चीन के पास भारत पर साइबर हमले करने की क्षमता है – रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत

नई दिल्ली – ‘भारत पर साइबर हमले करने की क्षमता चीन के पास है। इस मोरचे पर दोनों देशों की क्षमता में बहुत बड़ा अंतर है’, ऐसा रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने कहा है। लेकिन भारत अपनी साइबर सुरक्षा के लिए क्षमता विकसित कर रहा है। चीन के साइबर हमलों का प्रभाव कम से कम रहें, इसके लिए तेज़ी से प्रयास किए जा रहे हैं, इसका यकीन भी इस समय रक्षाबलप्रमुख ने दिलाया है।

china-india-cyber-attacksनई दिल्ली में आयोजित किए गए एक परिसंवाद में जनरल रावत बात कर रहे थे। लद्दाख की एलएसी पर तनाव कम करके, यहाँ की प्रक्रिया पूरी करने के लिए जल्द ही भारत और चीन में चर्चा शुरू होनेवाली है। लेकिन चीन ने अभी भी लद्दाख की एलएसी के कुछ भागों से लष्कर हटाने की तैयारी नहीं दर्शाई है। ऐसी स्थिति में जनरल रावत ने, चीन के संभाव्य साइबर हमले के संदर्भ में किए बयान गौरतलब साबित हो रहे हैं। पिछले साल मुंबई में कुछ समय के लिए खंडित हुई बिजली सप्लाई के पीछे चीन का साइबर हमला था, ऐसे दावे प्रकाशित हुए थे। साथ ही, भारत में कोरोना के टीके तैयार करनेवालीं कंपनियाँ भी चीन के साइबर हमलों का लक्ष्य बनीं थीं।

ये दोनों आरोप चीन ने नकारे थे । लेकिन साइबर सुरक्षा से जुड़ीं दूसरे देश की कंपनियों ने, भारत में हुए इस साइबर हमले के पीछे चीन के हैकर होने का आरोप किया था। इससे पहले अमरीका और युरोपीय देशों ने भी, उनपर चीन से साइबर हमले हो रहे हैं, ऐसा दोषारोपण किया था। चीन ने अपनी साइबर आर्मी तैयार रखी होकर, उसका इस्तेमाल करने के लिए चीन हमेशा ही सिद्ध होने की बात समय-समय पर सामने आई थी। उस पृष्ठभूमि पर, रक्षाबलप्रमुख जनरल रावत ने, चीन की साइबर हमले करने की क्षमता की जानकारी देकर देश को सचेत किया दिख रहा है।

भारत और चीन की, साइबर क्षेत्र की क्षमता में बड़ा अंतर है। यह अंतर कम करने के लिए भारत द्वारा कोशिशें कीं जा रही हैं। चीन का साइबर हमला रोकने के लिए आवश्यक सुरक्षा विषयक एहतियात भी बरते जा रहे हैं। लेकिन यह सुरक्षा छेदकर भारत के साइबर क्षेत्र में घुसपैंठ करने की क्षमता चीन के पास है। इस कारण चीन के साइबर हमले का प्रभाव कम से कम समय तक रहें और उससे हानि ना हों, इसके लिए भारत क्षमता विकसित कर रहा है, ऐसी जानकारी जनरल रावत ने दी। साथ ही, इस मोरचे पर अन्य देशों का सहयोग भी भारत द्वारा लिया जा रहा है, यह जनरल रावत ने स्पष्ट किया। देश के साइबर क्षेत्र को चीन से होनेवाले खतरे का पूर्वविचार करके, भारत ने अन्य देशों के साथ साइबर सुरक्षा से जुड़े सहयोग समझौते किए हैं। उसका हवाला जनरल रावत द्वारा दिया जा रहा दिख रहा है।

बता दें, भारत और चीन की क्षमता में हालांकि अंतर है, फिर भी भारत अत्याधुनिक तंत्रज्ञान का इस्तेमाल करके यह अंतर कम कर रहा है। इसके लिए तीनों रक्षाबलों की संयुक्त क्षमता का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसी जानकारी जनरल रावत ने दी। रक्षाबलप्रमुखपद का निर्माण, यह देश के रक्षा मोरचे में बहुत ही अहम पड़ाव साबित होता है, ऐसा दावा भी इस समय जनरल रावत ने किया।

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