छोटे देशों पर चीन के ३८५ अरब डॉलर्स के कर्ज का बोझ – अमरिकी अभ्यास गुट का दोषारोपण

small-countries-china-debt-1वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की महत्त्वाकांक्षी योजना ‘बेल्ट अ‍ॅण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ (बीआरआय) के कारण छोटे देशों पर लगभग ३८५ अरब डॉलर्स के कर्ज का बोझ बढ़ा होने का दोषारोपण अमरिकी अभ्यास गुट ने किया है। चीन की शिकारी वित्तनीति के चंगुल में लगभग ४२ देश फँसे होकर, उनका कर्ज जीडीपी के १० प्रतिशत से अधिक हुआ है, इस पर अभ्यास गुट ने गौर फरमाया है। ‘बीआरआय’ के ३० प्रतिशत से अधिक प्रोजेक्ट्स में भ्रष्टाचार तथा अन्य गैरव्यवहार सामने आए होकर, उन्हें होनेवाला विरोध भी बढ़ा होने की बात रिपोर्ट में नमूद की गई है।

अमरीका के ‘कॉलेज ऑफ विल्यम अ‍ॅण्ड मेरी’ का हिस्सा होनेवाले ‘एडडाटा’ इस अभ्यास गुट ने ‘बीआरआय’ के संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। ‘बँकिंग ऑन द बेल्ट अ‍ॅण्ड रोड’ ऐसा इस रिपोर्ट का नाम है। इस रिपोर्ट में, दुनियाभर के चीन के १३ हज़ार से अधिक प्रोजेक्ट्स की और उनमें किए हुए ८४३ अरब डॉलर्स के निवेश की जानकारी दी गई है। १६५ देशों में चल रहे इन प्रोजेक्ट्स में चीन की ३०० से अधिक सरकारी कंपनियाँ और बैंकों का सहभाग होने की बात ‘एडडाटा’ की रिपोर्ट में नमूद की गई है।

small-countries-china-debt-2चीन ने हालाँकि पिछले कुछ सालों में विदेशी प्रोजेक्ट्स में निवेश बढ़ाया है, फिर भी उसमें अनुदानित वित्तसहायता की मात्रा नगण्य होकर, कर्ज दिए प्रोजेक्ट्स की संख्या अधिक होने की बात सामने आई है। ‘एडडाटा’ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने लगभग हर ३१ प्रोजेक्ट्स में से केवल १ प्रोजेक्ट को अनुदान के रूप में सहायता प्रदान की है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज देनेवाला देश बना होकर, अमरीका, युरोप तथा अन्य वित्तसंस्थाओं के एकत्रित कर्जे से अधिक कर्ज चीन द्वारा दिया गया है। चीन के कर्ज की ब्याज दर, अन्यों से अधिक है, साथ ही कर्ज चुकता करने की कालावधी भी कम है।

अमरिकी अभ्यास गुट की रिपोर्ट के अनुसार, चीन कर्ज पर चार प्रतिशत से अधिक ब्याज लगा रहा है और कर्ज चुकता करने की कालावधी १० साल अथवा उससे भी कम है। युरोपीय देश तथा अन्य वित्तसंस्थाएँ एक से डेढ़ प्रतिशत ब्याज लगा रहे हैं और कर्ज चुकता करने की कालावधी भी २५ साल से अधिक है, इस पर गौर फरमाया गया है। चीन के बैंक्स कर्ज देते समय ठेंठ संबंधित सरकार के साथ व्यवहार ना करते हुए, सरकारी कंपनियाँ, प्राइवेट कंपनियाँ, संयुक्त साझेदारी होनेवाली कंपनियाँ तथा ‘स्पेशल पर्पज व्हेईकल्स’ को निधी दे रहे हैं। लेकिन इन सबको सरकारी गारंटी होने की तसल्ली की जा रही है। सर्वाधिक कर्ज दिए ५० में से ४० प्रोजेक्ट्स में अन्य चीज़ों को सिक्योरिटी के तौर पर रखा गया है। इनमें से अधिकांश चीज़ें सरकारी मालिकियत की हैं।

चीन ने दिया कर्ज ठेंठ सरकार को ना दिया होने के कारण, उसका उल्लेख सरकार पर होनेवाले कर्जों की सूची में नहीं होता। ऐसे कर्जों का उल्लेख इस अमरिकी अभ्यास गुट ने ‘हिडन डेब्ट’ ऐसा किया है। कई देशों में इस प्रकार के ‘हिडन डेब्ट’ के मामले पाए गए होकर, उनका आँकड़ा लगभग ३८५ अरब डॉलर्स इतना होने की बात सामने आई है। कम उत्पन्न होनेवाले ४० से अधिक देशों में इसकी मिसालें सामने आईं होकर, संबंधित देशों के जीडीपी के कम से कम १० प्रतिशत इतना प्रमाण चिनी कर्ज़ों का होने की धक्कादायक बात सामने आई है।

चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने पिछले दशक में महत्त्वाकांक्षी ‘बेल्ट अ‍ॅण्ड रोड इनिशिएटिव्ह’ का ऐलान किया था। इस योजना के तहत चीन ने अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका तथा युरोपीय देशों में बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट्स का निर्माण शुरू किया था। लेकिन पिछले कुछ सालों में चीन के ‘बीआरआय’ को होनेवाला विरोध बढ़ रहा होकर, यह महत्वाकांक्षी योजना दीर्घ समय के लिए चलाना चीन के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी, ऐसा दावा ‘एडडाटा’ इस अभ्यास गुट ने किया है। अमरीका तथा युरोप ने पिछले साल भर में ‘बीआरआय’ को चुनौती देनेवाले उपक्रम सामने लाए हैं। इस कंपटीशन का मुकाबला करना चीन के लिए मुश्किल होगा, ऐसा भी इस अमरिकी अभ्यास गुट ने जताया है।

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