अमरीका-दक्षिण कोरिया ‘टू प्लस टू’ बातचीत की पृष्ठभूमि पर उत्तर कोरिया ने अमरीका के बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया

प्योनग्यँग/सेऊल/वॉशिंग्टन – अमरीका और दक्षिण कोरिया की ‘टू प्लस टू’ स्तर की बातचीत की पृष्ठभूमि पर उत्तर कोरिया ने अमरीका का बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया है। अमरीका और दक्षिण कोरिया के विदेशमंत्री और रक्षामंत्रियों की गुरूवार के दिन बैठक में उत्तर कोरिया को परमाणु अस्त्रों से मुक्त करने का प्रमुख उद्देश्‍य रहेगा, यह घोषित किया गया था। इससे पहले ही अमरीका के समय की बरबादी करने के रवैये पर रिस्पान्स देने की आवश्‍यकता महसूस नहीं होती, ऐसा जवाब उत्तर कोरिया के विदेशमंत्री ने दिया है।

अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन और रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन बुधवार के दिन दक्षिण कोरिया की राजधानी सेउल पहुँचे। उन्होंने दक्षिण कोरिया के विदेशमंत्री चुंग इयु वाँग एवं रक्षामंत्री सुह वुक के साथ-साथ वरिष्ठ अफ़सरों से बातचीत की। इस बैठक के बाद विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने बैठक में हुई चर्चा की जानकारी साझा की। ‘अमरीका और दक्षिण कोरिया दोनों उत्तर कोरिया को परमाणु अस्त्रों से मुक्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं’, ऐसा बयान अमरिकी विदेशमंत्री ने किया। उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों से अमरीका और सहयोगी देशों को खतरा होने की बात दर्ज़ करके इस खतरे को कम करने की कोशिश की जाएगी, यह बात भी ब्लिंकन ने कही।

इस दौरान अमरीका ने चीन को भी इस कोशिश का हिस्सा होने का आवाहन किया। ‘चीन और उत्तर कोरिया के बीच विशेष संबंधों का इस्तेमाल करके चीन इस देश पर दबाव ड़ाले। यह बात चीन के हितसंबंधों के नज़रिये से भी उचित होगी’, ऐसी सलाह अमरीका के विदेशमंत्री एँथनी ब्लिंकन ने प्रदान की। अमरीका और चीन के बीच अगले कुछ घंटों में अलास्का में उच्च स्तरीय बैठक हो रही है। इस पृष्ठभूमि पर विदेशमंत्री ब्लिंकन की यह सलाह ध्यान आकर्षित करती है।

अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने उत्तर कोरिया की यात्रा करके बड़ा कदम उठाया था। लेकिन, दक्षिण कोरिया के साथ जारी रक्षा सहयोग और अन्य मुद्दों की पृष्ठभूमि पर अमरीका और उत्तर कोरिया का संभावित समझौता नहीं हो सका था। इसके पीछे चीन का हाथ होने के आरोप हुए थे। उत्तर कोरिया की हुकूमत पर सबसे प्रभाव वाले देश के तौर पर चीन की पहचान बनी है। उत्तर कोरिया ने प्राप्त किए परमाणु हथियारों की तकनीक और अन्य सहायता भी चीन ने ही प्रदान की है, ऐसा समझा जा रहा है। आर्थिक सहायता, अनाज की सप्लाई समेत अन्य तरीकों से चीन ने अभी तक उत्तर कोरिया पर अपना प्रभाव बनाए रखा है।

फिलहाल अमरीका और चीन के संबंधों में तनाव है। अमरीका ने चीन ही सबसे बड़ा खतरा होने का ऐलान किया है और साउथ चायना सी समेत अन्य कई मुद्दों पर चीन के खिलाफ आक्रामक कदम उठाने के संकेत भी दिए हैं। इस वजह से उत्तर कोरिया के ‘ड़ी-न्युक्लिअरायज़ेशन’ के लिए अमरीका का चीन से आवाहन करना अहमियत रखता है।

इसी बीच उत्तर कोरिया ने अपनी अड़ियल भूमिका बरकरार रखने के संकेत दिए हैं। अमरीका और दक्षिण कोरिया की चर्चा जारी होते हुए उत्तर कोरिया ने अमरीका ने बातचीत का प्रस्ताव ठुकराया है। ‘अमरीका के समय की बरबादी करने  रवैये पर रिस्पान्स देने की आवश्‍यकता महसूस नहीं होती। अमरीका जब तक उत्तर कोरिया के खिलाफ आक्रामक नीति से पीछे नहीं हटती, तब तक हम बातचीत नहीं करेंगे। यह बात पहले ही स्पष्ट की गई है’, इन शब्दों में उत्तर कोरिया के विदेशमंत्री चोए सॉन हुई ने अमरीका को प्रत्युत्तर दिया। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जाँग उन की बहन किम यो जाँग ने दो दिन पहले ही अमरीका को धमकाया था।

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