अमरिकी सेंटकॉम के प्रमुख ने किया तालिबान विश्वसनीय ना होने का दावा

us-centcom-talibanवॉशिंग्टन/अंकारा – ‘अमरीका ने अफ़गानिस्तान से पूरी सेना पीछे हटाने के बाद क्या तालिबान अपना वादा निभाएगा? तालिबान की विश्वसनीयता पर हमें संदेह हैं’, ऐसा बयान अमरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनिथ मैकेंज़ी ने किया है। अमरीका ने अफ़गानिस्तान छोड़ने के बाद अल कायदा या आयएस के खतरों पर अमरीका को आगाह करनेवाली यंत्रणा टूट जाएगी, ऐसा इशारा जनरल मैकेंज़ी ने दिया। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जॉर्ज बुश ने भी बायडेन प्रशासन के अफ़गानिस्तान से सेना हटाने के निर्णय की आलोचना की है। अमरीका की सेना वापसी के बाद क्रूर तालिबान महीलाओं और लड़कीयों पर भयंकर अत्याचार करेगी, ऐसी चिंता बुश ने व्यक्त की है।

us-centcom-talibanअफ़गानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना की अगले महीने से वापसी शुरू होकर ११ सितंबर से पहले यह प्रक्रिया पूरी होगी, ऐसा ऐलान राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने बीते हफ्ते किया था। बायडेन के इस ऐलान पर अमरीका से मिश्र प्रतिक्रियाएं प्राप्त हो रही हैं। अमरिकी सिनेट की ‘आर्म्ड सर्विसस कमिटी’ के सामने किए बयान में ‘सेंट्रल कमांड-सेंटकॉम’ के प्रमुख जनरल मैकेंज़ी ने बायडेन के इस ऐलान के मुद्दे पर अपना स्पष्ट नज़रिया रखा।

जनरल मैकेंज़ी ने सबसे पहले तालिबान की विश्वसनीयता पर आंशका जताई। ‘तालिबान की माँग के अनुसार अमरीका ने अफ़गानिस्तान से वापसी की तो क्या तालिबान भी अमरीका से किए वादे निभाएगी, इस पर अमरिकी सेना की नज़र रहेगी’, यह बात जनरल मैकेंज़ी ने स्पष्ट की।

us-centcom-talibanइसके अलावा तालिबान और आयएस का मुद्दा भी जनरल मैकेंज़ी ने उपस्थित किया। ‘अमरीका पर हमले करने की अल कायदा की महत्वाकांक्षा अभी खत्म नहीं हुई है। ऐसी स्थिति में अमरिकी सेना की वापसी के बाद अल कायदा और आयएस से खतरों की सूचना देनेवाली यंत्रणा टूटकर गिर सकती है। साथ ही सेना की वापसी के बाद इन आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने की स्थिति बने तो अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों में भी अमरिकी लष्करी अड्डे नहीं हैं’, इस बात की याद भी मैकेंज़ी ने दिलाई।

इसी बीच, बायडेन द्वारा सेना की वापसी से संबंधित ऐलान की आलोचना करके तालिबान ने तुर्की में आयोजित अमरीका पुरस्कृत बातचीत से पीछे हटने का निर्णय किया है। अगले शनिवार के दिन अंकारा में यह बातचीत होनी थी। इस बातचीत के लिए अफ़गान सरकार समेत अमरीका, भारत, रशिया, चीन, पाकिस्तान और ईरान के प्रतिनिधियों का उपस्थित होना तय हुआ था। लेकिन, इस बातचीत से तालिबान पीछे हटने के बाद तुर्की ने इस निर्धारित बैठक के कार्यक्रम में बदलाव किया है।

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