बीच में ही नाटो के उपग्रह ‘जैम’ होने का और इससे मिसाइलों से लडाकू विमानों तक सभी यंत्रणाओं को गलत संदेशा प्राप्त होने का गंभीर खतरा है’, यह चेतावनी ब्रिटिश अभ्यासगुट ने दी है| नाटो के कई सदस्य देशों में अंतरिक्ष में लष्करी उपग्रह छोडे है और इनमें से एक भी देश के उपग्रह पर हुआ सायबर हमला नाटो के संपूर्ण यंत्रणा के लिए खतरा साबित हो सकता है, यह दावा ‘रॉयल इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल अफेअर्स’ (कॅथम हाऊस) के रपट में किया गया है|

कुछ दिन पहले ही नाटो के रक्षामंत्रीयों की बैठक हुई थी| इस बैठक में ‘अंतरिक्ष क्षेत्र’ और उसकी सुरक्षा का मुद्दा अहमियत के साथ बातचीत में रहा| इस बैठक के दौरान अंतरिक्ष में बढ रही हथियारों की स्पर्धा का जिक्र करके नाटो के स्वतंत्र ‘स्पेस पॉलिसी’ को मंजुरी दी गई थी| इसमें अंतरिक्ष में नाटो के उपग्रह पर हमला हुआ तो इस पर जवाब देने के लिए जरूरी प्रावधानों के संकेत दिए गए थए|

इस पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन की ‘रॉयल इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल अफेअर्स’ ने रखा रपट ध्यान आकर्षित कर रहा है| पिछले कुछ वर्षों में अमरिका, रशिया, चीन ने अंतरिक्ष में बडी संख्या में लष्करी उपग्रह तैनात किए है| साथ ही अंतरिक्ष क्षेत्र में संघर्ष की संभावना ध्यान में रखकर इन देशों ने विशेष हथियारों की यंत्रणा, मिसाइल और लेजर्स विकसित करने के दावे भी सामने आ चुके है| अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तो स्वतंत्र ‘स्पेस फोर्स’ का निर्माण करने का ऐलान किया है|

इस तरह अंतरिक्ष में संघर्ष की तैयारी शुरू होते हुए उपग्रह औड़ संबंधित यंत्रणाओं पर सायबर हमलें होने की संभावना से इन्कार नही किया गया है| दुनिया के अधिकांश लष्करी दल संपर्क के लिए उपग्रह से जुडी यंत्रणाओं पर निर्भर है| यह ध्यान में रखकर अंतरिक्ष में छोडे गए उपग्रह सायबर हमलों का लक्ष्य हो सकते है, यह चिंता लगातार व्यक्त की जा रही है| ब्रिटेन के अभ्यासगुट ने भी इसपर समर्थन दिया है औड़ अपने रपट में नाटो के उपग्रहों पर ज्यादा ध्यान दिया है|

नाटो सदस्य देशों के उपग्रह बडी संख्या में है और इनपर नाटो का नियंत्रण ना होना, यह सबसे अधिक अहम एवं कमजोर कडी होने की ओर ‘रॉयल इन्स्टिट्यूट ऑफ इनटरनैशनल अफेअर्स’ के रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है| साथ ही उपग्रह प्रगत होने का दावा किया गया हो, फिर भी उसकी सुरक्षा के लिए जरूरी प्रावधान किए नही गए है, यह एहसास भी ब्रिटिश अभ्यासगुट ने दिलाया है| उपग्रहों पर हमलें होने पर धरती पर रक्षा यंत्रणाओं को भी झटका लगेगा, यह बात भी ‘रॉयल इन्स्टिट्यूट ऑफ इंटरनैशनल अफेअर्स’ के रपट में रेखांकित की गई है|

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